सीवान : सुता मिल की नीलामी और उसकी जमीन पर इंजीनियरिंग कॉलेज बनाये जाने के विरोध में भाकपा माले ने दिया धरना
सीवान में अपने स्थापना काल से ही बंद पड़े सुता मिल की जमीन पर इंजीनियरिंग कॉलेज बनाये जाने के फैसले और आज उसके भवनों की होने वाली नीलामी के विरोध में गुरुवार को सुता मिल कर्मचारी यूनियन के सदस्यों ने भाकपा माले के बैनर तले एक दिवसीय धरना दिया. वहीं धरने के नेतृत्व कर रहे भाकपा माले के पूर्व विधायक अमरनाथ यादव ने सुता मिल की नीलामी पर कड़ी आपत्ति जताते हुए किसी भी सूरत में उसकी नीलामी नहीं होने देने और भवनों को नही तोड़े जाने देने की बात कही.
अमरनाथ यादव ने कहा कि यह जमीन सुता मिल के कर्मचारियों और उद्योग विभाग की संपत्ति है, लिहाजा पहले सरकार सुता मिल के कर्मचारियों के बकाए वेतन का भुगतान करें एवं उनका समायोजन दूसरी जगह करें तब जाकर कोई अन्य निर्णय ले. उन्होंने कहा कि उन्हें या सुता मिल का कर्मचारियों को इंजीनियरिंग कॉलेज खोले जाने से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन जिले में और भी कई जगह बेकार और परती जमीनें हैं, जहां इंजीनियरिंग कॉलेज खोली जा सकती है. उन्होंने बताया कि सुता मिल के करीब 537 कर्मचारी हैं, जो वर्षो से बेरोजगार होकर बकाए वेतन के भुगतान और समायोजन की आस लगाए बैठे हैं. आज कोरोना महामारी काल मे वे गरीबी और भुखमरी की समस्या से जूझ रहे हैं लेकिन सरकार का उनकी तरह से बेख्याल होकर मिल को नीलाम कर उसकी जमीन पर इंजीनियरिंग कॉलेज बनाये जाने का फैसला कही से जायज, उचित और न्यायोचित नही है. उन्होंने कहा कि सरकार को यदि सुता मिल चालू नही करना है तो नही करें, लेकिन उसकी जगह इंजीनियरिंग कॉलेज बनाने के बजाए कोई अन्य उद्योग लगावे ताकि सुता मिल के कर्मचारियों को रोजगार मिल सके. उन्होंने कहा कि जबतक सरकार सुता मिल के कर्मचारियों की मांगे पूरी कर उनके साथ न्याय नही करेगी वे तबतक कर्मचारियों के साथ रहेंगे और आंदोलन करते रहगें, भले ही उनकी गिरफ्तारी क्यों न हो जाये.
वहीं सुता मिल कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष प्रिंस उपाध्याय ने बताया कि उन्होंने 15 एकड़ की जमीन पर 36 करोड़ की लागत से बने सुता मिल में कर्मचारियों के बकाए वेतन के भुगतान के लिए उद्योग सचिव से मुलाकात की जिसके बाद तत्कालीन उद्योग सचिव ने मजफ्फरपुर उद्योग महाप्रबंधक को अग्रेतर कार्रवाई के लिए पत्र लिखा. जिसके बाद वहां से मिल में कार्यरत कर्मचारियों के ईपीएफ कटौती का रिकॉर्ड निकाल कर उनके वेतन भुगतान के लिए सचिवालय को पत्र अग्रसारित किया गया. सचिवालय ने भी उद्योग विभाग और वित्त मंत्री को कर्मचारियों के बकाए वेतन के भुगतान के लिये पत्र भेजा लेकिन वित्त विभाग ने कहा रहा है कि हमारे के पास इतनी राशि नही है कि कर्मचारियों के बकाए वेतन का भुगतान किया जाए. उन्होंने सरकार से यह सवाल करते हुए कि एक तरफ जहां वित्त विभाग कहता है कि हमारे पास राशि नहीं है कि मिल के कर्मचारियों का भुगतान करें फिर वहां कॉलेज की बिल्डिंग बनाने के लिए राशि कहां से आ रही है. प्रिंस उपाध्याय ने कहा कि उन्हें इंजीनियरिंग कॉलेज से कोई मतलब नहीं है, लेकिन जब तक मिल के कर्मचारियों के बकाए वेतन का भुगतान और उनका समायोजन नही होता वे न तो मिल की बिल्डिंग टूटने देगें और ना ही किसी को अंदर प्रवेश करने देंगे, यूंही धरना जारी रखेंगे. (सेंट्रल डेस्क).
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