सीवान : चर्चित चिल्हमरवा कांड में 11 साल बाद आया फैसला, कोर्ट ने जीरादेई विधायक अमरजीत कुशवाहा व दरौली विधायक सत्यदेव राम किया बाइज्जत बरी
सीवान || जिले के चर्चित 2013 के चिल्हमरवा केस में शनिवार को कोर्ट का फैसला आया. 11 साल बाद सीवान के एमपी-एमएलए कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए भाकपा माले के दो विधायकों, जीरादेई विधायक अमरजीत कुशवाहा और दरौली विधायक सत्यदेव राम को बरी कर दिया. साथ हीं अन्य सभी आरोपियों को भी कोर्ट ने बरी कर दिया.
न्यायालय से बरी होने के बाद अमरजीत कुशवाहा ने कहा कि सब जानते हैं कि हम लोगों को इस मामले में राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया था. 11 साल से न्याय की प्रक्रिया चल रही थी. आज हमको न्याय मिला है. आज कोर्ट का फैसला आया है. हम सब लोगों को रिहा कर दिया गया है. वहीं विधायक सत्यदेव राम ने कहा कि जुलाई 2013 की घटना में दबंग, राजनेता और आपराधिक छवि के लोगों ने मुझपर और अमरजीत पर आरोप लगाया था. 11 साल से हम लोगों को परेशान किया जा रहा था, आज न्यायालय ने हम लोगों को न्याय दिया है. गरीब गुरबों की आवाज को दबाने के लिए ये साजिश की गई थी जो नाकाम हो गयी. वहीं आरोपित पक्ष के वकील अनिल कुमार तिवारी ने कहा कि कोर्ट ने संदेह का लाभ देकर इन्हें बाइज्जत बरी किया है. अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि घटना में दोनों लोग शामिल थे.
बता दें कि दोनों विधायकों सहित 10 पर नामजद और 15 अज्ञात के खिलाफ हत्या, फायरिंग सहित कई धाराओं में केस दर्ज था. जुलाई 2013 में दो गुटों के बीच गुठनी थाना क्षेत्र के चिल्हमरवा गांव में जमीन को लेकर विवाद चल रहा था, इसे लेकर दोनों गुटों के बीच जमकर झड़प हुई थी. इस दौरान बमबारी और गोलीबारी भी हुई थी. जिसमें एक पक्ष के दो लोगों की मौत हो गई थी और दोनों पक्ष से एक दर्जन से अधिक लोग घायल हुए थे.
पुलिस बल की मौजूदगी में ही हुई थी गोलीबारी और हत्या
जुलाई 2013 की इस घटना को जिला प्रशासन और पुलिस रोकने में असफल रही थी. उनकी मौजूदगी में ही दोनों पक्षों में भीषण गोलीबारी हुई थी, जिसमें सोहगरा निवासी मुकेश सिंह और बेलौर पंचायत के तत्कालीन मुखिया अमर सिंह के बेटे राजू सिंह की गोली लगने से मौत हो गई थी.
मामले में माले के सत्यदेव राम और अमरजीत कुशवाहा सहित 10 नामजद आरोपी बनाए गए थे
मामले में दोनों पक्षों ने एक दूसरे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी. एक प्राथमिकी स्थानीय थाना ने दर्ज कराई गई थी, जिसमें दो मामले अभी न्यायालय में लंबित है. वहीं, एक मामला मृतक राजू सिंह के पिता अमर सिंह के आवेदन पर गुठनी थाना कांड संख्या 96/13 दर्ज कराया था. इसमें आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 447, 302 और आर्म्स एक्ट की धारा 27 के तहत अमरजीत कुशवाहा और सत्यदेव राम सहित 10 नामजद और 15 अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इसी मामले में आज फैसला आया है. तृतीय अपर जिला एवं सत्र न्यायधीश नरेंद्र कुमार सह स्पेशल एमएलए/एमपी कोर्ट में आज फैसला सुनाया गया.
गैरमजरुआ जमीन को लेकर हुआ था विवाद
गुठनी के चिल्हमरवा गांव में गैरमजरूआ जमीन पर विवाद शुरू हुआ था. यहां के निवासी संतोष तिवारी ने कथित तौर अपनी जमीन को गांव के ही लोगों से बेचना शुरू किया. तब, भाकपा माले समर्थित कुछ लोगों ने इस जमीन को गैरमजरुआ करार देते हुए संतोष को कब्जाने से रोक दिया. संतोष तिवारी ने उस जमीन की अपनी लगान, रसीद सहित अन्य कागजात दिखाए तो भाकपा माले समर्थित कार्यकर्ताओं ने डीसीएलआर की सूचना के अधिकार के तहत दी गई जानकारी दिखाई. जिसमें इस जमीन को गैरमजरुआ बताया गया था. जिला प्रशासन के इस जमीन को गैरमजरुआ करार देने के बाद चिल्हमरवा गांव के माले समर्थित लोगों ने 5 जुलाई 2013 को इस पर झोपड़ी बनाकर कब्जा कर लिया. इसके खिलाफ गांव के ही कुछ लोगों ने विरोध किया था. विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों पक्षों से गोलीबारी और बमबारी होने लगी.
घटना के बाद पुलिस और प्रशासन ने गांव में किया था कैंप
घटना के अगले दिन जिला प्रशासन ने चिल्हमरवा गांव में अनुमंडल पदाधिकारी, एडीएम व डीएसपी के नेतृत्व में कई दंडाधिकारी व भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती कर दी गई. छः जुलाई 2013 को यहां एसडीओ, एसडीएम, डीएसपी, सीओ, बीडीओ, कई थानों के थानाध्यक्ष, वज्र वाहन, एम्बुलेंस सहित काफी संख्या में पुलिस बल तैनात रही. गांव के कुछ लोगों का कहना था कि हम झोपड़ी को जबरन हटाएंगे जबकि भाकपा माले समर्थकों का कहना था कि जिला प्रशासन के अनुसार जमीन गैरमजरुआ है. झोपड़ी को हटाने का अधिकार प्रशासन का ही है. माले समर्थकों का कहना था कि जिला प्रशासन हटा दे हमें आपत्ति नहीं है, लेकिन जबरन दूसरा पक्ष हटाएगा तो हम विरोध करेंगे. प्रशासन अभी जिला पदाधिकारी के आदेश की प्रतीक्षा कर रहा था कि उसी बीच गांव के लोग झोपड़ी उजाड़ने लगे, जिसपर भाकपा माले समर्थक विरोध में उतर आए और दोनों पक्ष से गोलीबारी शुरू हो गई, जिसमें मुकेश और राजू की मौत हो गई थी. (अभिषेक श्रीवास्तव की रिपोर्ट).
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