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सीवान : मंडल कारा में बंद छः कैदियों में पाया गया टीबी रोग, 58 कैदियों में मिला संक्रमण

सीवान || जिले से बड़ी खबर है, जहां मंडलकारा में बंद छः कैदियों में टीबी रोग होने का खुलासा हुआ है. इस खुलासे के बाद सीवान जेल प्रशासन और कैदियों के बीच हड़कंप मचा हुआ है.

इसकी जानकारी देते हुए संचारी रोग पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार ने कहा कि मंडल कारा सीवान में कैदियों के बीच 100 दिन टीबी अभियान चलाया गया. जहां महिला और पुरुष कैदियों का पोर्टेबल एक्सरे मशीन द्वारा स्क्रीनिंग किया गया, क्योंकि कैदियों के शरीर में संभावित एवं छिपे हुए टीबी का ससमय पता लगाकर स्क्रीनिंग करते हुए उन्हें बेहतर उपचार प्रदान किया जा सके. जिला योजना समन्वयक (डीपीसी) दीपक कुमार ने बताया कि टीबी मुक्त अभियान के तहत 100 दिन कार्यक्रम अंतर्गत मंडल कारा सीवान में टेक्नीशियन जितेंद्र यादव, सदर पीएचसी के एसटीएस राम सागर राम और एसटीएलएस ओम प्रकाश प्रसाद जबकि लैब टेक्नीशियन किरण कुमारी के अलावा डीटीसी की मनती सिन्हा के द्वारा दिसंबर 2024 में 161 जबकि जनवरी 2025 में 114 कैदियों का पोर्टेबल एक्सरे मशीन द्वारा स्क्रीनिंग किया गया, जिसमें छः कैदियों में टीबी बीमारी से संबंधित संक्रमण पाया गया है. वहीं बलगम जांच में 58 कैदियों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है, जिनको यक्ष्मा विभाग द्वारा दवा उपलब्ध कराया गया है. वहीं मंडल कारा सीवान द्वारा कैदियों को अलग से पौष्टिक आहार खाने के लिए दिया गया है, साथ ही नियमित रूप से दवा सेवन को लेकर सलाह देते हुए कैदियों को बताया गया कि अगर किसी व्यक्ति को लगातार दो सप्ताह से ज्यादा खांसी, बुखार या बलग़म में खून का आना, वजन में कमी, भूख नहीं लगने की शिकायत हो तो अविलंम स्वास्थ्य केंद्र जाकर अपनी जांच कराना चाहिए, ताकि समय रहते उसका इलाज किया जा सके.

बता दें कि मार्च 2025 तक टीबी मुक्त अभियान के तहत देश के 347 जिले में बिहार से चयनित 10 जिलों में सीवान भी शामिल किया गया है. पूर्व के दिनों में जिला प्रशासन द्वारा टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत टीबी की बीमारी और उसके इलाज के लिए जनजागरूकता जरूरी होता है. इसी उद्देश्यों की पूर्ति और प्रचार प्रसार को लेकर जागरूकता रथ का हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया था. इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि टीबी एक गंभीर संचारी रोग है, जिसका समय पर इलाज नहीं होने से एक दूसरे से संक्रमण बढ़ने की संभावना बनी रहती है. जिला सहित राज्य और देश को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के लिए शिक्षित वर्ग व समाजसेवी संस्थाओं को बढ़ चढ़ कर जागरूक करना होगा. इसी कड़ी में मंडल कारा सीवान में बंद कैदियों की जांच एक अच्छी पहल है. इस सार्थक पहल के माध्यम से जेल में बंद कैदियों की टीबी जांच व पहचान सुनिश्चित हो सकती है. (एसके ओझा की रिपोर्ट).

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