सीवान : लापरवाही बिजली विभाग के कर्मियों की और सजा भुगतने को विवश हैं उपभोक्ता
सीवान || जिले में यह साफ देखा जा रहा है कि बिजली कम्पनी के अधिकारियों व कर्मचारियों की लापरवाही का खामियाजा उपभोक्ता वर्ग उठाने को विवश है, जिन्हें भारी भरकम बिजली का बिल जमा करना पड़ रहा है. उपभोक्ताओं को होने वाली समस्यायों को बार-बार उठाने के बाद भी बिजली विभाग के बड़े अधिकारी, कनिय अभियंता व लाइन मैन अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहे. जिले में लाइन का कटना अब कोई मुद्दा नहीं रहा, अब एक बार फिर लोग यह देखने लगे हैं की लाइन आई कब, अगर लाइन आ गई तो क्या पंखा चलेगा, बल्ब जलेगा या फिर से जगह जगह लो वोल्टेज का रोना.
अपनी मन मर्जी से पावर सप्लाई का वितरण करना, ऊपर से ही लोड सैडिंग होने का बहाना बनाना, विभागीय कर्मियों के द्वारा फोन का नहीं उठाया जाना, फोन उठाकर बोलना कि आवाज़ नहीं आ रही या फिर कॉल रिसीव कर कही रख देना, मोबाइल स्वीच ऑफ रखना, उचित जानकारी मुहैया नहीं करवाना, बिजली बिल मे लगातार गड़बड़ी, शिकायत के बाद भी कोई सुनवाई नहीं होना, यह कुछ ऐसी समस्याएं हैं जो विगत कई वर्षो से जस की तस हैं. इन्हे सुनने व दुरुस्त करने वाला कोई नहीं हैं, पदाधिकारी आते हैं चले जाते हैं पर आम उपभोक्ता की परेशानियां जस की तस बनी रहती हैं. बिजली विभाग केवल पैसा उगाही में हीं लगा है और रोज के रोज लोग बिजली के तार टूट के गिरने से लोग मर रहे हैं, उसकी कोई फिक्र नही है. गांव से लेकर शहर तक स्थिति काफी दयनीय है. जगह-जगह जर्जर तार लटक रहे हैं, कहीं पर बिजली का खम्बा हीं लोगों में घरों तक झुक कर पहुंच गया है. लेकिन, बिजली विभाग को कोई परवाह नही है. ऐसा लगता है कि वह मृतकों की संख्या को बढ़ाने और गणना करने के काम में लगा है. बिजली के तार जो मकड़जाल की तरह जगह-जगह फैले हैं, जिससे तार टूट कर, जल कर और ऐसे ही वोल्टेज के उतार चढ़ाव से आग लग कर तार टूटने के बाद घण्टों बिजली गायब रहती है. लेकिन, बिजली विभाग कुम्भकर्णी नींद में सोया है और उसे कोई फर्क नही पड़ता कि लोग पांच घण्टा से या 10 घंटे से बिजली से महरूम हैं. बिजली विभाग को केवल पैसा चाहिए. भले लोग बिजली के अभाव में मरें या बिजली के तार में सट कर अपनी जान गवाएं.
सीवान का बिजली विभाग एक दम से नाकारा हो गया है. उसे केवल कमीशन के चक्कर में बिजली बिल की पड़ी है. भले उपभोक्ता गर्मी से मरे या करंट से मरे. अगर, कहीं पर भी बिजली खराब होने के बाद उस क्षेत्र के जूनियर इंजीनियर को फोन किया जाता है तो पहले घंटो की मशक्कत के बाद लगता नही है और गलती से कहीं लग भी गया तो कम्पलेन लिखवाने की बात कर के टाल-मटोल की जाती है और कम्पलेन के घंटो बाद बिजली मिस्त्री आते हैं, जबकि तत्काल प्रभाव से उसे पांच मिनट में आनी चाहिए. क्योंकि हर इलाके के बिजली मिस्त्री की ड्यूटी 24 घंटे उस इलाके में है. इसके अलावा विभाग का बिजली मिस्त्री उस इलाके में बिजली ठीक करने के नाम पर लोगों से हजार से दो हजार रुपया की जबरन पैसा उगाही करते हैं.
इस बाबत जब शहरी क्षेत्र के जूनियर इंजीनियर से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि किसी भी मिस्त्री को पैसा नहीं देना है. अगर, वह ऐसा करता है तो उसकी आईडी के साथ विभाग में रिपोर्ट करें ताकि उसके खिलाफ कार्यवाही की जा सके. आजकल बिजली बिल जमा करने मे देरी होने पर बिल की राशि मे ब्याज लेने, लाइन काट देने का काम खूब जोर शोर से हो रहा है. पर, क्या उपभोक्ता को 24 घंटे लाइन पाने का हक नहीं हैं, क्या उपभोक्ता को विभाग द्वारा यह सूचित नहीं करना चाहिए की कब से कब तक लाइन अमुक कारण से नहीं सप्लाई होगी ? बिजली विभाग द्वारा बारिश होना, तार टूटना, जुलुस निकलना जैसे बहाने बनाये जाते हैं जो कितना वाजिब हैं ? तार बदलने की जिम्मेदारी किसकी है ? ज़ब आप निर्धारित दर से पैसे की वसूली कर रहे हैं तो फिर तकनिकी समस्यायों से तत्काल निपटना भी आपकी जिम्मेदारी बनती हैं जिसका विभागीय कर्मियों में घोर अभाव दिखता है और इसका खामियाजा वृद्ध, पढ़ने वाले बच्चे, किसान अब तो आम जन भी उठाने को मजबूर हैं. क्योंकि काफ़ी ऐसे परिवार हैं जहां चापकल नहीं हैं और वह सरकार द्वारा प्रदत नल जल योजना के माध्यम से सप्लाई होने वाले पानी पर निर्भर हैं जो बिजली के आभाव मे मृतप्राय हो चुकी हैं. (समरेंद्र कुमार ओझा की रिपोर्ट).
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