पटना में लेख्य-मंजूषा द्वारा हिंदी पखवारा का हुआ आयोजन
अभिषेक श्रीवास्तव
पटना में रविवार को दी इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) के सभागार में साहित्यिक व सांस्कृतिक संस्था ‘लेख्य-मंजूषा’ द्वारा हिंदी दिवस पखवारा का आयोजन किया गया. इस अवसर पर संस्था द्वारा विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राओं के बीच गद्य-पद्य प्रतियोगिता कराई गई और चुने हुए प्रतियोगियों को प्रशस्ति पत्र और मेडल देकर सम्मानित किया गया. साथ ही संस्था की त्रैमासिक पत्रिका ‘साहित्यिक स्पंदन’ का लोकार्पण भी किया गया जिसका संपादन संगीता गोविल ने किया है.
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इससे पूर्व मुख्य अतिथि डॉ सिद्धेश्वर कश्यप, विशिष्ट अतिथि डॉ सतीशराज पुष्करणा, इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स के अध्यक्ष अशोक कुमार सिन्हा, रंजू राही, विश्वनाथ जी, ‘लेख्य-मंजूषा’ की अध्यक्षा विभा रानी श्रीवास्तव ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की. अध्यक्षता विभा रानी श्रीवास्तव व संचालन वीणाश्री हेम्ब्रम ने किया.
इस अवसर पर एक शानदार कवि-सम्मेलन का भी आयोजन हुआ. खचाखच भरे सभागार में लोकप्रिय शायर एवं कवि समीर परिमल ने सुनाया ‘मैं बनाता तुझे हमसफ़र ज़िन्दगी, काश आती कभी मेरे घर ज़िन्दगी, हम फ़क़ीरों के क़ाबिल रही तू कहाँ, जा अमीरों की कोठी में मर ज़िन्दगी’. ऐनुल ‘बरौलवी’ ने सुनाया ‘आज मुझसे बड़ा ग़मज़दा कौन है, ये पता तो करो, बेवफ़ा कौन है’. गणेश जी बाग़ी ने कहा ‘सौतन जिसको बांट सके ना, सासु जी जिसे डांट सके ना, मन में बसा है जैसे प्राण, ए सखी साजन, ना सखी ज्ञान’. डॉ सतीशराज पुष्करणा ने सुनाया ‘ख़्वाब दर ख़्वाब भटकती आँखें, राहें हर रोज़ बदलती आँखें’. डॉ सिद्धेश्वर कश्यप ने कहा ‘इक हसीं गुलाब है अभी, ज़िंदगी ये ख़्वाब है अभी’. इनके अतिरिक्त कल्याणी कुसुम, मणि बेन द्विवेदी, वसुंधरा पांडेय, मो. नसीम अख़्तर, सिद्धेश्वर, सुषमा सिंह, रवि कुमार, आनंद मुखर्जी, रश्मि कुमारी आदि ने भी अपने काव्य-पाठ से दर्शकों की वाहवाही लूटी. साथ ही एकता ने अपने शानदार भाषण ने सबका दिल जीत लिया. मौके पर प्रेमलता सिंह, रंजना सिन्हा समेत कई विद्यालयों के प्राचार्य एवं छात्र-छात्राएं भी मौज़ूद रहे.
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