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युवा शायर समीर परिमल की ग़ज़ल संग्रह ‘दिल्ली चीखती है’ का हुआ लोकार्पण

अभिषेक श्रीवास्तव

पटना में सामयिक परिवेश पत्रिका के तत्वाधान में सोमवार को युवा शायर समीर परिमल की ग़जल संग्रह ‘दिल्ली चीखती है’ का लोकार्पण किया गया. अभिलेख भवन के सभागार में आयोजित इस लोकार्पण समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पूर्व मध्य रेलवे वरीय मंडल वाणिज्यिक प्रबंधक दिलीप कुमार ने शिरकत किया. वहीं ग़जल संग्रह दिल्ली चीखती है को अपनी मखमली आवाज में पिरोने वाली नवोदित गायिका श्रुति मेहरोत्रा के एलबम ‘बेखबर’ की सीडी को भी लोकार्पित किया गया.

इस मौके पर मौजूद हिंदी प्रगति समिति के अध्यक्ष कविवर सत्यनारायण ने कहा कि गजल संग्रह में इंसानी जिंदगी की कसमकस को न सिर्फ वाणी दी गई है बल्कि सामाजिक-राजनीतिक जीवन की विसंगतियों को भी साफगोई से उकेरा गया है. वहीं सामयिक परिवेश की प्रधान व लेखिका ममता मेहरोत्रा ने रचनाकार समीर परिमल और गायिका श्रुति मेहरोत्रा को बधाई देते हुए उनका उत्साहवर्धन किया. उन्होंने कहा कि सामयिक परिवेश पत्रिका पिछले आठ सालों से चल रही है लेकिन समीर परिमल के सम्पादक बनने से उसके प्रकाशन में नियमितता आई है. उन्होंने बताया कि यह पत्रिका विशेष रूप से नए साहित्यकारों को अवसर प्रदान कर उन्हें साहित्यिक जागरूकता प्रदान करने का कार्य कर रही है. जबकि अजीम शायर संजय कुमार कुंदन ने दिल्ली चीखती है की तारीफ़ करते हुए कहा कि इस गजल संग्रह में जिंदगी और जमाने के दर्द को बखूबी प्रस्तुत किया गया है. संजय कुमार कुंदन ने कहा कि समीर परिमल की गजलें वो सारा गुण रखती हैं जो एक महान शायर में होता है. उनकी गजलें सियासी तो नहीं है पर सियासत से नावाकिफ भी नहीं है.

वहीं वरिष्ठ शायर डॉ कासिम खुर्शीद ने कहा कि गजल में शायर ने जिंदगी की धड़कनों को खूबसूरती से अपने अल्फाजों में पिरोया है जो कि काबिल-ए-तारीफ़ है. मुख्य अतिथि और पूर्व मध्य रेलवे, सोनपुर के वरीय मंडल वाणिज्यिक प्रबंधक दिलीप कुमार ने समीर परिमल से अपनी दोस्ती का ज़िक्र करते हुए कहा कि शायरों को कभी-कभी गुनाह करना पड़ता है और एक ऐसे करीबी दोस्त के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के पद को ग्रहण कर उन्होंने गुनाह किया है. दिलीप कुमार ने दिल्ली को बल-प्रयोग करनेवाले शासक या प्रशासक के पर्याय के रूप में देखने को कहा और कहा कि सच में वह चीखती रहती है. इस मौके पर उन्होंने एक शेर भी प्रस्तुत किया. “पशेमाँ है वो मुझको जीतकर भी, मुझे भी हार का सदमा नहीं है”. बता दे कि दिलीप कुमार भी साहित्यकार हैं.

वहीं कार्यक्रम के द्वितीय चरण में खुद युवा शायर समीर परिमल ने अपनी गजल सुनाकर और श्रुति ने एलबम के ग़ज़ल गा कर श्रोताओं को झुमने पर मजबूर कर दिया. समीर परिमल ने बताया कि पुस्तक की भूमिका डॉ कासिम खुरशीद ने और फ्लैप डॉ कुँअर बेचैन ने लिखा है. सुभांजलि प्रकाशन, कानपुर द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक का मूल्य तीन सौ रूपये मात्र (सजिल्द) है. पुस्तक पाने के लिए और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9934796866 या 9472013051 से प्राप्त की जा सकती है. पुस्तक विक्रय हेतु अमेजन पर उपलब्ध है.

कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर रामनाथ शोधार्थी ने किया जबकि अंत में सभी मंचासीन गणमान्य साहित्यकारों को समीर परिमल, उनकी धर्मपत्नी रूपांजली व दीदी डॉ. नीलम श्रीवास्तव ने प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया. वहीं अविनाश कुमार झा ने धन्यवाद ज्ञापन किया. मौके पर शम्भू पी. सिंह, प्रभात सरसिज, डॉ. सतीशराज पुष्करणा, डॉ. भावना शेखर, आर. पी. घायल, डॉ. फ़िरोज़ मंसूरी,नीलांशु रंजन, मनीष कुमार, सुधा मिश्रा,राजकिशोर राजन, अक्स समस्तीपुरी, सूरज ठाकुर बिहारी, सुजीत वर्मा, पूनम आनंद, विभा सिन्हा, राकेश प्रियदर्शी, अनीश अंकुर, हेमन्त दास ‘हिम’, कुमार पंकजेश, असमुरारी नन्द मिश्र, नरेन्द्र कुमार, श्रीकान्त सत्यदर्शी, सिद्धेश्वर, घनश्याम, बी.एन.विश्वकर्मा, वसुंधरा पाण्डेय, विभा रानी श्रीवास्तव, प्रेमलता सिंह, कुन्दन आनंद, ज्योति गुप्ता, प्रीति सेन, प्रसिद्ध लोकगायिका नीतू नवगीत ,गणेश जी बाग़ी, ओम प्रकाश सिंह, सागरिका चौधरी, रेशमा प्रसाद आदि उपस्थित थे.

 

 

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