नालंदा : बिहारशरीफ सदर अस्पताल में बीमार बच्ची को लेकर डॉक्टर को खोजते रहे परिजन, इलाज के अभाव बच्ची ने पिता की गोद में तोड़ा दम
नालंदा में एकबार फिर सदर अस्पताल प्रशासन की लापरवाही सामने आई है. जहां अपने बीमार बच्ची को इलाज के लिए लेकर आये एक दंपत्ति वार्डों के चक्कर लगाते रहें लेकिन अस्पताल में चिकित्सक की गैर मौजूदगी के कारण बच्ची का समय पर इलाज नहीं हो सका और बच्ची ने पिता की गोद मे ही दम तोड़ दिया.
बताया जाता है कि शनिवार को बिहारशरीफ सदर अस्पताल में एक दंपति अपनी बच्ची को गोद में लेकर इलाज के लिए लाये. करीब एक घंटे बाद एक चिकित्सक ने नब्ज टटोला और मृत घोषित कर दिया. इसके बाद परिजन लापरवाही का आरोप लगाकर जमकर विलाप किया. दीपनगर थाना इलाके के राणाबिगहा निवासी राजीव कुमार का आरोप है कि उसकी पुत्री का लीवर इंफेक्शन का इलाज करीब एक वर्ष से पावापुरी मेडिकल कॉलेज में चल रहा था. आज अचानक उसकी तबियत खराब हो गयी. जिसके बाद वह अपनी बच्ची को निजी क्लीनिक में ले गये, जहां से उसे सदर अस्पताल भेज दिया गया. सदर अस्पताल लाने के बाद वह अपनी बच्ची को लेकर इमरजेंसी में ले गया जहां से ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने शिशु रोग विशेषज्ञ के पास भेजा. वहीं शिशु रोग विशेषज्ञ के अस्पताल में नहीं रहने पर स्वास्थ्यकर्मी ने पुनः इमरजेंसी वार्ड भेज दिया.
इस दौरान दंपति अपनी बच्ची को गोद में लेकर इधर से उधर भटकते रहें. बात बढ़ता देख इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर जो हड्डी रोग विशेषज्ञ थे, उन्होनें बच्ची का नब्ज टटोला और मृत घोषित कर दिया. बच्ची की मौत की खबर सुनते ही परिजन अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाकर चीख पुकार मचाने लगे. इधर, सदर अस्पताल के डीएस डॉ अंजनी कुमार ने बताया कि इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर ने बच्ची का इलाज किया था. ज्यादा तबीयत खराब होने के कारण रास्ते में ही उसकी मौत हो चुकी थी. वहीं शिशु रोग विशेषज्ञ के नहीं रहने की बात को सिरे से नकारते हुए कहा कि चिकित्सक तीन शिफ्ट में ड्यूटी पर मौजूद रहते हैं. विजिट पर रहने के कारण वे अपने चैंबर में मौजूद नहीं हो सकते हैं. (प्रणय राज की रिपोर्ट).
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