कैमूर : जिले में कई गांव ऐसे जो डिजिटल सेवाओं से हैं कोसों दूर, लोग फोन लगाने के लिये चढ़ते हैं पेंड या पहाड़ी पर
कैमूर जिले में कई ऐसे गांव हैं जहां आज भी लोग 4जी का लाभ उठाना तो दूर वहां बात करने के लिए नेटवर्क तक नहीं मिलता है. जिले के रामपुर प्रखंड के पहाड़ी की तलहटी में बसे तीन गांव ऐसे ही हैं, जहां नेटवर्क नही होने की वजह से यहां के लोग बदलते समय में पीछे छूट गए हैं. नेटवर्क डिजिटल इंडिया के युग में जहां में एक क्लिक में फौरन हम दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने में आसानी से जुड़ सकते हैं.
वहीं जिले के रामपुर प्रखंड भीतरीबांध, बखरम व बाराडीह के इन गांवों में लोगों को मोबाइल पर बात करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. यहां नेटवर्क पहुंच ही नहीं पाता है. इस कारण ग्रामीणों को कभी पेड़ पर तो कभी पहाड़ियों पर नेटवर्क के लिए चढ़ना पड़ता है. ऐसे में इन ग्रामीणों के लिए इंटरनेट किसी सपने से कम नहीं है. ये हालात जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर पहाड़ी के तलहटी में बसे गांव की है,जहा आज भी मोबाइल का नेटवर्क नहीं आता है. वहीं डिजिटल इंडिया का सपना दिखाने वाली सरकारें भी इन गांवों के लोगों से दूरी बनाए हुए हैं.
ग्रामीणों को नेटवर्क की सबसे ज्यादा समस्या पिछले वर्ष कोरोना महामारी के कारण हुए लाकडाउन में आई. जब महामारी के कारण वर्ष 2020 के मार्च में सभी स्कूल कॉलेजो को अनिश्चितकालीन समय तक बन्द कर दिया. जिसके बाद स्कूल कॉलेजों ने बच्चों की पढ़ाई के लिए ऑनलाइन माध्यम से कक्षाएं चलाई. लेकिन इन आनलाइन क्लासों का फायदा इस क्षेत्र के बच्चें नहीं उठा पाए,क्योंकि यहां नेटवर्क उपलब्ध नहीं था. ऐसे में बच्चें पहाड़ों की ऊंची चोटियों में जाकर नेटवर्क ढूढ कर पढ़ते नज़र आए. इस बात को एक वर्ष बीत गया. लेकिन बच्चों व ग्रामीणों की समस्या अबतक हल नहीं हुई. फिर एक बार कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने पुनः दस्तक दी. स्कूल कॉलेज फिर से बन्द हुए,ऑनलाइन कक्षाएं संचालित हुई,मगर कोरोना काल का तीसरा लहर भी बीत गया लेकिन इन ग्रामीण क्षेत्रो के बच्चें फिर से नेटवर्क अभाव में शिक्षा से वंचित होते नज़र आए. लेकिन कोई भी शाशन-प्रशासन को इन क्षेत्रों की यह समस्या नज़र नहीं आ रही है. यही हाल रहा तो ये बच्चें इंटरनेट के इस दौर में काफी पीछे रह जाएंगे. समस्या को देखते हुए ग्रामीण शाशन-प्रशासन से जल्द जल्द नेटवर्क कनेक्टिविटी की मांग कर रहे हैं.
बता दें कि नेटवर्क की समस्या को लेकर यहां के बाहर में रहकर पढ़ाई करने वाले छात्र घर नही आते है,ग्रामीणों ने बताया कि पिछले दो बार लगे लाकडाउन के कारण यहां आने से उंनसबो का पढ़ाई प्रभवित हुआ. जिससे इस वर्ष जितने शादी समारोह हुई उसमे पढ़ाई करने वाले छात्र नही आ पाए क्योकि उनकी ऑनलाइन पढ़ाई यहां आने से प्रभवित हो जाती है. भीतरीबांध, बखरम व बाराडीह गांव के ग्रामीणों के पास मोबाइल तो लगभग हर व्यक्ति के पास मौजूद हैं,पर इस गांव में रहने के दौरान इनके मोबाइल में कभी घण्टी नही बजती है. गांव में रहने के दौरान यदि किसी से इमरजेंसी में बात करनी होती हैं तो यहां के लोगो को पेड़ या पहाड़ी का सहारा लेना पड़ता हैं. पहाड़ी पर चढ़कर यहां के लोग फोन लगाकर बातचीत कर सकते हैं. पर, जैसे पेड व पहाड़ी से नीचे उतर कर अपने घर पहुंचते हैं उनका मोबाइल मात्र शॉ-पीस बनकर रह जाता हैं। इस गांव के निवासियों को यदि कभी कोई इमरजेंसी हो जाए और मेडिकल रिलीफ की आवश्यकता पड़ जाए तो ये ग्रामीण ना तो किसी को फोन कर सकते हैं और ना ही कोई अन्य इन्हें फोन कर किसी घटना दुर्घटना की जानकारी दे सकते हैं. इन ग्रामीणों का जीवन आज भी वैसा ही हैं, जैसा देश आज़ादी से पहले हुआ करता था.
ग्रामीणों ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि कई तरह की दिक्कतें आती हैं. अगर किसी को इमरजेंसी जैसे प्रसव पीड़ा के दौरान भी एंबुलेंस गांव में नहीं आ पाती है. एंबुलेंस को लो नेटवर्क के कारण सही समय पर सूचना नहीं दे पाते हैं. वहीं पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण सांप, बिच्छू सहित अन्य जहरीले जानवरों के काटने की घटनाएं भी ज्यादा होती है. इन घटनाओं के दौरान समय पर इलाज नहीं मिल पाता है. यदी कोई भी हादसा होने पर इन गांव में रहने वाले लोगों को तुरंत मदद नहीं मिल पाती है. इसके अलावा झगड़ा व अन्य कोई घटना होने पर गांव में पुलिस को सूचना देना अभी संभव नहीं हो पाता है. अब तो परेशानी इतनी है कि अब जहां नेटवर्क आता है। उस जगह को लोगों ने चिंहित कर लिया है. वहां खड़े होकर ही अब ग्रामीण अपने रिश्तेदारों से बात करते हैं,ऐसे में लोगों का जीवन खासा परेशानी भरा रहता है. ग्रामीणों ने कहा कि तमाम अधिकारियों और नेताओं के सामने अपनी समस्या रख चुके हैं. लेकिन उनकी समस्या का आज तक समाधान नहीं हुआ है. यही हालात रहे तो उनकी आने वाली पीढ़ी समाज और तेजी से बदलते समय से पिछड़ जाएगी. गांव में रहने वाले लोगों ने कहा कि वह नेता व अधिकारियों के सामने कई बार मोबाइल नेटवर्क की व्यवस्था करने मोबाइल टावर लगवाने सहित सभी मुद्दे रख चुके हैं लेकिन उनकी सुनवाई आज तक नहीं हुई.
नवनिर्वाचित मुखिया मोबाइल नही लेने की खाई कसम
भीतरीबांध के नवनिर्वाचित मुखिया श्री कांत पासवान ने कहा कि मेरे यहां नेटवर्क की समस्या काफी गंभीर है. मैं यह शपथ लिया हूं कि जब तक भीतरीबांध पंचायत में नेटवर्क की समस्या दूर नही हो जाती है तब तक मैं मोबाइल का प्रयोगा नही करूंगा और नाही मैं मोबाइल अपने पास रखूंगा. उन्होंने कहा कि ऐसा नही है कि इस पंचायत में विकास नही हैं. यहां बिजली से लेकर सड़क तक और हाई स्कूल तक विद्यलाय भी है लेकिन नेटवर्क समस्या होने के कारण यहां बहुत कार्य प्रभवित होता है.
क्या कहते है बीडीओ
इस संबंध में बीडीओ संजय पाठक ने जानकारी देते हुए बताया कि भीतरीबान्ध गांव पहाड़ी के तलहटी में बसा हुआ है. जिसके कारण वहां नेटवर्किंग की समस्या है. जिसके कारण वहां पर जानकारी लेने के लिए अपने कर्मियों को भेज कर समस्या की जानकारी लेना पड़ता है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि चुनाव में सेटेलाइट फोन जिला से उपलब्ध कराया जाता है जिसके बाद ही जानकारी प्राप्त होती है. (विशाल कुमार की रिपोर्ट).
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