कैमूर की शालिनी बनी लोको पायलट
रजनीश कुमार गुप्ता
कैमूर की एक लड़की शालिनी ने भारतीय रेल में बतौर महिला रेल ड्राईवर होने का गौरव हासिल किया है. शालिनी की इस उपलब्धि और सोच पर पुरे कैमूर जिले में उसकी चर्चा और तारीफ हो रही है.
नक्सल प्रभावित क्षेत्र कैमूर के चैनपुर के एक छोटे से कस्बा से शालिनी जिले कि पहली महिला है जो रेलवे में ड्राइवर कि नौकरी करती है. शालिनी के माता पिता किसान हैं. पाँच भाई बहने में सबसे बडी शालिनी है. वह बताती है कि कैमूर जिले जैसे छोटे जिले में पढ़ने-लिखने में काफी परेशानी होती थी. इसलिए उसने अपने नाना-नानी के घर उत्तर प्रदेश के चंदौली में आगे की पढाई पूरी की. अचानक मेरे मन में आया कि जब लड़के रेलवे के ड्राइवर हो सकते है तो हम लड़की हो कर क्यूँ नहीं. फिर शालिनी का कारवा चल पड़ा.
शालिनी को घर की बड़ी बेटी होने के नाते माता-पिता का भी खुब साथ मिला. 26 अप्रैल 2016 को अहमदाबाद रेलवे बोर्ड मे लोको पायलट के पद पर उनका चयन हो गया. आज शालिनी अपने बहनो सहित सभी लड़कियों को जागरूक कर रही हैं. वहीं शालिनी के पिता अनिल कुमार चौरसीया कहते है कि कैमूर नक्सल क्षेत्र और छोटा जिला होने के कारण पढाने में काफी परेशानी हुई. पर, आज शालिनी रेलवे में नौकरी कर रही है. जिसको देख कर आस-प़डोस रिस्तेदार अपने बेटियों को पढ़ाने में और नौकरी करवाने कि लिए शालिनी की चर्चा करते हैं.
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