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हाजीपुर : युवा गज़लकार समीर परिमल की गज़ल संग्रह “दिल्ली चीखती है” पर परिचर्चा आयोजित

अभिषेक श्रीवास्तव
हाजीपुर में सोमवार को राष्ट्रीय युवा विकास परिषद के तत्वावधान में युवा गजलकार समीर परिमल की नवीनतम पुस्तक ‘दिल्ली चीख़ती है’ में शामिल गज़लों पर परिचर्चा का आयोजन किया गया. जिसमें के जाने माने कवियों और शायरों ने शिरकत करते हुए समीर परिमल की गज़लों पर इतला फ़रमाया.
इस मौके पर वरिष्ठ शायर डॉ कासिम खुर्शीद ने कहा कि नई पीढ़ी की एक खूबसूरत और प्रभावशाली आवाज का नाम है समीर परिमल जिन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से ग़ज़ल को विशेष रूप से एक नया रंग और नई सोच अता की है. उन्होंने कहा कि समीर की गज़लों में नए युग की गूंज साफ तौर पर सुनाई देती है. वहीं राष्ट्रीय युवा विकास परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष किसलय किशोर ने कहा कि युवाओं को साहित्य और संस्कृति से जोड़ने के लिए उनका संगठन प्रयत्नशील है और इसी की श्रृंखला में आज युवा कवि समीर परिमल की किताब पर परिचर्चा का आयोजन किया गया है. वरिष्ठ कवि संजय कुमार कुंदन ने कहा कि समीर परिमल की नई किताब एक मुकम्मल किताब है इसमें जीवन का दर्शन, असमानता के विरुद्ध लड़ाई, कुछ कचोटती हुई पुरानी यादें और सियासत की बदलती हुई क़द्रों पर चोट की गई है और साथ ही साथ इन सब बातों को कहने के बाद भी इनकी गज़लों में शायरी ज़िंदा है. युवा शायर डॉ रामनाथ शोधार्थी ने कहा कि जब आदमी परेशान है तो देश का दिल दिल्ली का चीख़ना लाज़मी है. वहीं युवा समीक्षक और लोक गायिका नीतू कुमारी नवगीत ने कहा कि समीर परिमल गुमशुदा इंसान की ख़ामोशी को अल्फ़ाज़ का जामा पहनाकर उन्हें मजबूती प्रदान करने वाले शायर हैं इनकी गज़लों में विवाह की है साफगोई है और युवा पीढ़ी को नए संदेश देने की ताकत है. वहीं समीर की ग़ज़लों पर चर्चा करते हुए शिक्षाविद जीवेश कुमार सिंह ने कहा कि नए लेखक बहुत अच्छा लिख रहे हैं और खास करके बिहार के लोक साहित्य के क्षेत्र में काफी बेहतर कर रहे हैं.  वरिष्ठ साहित्यकार उमाशंकर उपेक्षित ने कहा कि साहित्य के क्षेत्र में नए हस्ताक्षरों का उदय संभावनाओं को जगाता है और आश्वस्त करता है कि युवा पीढ़ी भी सही दिशा में आगे बढ़ रही है.
गौरतलब है कि ‘दिल्ली चीखती है’ और ‘चंद कतरे’ के शायर समीर परिमल ने आयोजन के दौरान  अपनी ग़ज़ल सुना कर उपस्थित श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया. “हम फकीरों के काबिल रही तू कहां, जा अमीरों की कोठी में मर जिंदगी”. फिर उन्होंने सुनाया “ज़िद है तूफ़ां की, करे हमको वो बेघर अब भी, तान सीना हैं खड़े फूस के छप्पर अब भी, छोड़के घर को गया है मेरा मेहमां जबसे, करवटें रोज़ बदलता है ये बिस्तर अब भी.” इस अवसर पर शहर के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ ओम प्रकाश चौरसिया,  मोहिनी प्रिया, सोनपुर के वरीय मंडल वाणिज्य प्रबंधक दिलीप कुमार, साहित्यकार मेदिनी मेनन, हरि विलास राय, नागेंद्र मणि, निखिल कुमार राय, प्रजीत कुमार, अंशु कुमार, सज्जन सिंह, अभिषेक कुमार आदि उपस्थित रहें.
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