गोपालगंज में आई बाढ़ की विभीषिका में जिले के आधा दर्जन गांवों का अस्तित्व हुआ समाप्त
अतुल सागर
गोपालगंज में इस साल गंडक से आई प्रलयंकारी बाढ़ से जहाँ भारी तबाही हुई है. वहीं इस तबाही के लिए जलसंसाधन विभाग भी पूरा जिम्मेवार है. बाढ़ की विभीषिका के बाद जिले में इन दिनों गंडक का कटाव तेज हो गया है. इस कटाव को रोकने के लिए जलसंसाधन विभाग के द्वारा कटाव निरोधी कार्य तब शुरू किया गया जब कुचायकोट प्रखंड का काला मटिहनिया, विशम्भरपुर, सदर प्रखंड का भसही और धुपसागर गाँव पूरी तरह गंडक में विलीन हो गयें.
गोपालगंज के कुचायकोट का काला मटिहनिया, विशम्भरपुर, सदर प्रखंड का भसही और धुपसागर ये ऐसे गाँव हैं जो अब अस्तित्व में नहीं रहे. इन गांवों के हजारो घर, हजारो एकड़ में लगी गन्ने की फसल, धान की फसल और खेत सबकुछ कटाव की भेट चढ़ गया. इन गांवों के कटाव पीड़ित सरकार और प्रशासन पर कटाव निरोधी कार्य शुरू करने की मांग करते रहे. लेकिन, विभाग और सरकार ग्रामीणों की मांगो को अनसुनी करती रही. लेकिन अब जब पूरा गाँव गंडक में विलीन हो गया. लोग अपने घरो से बेघर हो गए. कटाव जब बाँध के समीप पहुच गया. तब विभाग के द्वारा कटाव रोकने के लिए बोल्डर पिचिंग का कार्य शुरू किया गया है. कटाव पीडितो में विभाग की इस लापरवाही के प्रति खासा आक्रोश है. कटाव पीड़ित व सामाजिक कार्यकर्ता अरुण सिंह ने सरकार और विभाग पर कटाव निरोधी कार्य में लापरवाही बरतने और लूटखसोट का आरोप लगाया है. उनके मुताबिक आज जो बोल्डर पिचिंग के कार्य कराया जा रहा है. यही कार्य एक माह पहले शुरू किया गया होता तो शायद इन गांवों को उजड़ने से बचाया जा सकता था. कालामटिहनिया की जसोदा देवी के मुताबिक उनका घर और सबकुछ गंडक में बह गया. अब वे खुले आसमान के नीचे रहने के लिए बेबश है.
वही काला मटिहनिया में काम कर रहे जलसंसाधन विभाग के सीवान डिवीज़न के कार्यपालक अभियंता नवल किशोर सिंह की माने तो कटाव निरोधी कार्य में कोई कोताही नहीं बरती गयी है. यहाँ भसही गाव में अब एक भी घर नहीं बचा. विभाग के द्वारा कटाव रोकने के लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है. लेकिन यहाँ गंडक से कटाव के लिए यूपी सरकार जिम्मेवार है. क्योकि वहां गंडक के कटाव को रोकने के लिए कोई कार्य नहीं कराया गया था. जिसकी वजह से गोपालगंज में तबाही हो रही है. यह किसी विडंबना से कम नहीं है की जलसंसाधन मंत्री बाँध और बाढ़ के लिए चूहे को जिम्मेदार ठहरा रहे है. जबकि विभागीय पदाधिकारी यूपी सरकार को.
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