गोपालगंज में एक ऐसा स्कूल, जहाँ एक हीं कमरे में लगती हैं तीन-तीन कक्षाएं
अतुल सागर
तस्वीर देखकर आपको ऐसा लग रहा होगा कि स्कूल के ब्लैक बोर्ड पर तीन छात्राएं किसी सवाल को हल करने में लगी हैं. लेकिन इस तस्वीर की हकीकत कुछ और ही हैं. बिहार में भले ही सरकार के शिक्षा मंत्री बदलते रहते हैं लेकिन कुछ नहीं बदलता है तो वह है सरकारी स्कूलों का बुनियादी ढाचा. सूबे में कई ऐसी स्कूल हैं जहाँ बच्चो को पढ़ने के लिए न तो पर्याप्त बुनियादी सुविधा हैऔर न ही संसाधन.
गोपालगंज जिला मुख्यालय के वार्ड नम्बर 10 में एक ऐसा हीं स्कूल है राजकीय प्राथमिक विद्यालय. जहाँ मात्र दो हीं कमरे हैं. जिसमे एक कमरे में आंगनबाड़ी का संचालन होता है. जबकि दुसरे कमरे में तीन क्लास की पढ़ाई एक साथ होती है. लिहाजा इस स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थी और उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षक सभी कंफ्यूज रहते है.इस स्कूल में एक ही ब्लैक बोर्ड है. एक ही बोर्ड पर तीन टीचर एक ही समय में तीन कक्षाओं का संचालन एक साथ करते है. स्कूल की शिक्षिका खुशबु कुमारी की माने तो यहाँ बच्चो को भारी कुव्यवस्था के बीच पढ़ाना उनकी मज़बूरी है. इस तरह से एक साथ एक ही बोर्ड पर पढ़ाने से वे खुद ही कंफ्यूज रहती है कि आखिर बच्चो को पढाए क्या. यहाँ एक ही बोर्ड पर तीसरी, चौथी और पांचवी क्लास के बच्चो को पढ़ाया जाता है.
वहीं स्कूल के प्राचार्य अनिल कुमार सिन्हा का कहना है कि इस स्कूल में मात्र दो ही कमरा है और एक आँगन है. यहाँ पढने वाले छात्रो की संख्या करीब 90 है. इतने छात्रो को पढ़ाने के लिए यहाँ छ: शिक्षिक कार्यरत है. स्कूल के एक कमरे में आंगनबाड़ी का संचालन होता है. जबकि दूसरे कमरे में तीन क्लास का संचालन होता है. बाकि क्लास स्कूल के बाहर बरामदे में चलाया जाता है. प्राचार्य के मुताबिक उनके द्वारा विभाग के आला पदाधिकारियो को कई बार इसकी सूचना दी गयी. बावजूद इसके विभाग द्वारा अब तक कोई ठोस करवाई नहीं की गयी.
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