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छपरा : कोरोना से जंग जीत कर लौटे शिक्षक का गांव वालों ने फूल माला पहनाकर किया स्वागत

छपरा में जैसे-जैसे कोविड-19 संक्रमण का प्रसार तेजी से फैल रहा है, इसको लेकर समाज में कई तरह की भ्रांतियां भी फैल रही है. कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लोगों को सामाजिक दूरियां अपनाने की बात कही जा रही है, लेकिन कुछ लोग सामाजिक दूरियों को मानसिक एवं भावनात्मक दूरियों में तब्दील करते दिख रहे हैं. आलम यह है कि जिले में कोरोना से जंग जीत चुके लोगों को सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन इन सबके बीच छपरा शहर के काशी बाजार मोहल्ले में कोरोना से जंग जीतकर लौटे शिक्षक को गांव वालों ने गर्मजोशी के साथ फूल माला पहनाकर स्वागत किया तथा उसका हौसला बढ़ाया.

बता दें कि कोरोना से समाज में दहशत का माहौल है और लोग कोरोना रोगियों की अपेक्षा से भी बाज नहीं आ रहे हैं. ऐसे में अरुण कुमार एक मिसाल है जिनका मुहल्लावासियों ने स्वागत किया है. शिक्षक अरुण सिंह की तबीयत 21 जुलाई को बिगड़ गई. जिसके बाद उनका सैंपल लिया गया और उसके बाद 29 जुलाई को उनकी कोरोना की पॉजिटिव रिपोर्ट आई. हालत को गंभीर देखते हुए उन्हें सदर अस्पताल के आइसोलेशन सेंटर में भर्ती कराया गया, जहां पर उनका समुचित व बेहतर उपचार के सुविधा मुहैया कराई गई.

मुहल्ले वालों ने पहनाया फूलमाला तो भावुक हो गए अरुण :

काशी बाजार निवासी शिक्षक अरुण सिंह जब कोरोना को मात देकर अपने घर लौटे तो परिवार के सदस्य गांव वालों ने उनको फूल माला पहनाकर स्वागत किया तो गांव वालों व घर के लोगों का प्यार देख अरुण भावुक हो गये और उनके आंखों से आंसू आ गए. गांव के लोगों ने मिठाइयां भी बांटी. यह वाक्या उन लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत साबित हो रहा है जो कोरोना से संक्रमित व्यक्तियों के प्रति भेदभाव की भावना रखते हैं या उनसे मानसिक व सामाजिक रूप से दूरी बना लेते हैं. इससे समाज को एक सकारात्मक संदेश मिला है.

तेज बुखार और सांस लेने में हो रही थी समस्या :

शिक्षक अरुण सिंह ने बताया कि 21 जुलाई से उनकी तबीयत बिगड़ गई और तेज बुखार और सांस लेने की शिकायत सामने आई. उन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर की भी जरूरत पड़ी। रिपोर्ट आने तक उन्होंने खुद को होम आइसोलेट किया ताकि अपने परिवार व अन्य लोगों को इस संक्रमण से बचा सके. लेकिन उनके संपर्क में आने से उनका पुत्र भी कोरोना का शिकार हो गया. हालांकि उसमें कोई भी लक्षण व समस्या नहीं है. उनका पुत्र अभी होम आइसोलेशन में है.

अस्पताल की व्यवस्थाओं पर जतायी खुशी :

शिक्षक अरुण कुमार कहते हैं कि लोगों के मन में अवधारणा बन चुकी है कि सरकारी अस्पताल में कोई सुविधा नहीं मिलती है. लेकिन जब मैं आईसोलेशन सेंटर में भर्ती हुआ तब वहां की व्यवस्था को देखकर उन्हें बहुत खुशी हुई. वह कहते हैं कि अब वह यह कह सकते हैं कि प्राइवेट अस्पतालों की अपेक्षा सरकारी अस्पतालों में व्यवस्था बहुत अच्छी है. आइसोलेशन सेंटर में समय समय पर खाना हुआ नाश्ता की सुविधा उपलब्ध है. साथ ही डॉक्टर और नर्स के द्वारा समय-समय पर ऑक्सीजन लेवल, पल्स ऑक्सीमीटर, बुखार बीपी आदि की जांच की जाती है. आइसोलेशन सेंटर में साफ-सफाई का भी विशेष ख्याल रखा जा रहा है चिकित्सकों के द्वारा मरीजों के मनोबल को बढ़ाया जा रहा है. जिससे कोरोना से संक्रमित मरीजो के स्वास्थ्य में काफी तेजी से सुधार हो रहा है. उन्होंने कहा कि वह लोगों से अपील करते हैं कि वह प्राइवेट अस्पताल में नहीं जाकर सरकारी अस्पताल में ही अपना इलाज कराएं वहां की सुविधा भी काफी अच्छी है.

कोरोना से डरने की नहीं लड़ने की जरूरत :

अरुण कहते हैं कि कोरोनावायरस एक संक्रामक बीमारी है इससे डरने की नहीं बल्कि सकारात्मक सोच व मजबूत हौसलों के साथ लड़ने की जरूरत है. इसमें परिवार व रिश्तेदारों का सहयोग अपेक्षित है. अगर कोई व्यक्ति संक्रमित हो जाता है तो उसके साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए बल्कि उसके मनोबल को बढ़ाने की जरूरत है, ताकि वह जल्द से जल्द कोरोनावायरस के संक्रमण से मुक्त हो सके.

अब बरत रहे हैं पूरी सावधानी :

कोरोना से ठीक हो चुके शिक्षक अरुण सिंह अब खुद को होम आइसोलेट कर लिया है तथा चिकित्सकों द्वारा बताए गए नियमों का पालन कर रहे हैं. 28 दिनों के होम क्वारेंटिंन को पूरा करने के बाद ही वह घरों से बाहर निकलेंगे. इससे बचाव के जो भी उपाय हैं उसको अपना रहे हैं. नियमित हाथों की धुलाई, मास्क का उपयोग, सामाजिक दूरी का पालन भी कर रहे हैं. (मनीष कुमार की रिपोर्ट).

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