छपरा : अन्नप्राशन दिवस पर पोषण के महत्व पर हुई चर्चा, छः माह से ऊपर के बच्चों को दी गई अनुपूरक आहार
छपरा में कोविड-19 संक्रमण के बीच बच्चों के पोषण का विशेष ख्याल रखा जा रहा है. इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग, आईसीडीएस के कर्मी प्रयासरत हैं. कोरोना वायरस की वजह से सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद कर दिया गया है. इस बीच में बच्चों के पोषण का विशेष ख्याल रखा जा रहा है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा अन्नप्राशन दिवस आयोजित कर पोषण की विशेषता व महत्व पर चर्चा की गई. साथ ही छः माह से ऊपर के बच्चों को अनुपूरक आहार दी गई. सेविकाओं द्वारा घर-घर जाकर बच्चों का अन्नप्राशन किया गया. बच्चों को बेहतर पोषण प्रदान कराने के उद्देश्य से प्रत्येक माह के 19 तारीख को अन्नप्राशन दिवस मनाया जाता है.
अनुपूरक आहार की जरूरतों पर हुई चर्चा :
सदर शहरी क्षेत्र के सीडीपीओ कुमारी उर्वशी ने बताया अन्नाप्राशन दिवस के असवर पर छः माह से ऊपर के बच्चों के अभिभावकों को बच्चों के लिए पूरक आहार की जरूरत के विषय में जानकारी दी गयी. छः माह से नौ माह के शिशु को दिन भर में 200 ग्राम सुपाच्य मसला हुआ खाना, नौ से 12 माह में 300 ग्राम मसला हुआ ठोस खाना, 12 से 24 माह में 500 ग्राम तक खाना खिलाने की सलाह दी गयी. इसके अलावा अभिभावकों को बच्चों के दैनिक आहार में हरी पत्तीदार सब्जी और पीले नारंगी फल को शामिल करने की बात बताई गयी. चावल, रोटी, दाल, हरी सब्जी, अंडा एवं अन्य खाद्य पदार्थों की पोषक तत्वों के विषय में चर्चा कर अभिभावकों को इसके विषय में जागरूक किया गया. आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा सात माह एवं इससे बड़े उम्र के ऐसे बच्चें जिनको खाने की आदत है, उन्हें अपने हाथों से खाना खिलाकर अन्नप्राशन कराया गया. इसके अलावा सेविकाएं खाने की इच्छा के संकेतों को पहचानकर साफ़ हाथ या चम्मच से खाना खिलाया.
कोरोनावायरस के प्रति सजग व सतर्क रहने की जरूरत :
अन्नप्राशन दिवस के अवसर पर आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा बच्चों के परिजनों को कोरोनावायरस के प्रति सजग व सतर्क रहने के लिए सचेत किया गया. साथ ही सेविकाओं द्वारा बताया गया कि बच्चों को छूने से पहले अपने हाथों को अच्छे से साफ करें. उसके बाद ही बच्चों को छुए ताकि किसी तरह के संक्रमण की खतरा ना हो.
ऐसे दें बच्चों को पौष्टिक आहार :
आईसीडीएस के डीपीओ वंदना पांडेय ने बताया छः माह से आठ माह के बच्चों के लिए नरम दाल, दलिया, दाल-चावल, दाल में रोटी मसलकर अर्ध ठोस (चम्मच से गिरने पर सरके, बहे नहीं), खूब मसले हुए साग एवं फल प्रतिदिन दो बार, दो से तीन भरे हुए चम्मच से देना चाहिए. ऐसे ही नौ माह से 11 माह तक के बच्चों को प्रतिदिन तीन से चार बार तथा 12 माह से दो वर्ष की अवधि में घर पर पका पूरा खाना एवं धुले एवं कटे फल प्रतिदिन भोजन एवं नाश्ते में देना चाहिए.
इन बातों का रखें ख्याल :
• छः माह बाद स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार शिशु को दें.
• स्तनपान के अतिरिक्त दिन में पांच से छः बार शिशु को सुपाच्य खाना दें.
• शिशु को मल्टिंग आहार(अंकुरित साबुत आनाज या दाल को सुखाने के बाद पीसकर) दें.
• माल्टिंग से तैयार आहार से शिशुओं को अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है.
• शिशु यदि अनुपूरक आहार नहीं खाए तब भी थोडा-थोडा करके कई बार खिलाएं. (सेंट्रल डेस्क).
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