बेगूसराय : शादी का झांसा देकर कई वर्षों से यौन शोषण की शिकार पीड़िता लगा रही दर-दर गुहार
नूर आलम
बेगूसराय जिला के गढ़हारा थाना क्षेत्र के गढ़हारा वार्ड नंबर 12 निवासी मो हैदर की 22 वर्षीय पुत्री चांदनी खातून ने गढ़हारा थाना में आवेदन देकर गांव के ही मो कयामुल उर्फ सोना मास्टर के पुत्र मो इनामुल हक उर्फ लाडला द्वारा शादी का प्रलोभन देकर कई वर्षों तक यौन शोषण करने तथा लड़की द्वारा शादी की बात करने पर टालमटोल करने का आरोप लगाया है.
इस बावत पीड़िता ने बताया कि मो इनामुल हक पांच साल पूर्व से ही उससे प्रेम करता था, लेकिन परिवार की माली हालत के कारण मां-बाप ने लड़की की शादी कहीं और कर दी. लेकिन इसके बावजूद भी उक्त आरोपी उस लड़की के ससुराल जाकर वहां उत्पात करता था और लड़की को अपने जाल में फंसाए रखा. लड़की जब गढ़हरा आई तो इनामुल ने चांदनी के पति के साथ मारपीट कर उसे भगा दिया और चांदनी को लेकर कटिहार चला गया और फिर उसे मायके लाकर छोड़ दिया. इसके बाद वह स्वंय परदेश चला गया और वहीं से चांदनी के भाई के खाते में रूपया भेजा करता था. लेकिन जब चांदनी ने शादी का दबाव डाला तो इनामुल, उसके पिता तथा उसकी मां ने कहा कि तुम छोटी जाति की हो, तुम्हारे साथ मेरा बेटा जितने दिन रहा उसके बदले में वह रूपया भेज दिया करता था. इसको लेकर गांव में पंचायत भी हुई. गांव के सभी पंचों ने लड़का को हाजिर होने को कहा कि लेकिन वह हाजिर नहीं हुआ. लड़का के पिता व सहयोगियों ने स्थानीय चौकीदार अरूण कुमार को अपने पाले में लेकर गढ़हारा के कई प्रभारी को भी लड़की के खिलाफ कान भरकर मामला को दर्ज नहीं किया.
हालात से तंग आकर 26 सितंबर को चांदनी ने एसपी को आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई. साथ ही सदर डीएसपी को भी मामले से संबंधित एक आवेदन दिया. सदर डीएसपी ने चांदनी को उक्त मामले में कार्रवाई का आश्वासन दिया. लेकिन एसपी व डीएसपी को आवेदन देना भी ढ़ाक के तीन पात ही साबित हुआ. जिसके बाद 1 नंवबर को पीड़िता ने सदर डीएसपी से पुनः न्याय की गुहार लगाई. जिनके कहने पर पीड़िता गढ़हारा थाना पहुंची तो वर्तमान थानाध्यक्ष ने पीड़िता पर अपशब्दों का प्रयोग करते हुए कहा कि तुम बेवजह हमलोगों को परेशान करती हो. लड़के ने मर्डर तो नहीं किया. जाओ जिससे शिकायत करना है करो. इसके बाद एक बार फिर पीड़िता सदर डीएसपी के यहां पहुंची, लेकिन किसी कारणवश डीएसपी पूरे दिन कार्यालय नहीं पहुंचे. पीड़िता ने बताया कि थक-हारकर वह आत्महत्या करने पर उतारू थी. लेकिन बुद्धिजीवियों ने उसे समझा बुझाकर शांत कराया.
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