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बेगूसराय : अति गंभीर कुपोषित बच्चों हेतु समुदाय आधारित प्रबंधन कार्यक्रम संवर्धन के जिलास्तरीय कार्यशाला-सह-कार्यक्रम का डीएम ने किया शुभारंभ

बेगूसराय में डीएम अरविंद कुमार वर्मा द्वारा शुक्रवार को कारगिल विजय सभा भवन में जिले के अति गंभीर कुपोषित बच्चों हेतु समुदाय आधारित प्रबंधन कार्यक्रम “संवर्धन” के जिलास्तरीय कार्यशाला-सह-कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया.

इस अवसर पर जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ गोपाल मिश्रा, जिला प्रोग्राम पदाधिकारी (आईसीडीएस) श्रीमती रचना सिन्हा, प्रो डॉ उषा सिन्हा, मुख्य कृषि वैज्ञानिक-सह-प्रधान अन्वेषक, भोजन एवं पोषण विभाग, डॉ. राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर, जिला जन-संपर्क पदाधिकारी भुवन कुमार, डॉ. शिवानी कार्यक्रम अधिकारी, यूनिसेफ, परिमल झा, राज्य पोषण विशेषज्ञ, पिरामल (स्वास्थ्य), पिरामल (स्वास्थ्य) के डीटीएम गोपाल कृष्ण चौधरी, प्रधान लिपिक अर्जुन चौधरी, एनएनएम के जिला समन्वयक सागर कुमार, जिला परियोजना सहायक अश्वनी कौशिक एवं अन्य संबंधित मौजूद थे.

इस अवसर पर डीएम ने कहा कि बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण से सम्बन्धित सूचकांकों में अपेक्षित सुधार के उद्येश्य से चलाए जाने वाले “संवर्धन” कार्यक्रम बेगूसराय जिले को कुपोषण मुक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के जरिए कुपोषण में कमी लाने हेतु पूर्व से चले आ रहे संस्थागत प्रयासों के अतिरिक्त समुदाय विशेष की भूमिका का विस्तार किया गया है, जो प्रभावी क्रियान्वयन से सकारात्मक परिणाम दे सकता है. उन्होंने कहा कि NFHS-4 की तुलना में NFHS-5 के अनुसार, राज्य में कुपोषित बच्चों के प्रतिशत में वृद्धि अंकित की गई है. इसी संदर्भ में बेगूसराय सहित राज्य के अन्य चार आकांक्षी जिलों में कुपोषित बच्चों का समुदाय आधारित प्रबंधन किए जाने का निर्णय लिया गया है. इसी क्रम में जिला के प्रत्येक प्रखंड में चिन्हित 06 आंगनबाड़ी केंद्रों (जिले में कुल 108) के पोषक क्षेत्रों में कुपोषित बच्चों का समुदाय आधारित प्रबंधन किया जाएगा. पीरामल फाउन्डेशन एवं यूनिसेफ के सहयोग से क्रियान्वित इस कार्यक्रम के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों पर कुपोषित बच्चों को वृद्धि निगरानी के माध्यम से पहचान कर सामुदायिक प्रबंधन यथा उर्जा युक्त भोजन, माइक्रोन्यूट्रेट सप्लिमेट, आवश्यकतानुसार मेडिकल उपचार, उचित व्यवहार हेतु परामर्श एवं फॉलो-अप, आशा कार्यकर्ता एवं आंगनबाड़ी सेविका द्वारा गृह आधारित देखभाल के माध्यम से कुपोषित बच्चों को सामान्य श्रेणी में लाने का प्रयास किया जाएगा. कार्यक्रम के सफल संचालन हेतु स्वास्थ्य एवं आईसीडीएस विभाग के संबंधित पदाधिकारियों एवं क्रमियों का क्षमतावर्द्धन प्रशिक्षण इन दोनों एजेंसियों के सहयोग से किया जाएगा. उन्होंने सभी पदाधिकारियों को इस कार्यक्रम के तहत मिलने वाली जिम्मेदारियों को बेहतर ढंग से निर्वहन करने का भी निर्देश दिया.

डीएम ने कहा कि कार्यक्रम की सफलता के लिए आवश्यक है कि इसके क्रियान्वयन में सभी संबंधित विभाग एवं एजेंसियां आपसी समन्वय के साथ कार्य करें ताकि सभी हितधारको का क्षमता निर्माण संभव हो सके. उन्होंने लाभुकों के साथ सामूहिक एवं व्यक्तिगत रूप से संवाद के साथ-साथ उन तक सभी आवश्यक सामग्रियों की ससमय आपूर्ति सुनिश्चित करने तथा कार्यक्रम के नियमित अनुश्रवण एवं निगरानी को आवश्यक बताया. इसी क्रम में कुपोषण के संबंध में व्यापक जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर आमजनों में कुपोषण के कारणों, पहचान तथा उसके दुष्परिणामों के संबंध में अपेक्षा कम रुकता होती इसलि आवश्यक है कि संवर्धन कार्यक्रम के जरिए आंगनबाड़ी सेविका एवं सहायिकाओं, आशा कार्यकर्ताओं आदि को विषय आधारित प्रचार सामग्रियां उपलब्ध कराया जाए ताकि गृह भ्रमण आदि के दौरान इन सामाग्रियों के जरिए कुपोषण के संबंध में व्यापक जागरूकता का प्रसार किया जा सकें.

गौरतलब हो कि “संवर्धन” कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विभिन्न विभागों के तहत मौजूदा मंच को एकीकृत कर समुदाय में वेस्टिंग (लंबाई के अनुसार वजन) की पहचान, रोकथाम, प्रबंधन तथा बच्चों के भोजन को बेहतर करना एवं सामुदायिक देखभाल तथा कुपोषण के प्रबंधन को सशक्त करना है. जिले में इस कार्यक्रम का क्रियान्वयन स्वास्थ्य विभाग, आईसीडीएस एवं जीविका व्दारा किया जाएगा. जबकि डॉ राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पीएमसीएच (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस), पटना, पिरामल स्वास्थ्य, यूनिसेफ आदि कार्यक्रम क्रियान्वयन में तकनीकी सहयोग प्रदान करेंगे.

इस अवसर पर मुख्य कृषि वैज्ञानिक-सह-प्रधान अन्वेषक, भोजन एवं पोषण विभाग, डॉ राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर ने अपने संबोधन में कुपोषित बच्चों के लिए ऊर्जायुक्त पौष्टिक भोजन एवं खानपान के महत्व विस्तार से चर्चा करते हुए समुदाय स्तर पर इसकी आवश्यकता पर प्रकाश डाला. इसी क्रम में उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के तहत कुपोषित बच्चों के देखभाल कर्ता एवं आंगनवाड़ी सेविका को ऊर्जायुक्त पौष्टिक भोजन बनाने की विधि एवं प्रदर्शन के बारे में विस्तार से प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. कार्यशाला को कार्यक्रम अधिकारी (यूनिसेफ) परिमल झा, राज्य पोषण विशेषज्ञ, पिरामल स्वास्थ्य, जिला प्रोग्राम पदाधिकारी (आईसीडीएस) आदि ने भी संबोधित किया. कार्यक्रम का संचालन करते पिरामल स्वास्थ्य के डीटीएम गोपाल कृष्ण चौधरी ने किया तथा संवर्धन कार्यक्रम के क्रियान्वयन योजना पर विस्तार से जानकारी दी. (पिंकल कुमार की रिपोर्ट).

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