सर्वश्रेष्ठ बनना हैं तो निरंतर अभ्यास करें
यहां सिर्फ बात कथक की नहीं हो रही है दुनिया की किसी भी विद्या में आपके सिद्ध हस्त होने के लिए उसका निरंतर अभ्यास करना आवश्यक होता है। सिर्फ उस विद्या को आपका सीखना काफी नहीं. बल्कि उस विद्या में सर्वश्रेष्ठ बनने के लिए आप को निरंतर अभ्यास की जरूरत होगी. निरंतर अभ्यास आपको किसी भी विद्या में सर्वोत्तम बना सकता है .
मैं बहुत से पेरेंट्स और नृत्य में इंटरेस्ट रखने वाले छात्राओं से मिली हूँ जो “कत्थक” “नही” सीखना चाहते!!!! वजह जानना चाहो तो ज्यादातर का मानना है कि यह विद्या काफी मेहनत मांगती है…
मुझे आपसे जानना है कोई ऐसा काम आप बताएं जिसमे मेहनत न हो आसानी से आप कुछ मिनटों में उस विद्या के महान ज्ञाता बन जाये! सच्चाई ये है कि आप कुछ भी सीखे-पढ़े अगर टॉप में आना चाहते है तो रात की नींद और दिन का सुकून छोड़ कर सर्वश्रेष्ठ बनने के लिए निरंतर प्रयासरत होना पड़ेगा। “निरंतर” जी हां यही वो शब्द है जो आपको आपकी सफलता निश्चित करवाएगा।
हम विद्या सीखते तो है पर प्रॉब्लम वहां शुरू होती है जहां आप शुरुआत की कक्षा में जो भी सीखते हैं वह घर जाकर पूरे उत्साह से उसका रियाज या अभ्यास दो घंटे,तीन घंटे या कभी-कभी पूरा दिन करते रहते हैं पर जैसे-जैसे आपका समय पुराना होता जाता है,आप पुराने विद्यार्थी होते जाते हैं वैसे-वैसे आपका रियाज/अभ्यास करने का समय कम होता जाता है। किसी दिन आपका मन हुआ तो आपने अभ्यास कर लिया और जिस दिन आप का मन नहीं हुआ उस दिन आपने छोड़ दिया। जिस वजह से निरंतरता नहीं बन पाती, और निरंतर अभ्यास ना करने की वजह से उस विद्या का आपके पास बने रहने में दिक्कत आने लगती है. आपका मन धीरे-धीरे उस विद्या से दूर जाने लगता है और फिर सीखते समय भी आप बोर महसूस करते है और बोरियत से आपको वही सब्जेक्ट कठिन लगने लगता है। पर इस बोरियत को दूर करने का क्या उपाय है. इसके लिए सबसे पहले तो आप को समय सारणी बनानी होगी कि हमें प्रतिदिन कितना अभ्यास करना है. और समय सारणी इतनी कठिन ना हो कि उसका पालन करने में आप चार-पांच दिन बाद ही ऊब जाएं. ज्यादा सही होगा कि आप शुरुआत में बहुत कम समय के लिए अभ्यास करें जैसे कि शुरू में सिर्फ 15 या 20 मिनट… आपकी हँसी छुट सकती है कि बात हो रही है सर्वश्रेष्ठ बनने की और अभ्यास सिर्फ 15 मिनट!! जी हां पर शर्त यह है कि आप 15 और 20 मिनट प्रतिदिन अभ्यास करेंगे बिल्कुल घड़ी देखकर इसमें आप 1 मिनट की भी कटौती नहीं करेंगे और वह भी नियम से उसी समय मतलब अगर सुबह 5 बजे तो 5 बजे। याद रखिए यह वादा आप कर रहे हैं तो इसमें कोई बहाना नहीं चलेगा जैसे कि मैं बीमार हो गया या हो गई या कल पार्टी में जाना था या कल मैं बहुत थक गई थी या थक गया था आदि आदि। यह शुरू के 15-20 मिनट आपके इंटरेस्ट के हिसाब से दिन के 4-5 घंटे में भी बदल जाएगा अगर आप निरंतर अभ्यास करते रहें। मैंने कहीं पढ़ा था कि अगर कोई काम आप निरंतर 21 दिन तक करते हैं तो वह काम आपकी आदत बन जाती है और इस आदत को आप लगातार बिना 1 दिन भी नागा किये 6 महीने तक करते हैं तो वह काम आपकी पर्सनालिटी आपका व्यक्तित्व बन जाती है. जी हां इस चीज को मैंने भी आजमाया है अगर सही में आपने 21 दिन तक लगातार कोई काम कर लिया तो 22वें दिन अगर आपसे वह काम छूटता है तो उस दिन आपको चैन नहीं पड़ेगा कि मैंने आज नहीं किया,नहीं किया… बार-बार यह बात आपके दिमाग में घूमती रहेगी और जब तक आप वह काम कर नहीं लेंगे आपको चैन नहीं आएगा। …तो सोचिए अगर किसी आदत को कुछ महीने तक लगातार कर लेने से वह काम आपका व्यक्तित्व बन जाएगा कि नहीं? इसका सबसे अच्छा उदाहरण है आप बचपन से ब्रश करते आ रहे हैं,नहाते आ रहे हैं। यह सारे काम क्या आपको अब याद दिलाने पढ़ते हैं या करने का मन नहीं करता है? …नहीं ना। यह काम आप स्वतः ही कर लेते हैं। तो याद रखिए कि निरंतर अभ्यास हमें उस काम की आदत डाल देगा जिससे आप उस विद्या के सर्वश्रेष्ठ जानकार बन जाएंगे।
धन्यवाद।
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