दुमका : संथाल आदिवासियों ने मनाया संथाली नया साल
दुमका में बुधवार को दिसोम मरांग बुरु युग जाहेर आखड़ा और दिसोम मारंग बुरु संताली अरीचली आर लेगचर आखड़ा के संयुक्त तत्वधान में मयूराक्षी नदी के तट पर संथाल आदिवासियों का नव वर्ष बहुत धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया गया.
बता दें कि संथाल आदिवासियों का धार्मिक विश्वास व मान्यता है कि सकरात पर्व वर्ष का अंतिम दिन होता है. ठीक सकरात के दुसरे दिन को संथाल आदिवासी नया साल के रूप में मनाते है. इस दिन को संताल आदिवासी नदी में नहाकर अपने पूर्वजो, मारंग बुरु, पुरोधोल गोसाय आदि इष्ट देवताओ का पूजा करते है और नदी में जांग बाहा बोहोल (हाल में मरे परिजन का नाखुन आदि नदी में बहाना) करते है.
इस अवसर में जनजातीय हिजला मेला परिसर में स्थित दिसोम मारंग बुरु थान में भी ग्रामीणों ने नव वर्ष में सभी की सुख शांति के लिय पूजा-अर्चना किया और अपने-अपने लिय मन्नते भी मांगे. वहीं ग्रामीणों ने पिकनिक का भी मजा लिया और मांदर के थाप पर नाच-गान भी किया. इसी माघ महीने में संथाल आदिवासी माघ पूजा भी करते है.
गौरतलब है कि प्रशासनिक, सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से माघ बोंगा बहुत ही महत्वपूर्ण है. जिसमे गांव के व्यवस्थाओ को चलाने वाले गुडित, प्राणिक, जोगमंझी, नायकी, भोक्तो आदि का पुनः चयन किया जाता है. संथाल आदिवासी के नव वर्ष के पावन अवसर में समाजसेवक डॉ धुनी सोरेन, लिवरपूल, लन्दन ने सभी को संताली नये साल की शुभ कामनाये दिए और सभी को सभ्याता और संस्कृति को बचाए / अछुन्य रखने के लिय धन्यवाद दिए और कहे सभ्याता और संस्कृति को बचाए रखने के साथ-साथ हम सभी को शिक्षा पर भी पुर जोर ध्यान देने की आवश्यकता बताये.शिक्षा के बिना सभ अधुरा है.
इस पावन अवसर पर डॉ धुनी सोरेन ने जनजातीय हिजला मेला परिसर में स्थित दिसोम मरांग बुरु थान में माथा टेका और ग्रामीणों के साथ मादर बजाया. मौके पर मंगल मुर्मू, बालेश्वर टुडू, सुनिलाल हांसदा, सुशिल मुर्मू,सोको हेम्ब्रोम, बुदीलाल मरांडी,रोशन हेम्ब्रोम, प्रदीप मुर्मू,विलियम मुर्मू,मदन हेम्ब्रोम, नोरेन मुर्मू, मुखिन मुर्मू, जोबा टुडू, बाबुराम मुर्मू, रासमति किस्कू, मिनी मरांडी, सुनीता टुडू, मर्शिला हेम्ब्रोम, एलीजाबेथ हेम्ब्रोम, मोनिका मरांडी के साथ काफी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे.
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