पटना पुस्तक मेला में ‘शायरी एवं समाज’ पर परिचर्चा आयोजित
अभिषेक श्रीवास्तव
पटना में गुरूवार को कला संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार और सीआरडी द्वारा सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र, ज्ञान भवन में चल रहे पटना पुस्तक मेला में एक परिचर्चा का आयोजन किया गया. जिसमें वक्ता के रूप में समीर परिमल, संजय कुमार कुंदन और क़ासिम खुर्शीद ने हिस्सा लिया. वहीं संचालन किया डॉ रामनाथ शोधार्थी ने किया.
परिचर्चा में समीर परिमल ने कहा कि जब एक शायर का दर्द समाज और दुनिया के दर्द से एकाकार हो जाता है तो उसका प्रेम सार्वभौमिक हो जाता है और उसकी शायरी बहुत बड़ी हो जाती है. वहीं संजय कुमार कुंदन ने कहा कि शायरी इसी समाज से निकलती है लेकिन कुछ लोग शायरी को हिक़ारत की नज़र से देखते हैं. बावजूद इसके शायर हमेशा समाज को अपने दिल मे लेकर ही चलता है. जबकि क़ासिम ख़ुर्शीद ने इस विषय की व्यापकता पर चर्चा करते हुए कहा कि शायरी को शायरों ने नहीं, अवाम ने ही ज़िंदा रखा है. उन्होंने कहा कि आज भी संसदीय इतिहास ये कहता है कि यहाँ अपनी अभिव्यक्ति के लिए जनता जे प्रतिनिधियों ने सर्वाधिक शेर प्रस्तुत कर अवाम का प्रतिनिधित्व किया है.
कार्यक्रम के शुरुआत में सीआरडी की ओर से जयप्रकाश ने तीनों वक्ताओं को सम्मानित किया. इस अवसर पर सम्मानित दर्शकों में प्रो इम्तेयाज़ अहमद, शम्भू पी सिंह, आर पी घायल, अवधेश प्रीत, कवि घनश्याम, नूर आलम, प्रो जावेद हयात, नीलांशु रंजन समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहें.
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