जमशेदपुर : बैंकों के देशव्यापी हड़ताल का व्यापक असर, ग्राहकों व उपभोक्ताओं को हुई भारी परेशानी
अभिजीत अधर्जी
बैंक ऑफ बड़ौदा, विजया बैंक और देना बैंक के विलय के विरोध में यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के आह्वान पर आहुत एक दिवसीय देशव्यापी हड़ताल का जमशेदपुर समेत कोल्हान पर व्यापक असर देखा गया. बैंककर्मियों की हड़ताल की वजह से सरकारी और निजी बैंको क्षेत्रों की 325 से अधिक शाखाओं में ताले लटके होने से लोगों को परेशानी उठानी पड़ी, लेकिन एटीएम खुला होने से लोगों को कुछ हद राहत मिलती दिखी. एक अनुमान के मुताबिक हड़ताल की वजह से पूरे कोल्हान प्रमंडल में बैंकिंग व्यवसाय पर करीब 900 करोड़ का असर पड़ा है.
केंद्र सरकार द्वारा बैंकों के विलय के प्रयासों का लगातार विरोध कर रहे बैंककर्मियों का संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के देशव्यापी हड़ताल का असर जमशेदपुर समेत कोल्हान के सभी बैंकिंग प्रतिष्ठानों और शाखाओं पर दिन चढ़ते ही दिखा. सरकारी और गैर सरकारी बैंकों की शाखाओं के समक्ष हड़ताली बैंककर्मियों ने एक जुटता दिखाते हुए सरकार की बैंकिंग नीति की आलोचना की और बैंक उपभोक्ताओं से उनके आंदोलन में सहयोग का आग्रह किया. बैंक यूनियन से जुड़े नेताओं का कहना था कि सरकार द्वारा बैंक ऑफ बड़ौदा, देना बैंक और विजया बैंक के विलय के प्रयासों का हम कड़ा प्रतिवाद करते हैं. वही सरकार से मांग करते है कि कॉरपोरेट ऋण चूककर्ताओं के विशाल खराब ऋणों की वसूली के लिए त्वरित कार्रवाई की जाय. यूनियन नेताओं का यह भी कहना था कि सरकार उनकी जायज मांगों की अनदेखी कर हठधर्मिता पर अड़ी दिखाई दे रही है. बैंकों के विलय से बड़ी संख्या में बैंककर्मीयों के समक्ष रोजगार से वंचित होने का खतरा उत्पन्न होगा, जिसे यू एफबी यू किसी भी सूरत में स्वीकार नही करेगा और जरूरत पड़ी तो भविष्य में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर भी जाएंगे.
इधर, पिछले कई महीनों से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन की राह पर चल रहे बैंककर्मियों ने इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाते हुए सरकार की बैंकिंग नीतियों की आलोचना की. बैंककर्मियों का कहना था कि हम हड़ताल पर जाना नही चाहते लेकिन सरकार की नीतियां हमे मजबूर कर रही है. बैंक कर्मियों का आरोप यह भी था कि दरअसल केंद्र सरकार बैड लोन की भरपाई पूरी करने के लिए बैंकों में कार्यरत कर्मियों को रोजगार से विमुख कर ऋण की भरपाई करने की नीति पर चल रही है, जिससे बेरोजगारी बढ़ेगी.
वहीं दूसरी तरफ बैंकों की हड़ताल की वजह से उपभोक्ताओं को भी खासी परेशानी उठानी पड़ी. लोगों का साफ तौर पर कहना था कि सरकार और बैंक यूनियन साझा बैठक कर इस मुद्दे का सर्वमान्य हल निकाले ताकि आये दिन बैंक हड़ताल की वजह से ग्राहकों को हो रही परेशानी से निजात मिल सके. बहरहाल, बैंक विलय को लेकर जमशेदपुर समेत कोल्हान के 12 हजार बैंककर्मियों के एक दिवसीय हड़ताल पर रहने से करीब 800 से 900 करोड़ के बैंकिंग व्यवसाय पर असर पड़ने का अनुमान लगाया जा रहा है. हड़ताल की वजह से बैंकों में आरटीजीएस/एनइएफटी नही हुए, ड्राफ्ट भी नही बने,चेक क्लियरेंस का काम भी ठप रहा. वही 20 हजार से अधिक राशि निकालने वालों को दिक्कतें उठानी पड़ी. ऐसे में बैंक कर्मियों की मांग को लेकर केंद्र सरकार का रुख आने वाले समय मे क्या होगा, यह तो भविष्य तय करेगा.
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