जमशेदपुर : मार्केटिंग बोर्ड के फरमान को लेकर व्यापार मंडल की बैठक
अभिजीत अधर्जी
जमशेदपुर में मार्केटिंग बोर्ड द्वारा जारी फरमान को लेकर शुक्रवार को व्यापार मंडल की एक बैठक श्री शिव राधा कृष्ण हनुमान मंदिर में व्यापार मंडल के अध्यक्ष दीपक भालोटिया के अध्यक्षता में हुई. इसमें जमशेदपुर चेंबर ऑफ कॉमर्स के संरक्षक मोहनलाल अग्रवाल, अध्यक्ष आलोक चौधरी, व्यापार मंडल के उपाध्यक्ष दिलीप अग्रवाल उर्फ पप्पू एवं अकाश शाह मंच पर उपस्थित थे.
बता दें कि मार्केटिंग बोर्ड के द्वारा एक फरमान जारी किया गया है कि जो लोग 31 दिसंबर तक अपने दुकान का किराया नहीं देंगे तो उनकी दुकान आवंटन रद्द कर दिया जाएगा. साथ ही पूरे झारखंड में सभी बाजार समिति के सचिव के द्वारा सभी को मार्केटिंग बोर्ड के आदेश पर इस तरह का पत्र जारी किया गया है. इसके विरोध में सभी व्यापारी एकजुट हो रहे हैं. फेडरेशन चेंबर ऑफ कॉमर्स रांची के द्वारा लगातार मीटिंग हो रही है और इसका विरोध भी कर रहे हैं. सुविधा के नाम पर बाजार समिति एकदम जीरो है. सभी बाजार समिति का रोड बिजली पानी का खस्ताहाल हो रहा है और ऊपर से भाड़ा के लिए पूरे झारखंड के व्यापारियों के साथ कृषि मंत्री रणधीर सिंह एवं मार्केटिंग बोर्ड के सभी पदाधिकारी उपस्थित होकर एक भाड़ा का निर्णय किया गया था. एबीसीडी ग्रेड के हिसाब से उसी आधार पर रांची, जमशेदपुर व धनबाद 2 रुपये का 4 रुपये स्क्वायर फीट भाड़ा देने को कहा था. उसको भी मार्केटिंग बोर्ड के द्वारा नहीं माना और ना ही नोटिफिकेशन किया और आज जो मंत्री के द्वारा भाड़ा बढ़ाया गया था वह भाड़ा व्यापारी देने के लिए तैयार है. इस तरह का फरमान मार्केटिंग बोर्ड के द्वारा सभी बाजार समिति के द्वारा अखबार में व्यापारियों को बदनाम करने के लिए उनका नाम निकाला जा रहा है. इसी के विरोध में आज बाजार समिति में बैठक हुई मोहन लाल अग्रवाल आलोक चौधरी दिलीप अगरवाल सभी ने अपने अपनी बात रखी. बैठक में पूरे बाजार समिति से काफी संख्या में व्यापारी उपस्थित थे.
सभी ने फेडरेशन चेंबर के द्वारा सभी बाजार समिति में बैठक करने का निर्णय का स्वागत किया और 25 दिसंबर को फेडरेशन चेंबर ऑफ कॉमर्स के द्वारा रांची में एक बैठक 11:00 बजे रखी गई है. जिसमें झारखंड के सभी व्यापारी उपस्थित होकर बाजार समिति के इस बात को रखेंगे और इस तरह का कार्रवाई का विरोध करेंगे. बाजार समिति में करोड़ों करोड़ों रुपया का फंड फीस डिपॉजिट के रूप में है. लेकिन उस पैसे से विकास नहीं करना ना ही उसका इंटरेस्ट के पैसे से विकास करना है और किस तरह से व्यापारी पर दबाव पदाधिकारी के द्वारा बनाया जा रहा है.
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