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दुमका : कहने को ओडीएफ घोषित जिला लेकिन विकास से कोसों दूर

दुमका जिला को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है. जनप्रतिनिधियों और सरकार के नुमाइंदों द्वारा विकास की बयार बहाने की बात की जाती रही है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. विकास का सच क्या है देखिये इस रिपोर्ट में.

दुमका में चुनावी पारा चढ़ गया है. चुनावी तपिश के सामने गर्मी की तपिश फीकी पड़ गई है और दुमका जिला के भाजपा प्रमंडल कार्यालय में पहुंचे भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रवीण प्रभाकर भाजपा सरकार की उपलब्धि गिनाते नहीं थक रहे हैं. लेकिन हकीकत इससे पर है.

बता दें कि दुमका जिला के जामा विधान सभा और दुमका लोक सभा आदिवासी के लिए सुरक्षित सीट है. इस सीट पर आदिवासी नेतृत्व काबिज है, दल चाहे जो भी हो लेकिन जामा प्रखंड के 45 घर और 400 आबादी वाला यह गांव आज भी विकास से कोसो दूर है. गांव की सरिता मरांडी और शुभासिनी मुर्मू बताती हैं कि महुआडांड़ में सड़क, शौचालय, शिक्षा, रोजगार जैसी कोई सुविधा नहीं है. इस गांव में आदिवासी जाती के लोग निवास करते हैं और जब जब चुनाव आता है नेता दर्शन देते हैं, वोट लेते हैं और विकास की बात कहकर चले जाते हैं.

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