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दुमका : पत्थर माफियाओं के खिलाफ प्रशासन का रेड, अवैध खदान को किया गया सील

दुमका में अवैध रूप से संचालित खादानों के विरूद्ध गुरूवार को एक बार फिर बड़ी कार्रवाई हुई. पत्थर माफियाओं पर नकेल कसने के लिए एसडीओ राकेश कुमार के नेतृत्व कार्रवाई करते हुए जिला प्रशासन ने तीन पोकलेन, पांच ट्रक, 15 डंफर एवं एक बलास्टर मशीन जब्त करते हुए अवैध खादान को सील करने का आदेश दिया. कार्रवाई जिले के नक्सल प्रभावित शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के कौआमहल, कुलकुलीडंगाल सहित विभिन्न जगहों पर अवैध रूप से संचालित पत्थर खादानों में हुई.

हालांकि जिला प्रशासन द्वारा किसी की गिरफ्तारी नहीं की जा सकी. जिला प्रशासन के कार्रवाई की भनक लगते ही संचालक महेंद्र पोद्दार अर्जुन मंडल सहित खनन में संलिप्त तमाम कारोबारी भागने में कामयाब रहे. माफियाओं के वर्चस्व एवं रसूक का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नियमों को ताक पर रख गांव के घनी आबादी के बीचो-बीच, प्राईमरी स्कूलों एवं मुख्य सड़क किनारे तक अवैध खनन का विस्तार कर लिया है. छापेमारी की गई स्थलों को देख साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि कार्रवाई से चंद घंटे पहले तक माफियाओं द्वारा खादान को संचालित किया गया था. जिसे छापेमारी दल ने भी स्वीकारा है. टीम ने विस्फोट से पहले खादानों में बिछाए गये ब्लाटिंग तार भी पाया हैं, जिससे निकालने के लिए विस्फोटक एक्सपर्ट की मदद से कनेक्शन काटा जायेगा. इससे किसी प्रकार की अनहोनी घटित होने से बचाया जा सके.

कार्रवाई के दौरान टीम ने कई ओवरलोड़ वाहन भी जब्त किया। छापेमारी दल दो टीमों में बंटी थी. टीम में एसडीपीओ पूज्य प्रकाश सहित अन्य स्थानीय पुलिस बल शामिल थे. यहां बता दें कि बीते बुधबार को बलास्ट करने के लिए ड्रील करने के दौरान उंचाई से गिरकर मजदूर की मौत हो गई थी. मजदूर के मौत के बाद माफियाओं द्वारा शव तक गायब कर दिया गया था, जिससे पुलिस को साक्ष्य भी नहीं मिल पायी. पुलिस 48 घंटे बाद भी मजदूर का शव बरामद नहीं कर सकी.

गौरतलब है कि झारखंड में भारतीय जनता पार्टी की सरकार में सरकार के कार्य मे पार्टी के लोग ही सवाल उठा रहे हैं. दुमका जिला के शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र में अवैध चल रहे पत्थर खाद्दान्न की कार्रवाई के दुमका जिला भाजपा के मीडिया प्रभारी ओम केसरी ने आयुक्त को आवेदन देकर कार्रवाई मांग की थी. जिसका संथाल परगना आयुक्त ने संज्ञान लेते हुए खनन निर्देशक को जांच के आदेश दिए थे. हालांकि उस आदेश का अभी पता नहीं चल पाया है.

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