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दुमका : एक ऐसा गांव जहां नहीं है पीने का पानी, झरना और नालों के पानी से लोग बुझाते हैं प्यास

दुमका ज़िले के रानेश्वर प्रखंड के तालडंगाल पंचायत के तारादह गांव में पीने का पानी का संकट कई वर्षो से है.

बता दें कि कुल 70 घरों वाला यह गांव सिर्फ एक चापाकल और एक कुआ पर निर्भर है. वहीं पिछले आठ वर्षो से चापाकल ख़राब होने के कारण गांव में पीने के पानी की किल्लत है. जिस कारण ग्रामीण मजबूरन झरना और नाले का पानी पीने के विवश है.

ग्रामीणों का कहना है कि प्रदूषित पानी पीने से बीमारी होती है. लेकिन कोई उपाय भी तो नही है. ग्रामीण निमाई चंद्रपाल ने बताया कि पानी के अभाव में हमें मजबूरन प्रदूषित पानी पीना ही पड़ता है. ग्रामीणों ने मिस्त्रीयो पर यह भी आरोप लगाया कि बनाने के नाम पर चापाकल के सामान भी गायब किये गए है. ग्रामीणों का यह भी कहना है कि विभाग और जन प्रतिनिधि उदासीन है.

ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री जन संवाद केंद्र में भी शिकायत दर्ज करवाया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. वहीं थक हार कर ग्रामीणों ने अब मन बना लिया है कि पानी के बिना अबकी बार वोट नही दिया जाएगा. ग्रामीण आधा किलोमीटर के दुरी से झरना और नाला का पानी पीने के लिय लाते है.

कौन चापाकल कितने वर्षो से ख़राब है :

(1)रामनाथ गोराई के घर के सामने का चापाकल करीब आठ वर्ष से ख़राब है.
(2) तारादह प्राथमिक स्कूल का चापाकल करीब पांच वर्ष से ख़राब है.
(3)रुबिलाल किस्कू के घर के चापाकल लगभग तीन वर्ष से ख़राब है.
(4)सुनील मुर्मू के घर के सामने का चापाकल लगभग तीन वर्ष से ख़राब है.
(5)निताय गोराई के घर के सामने का चापाकल लगभग एक वर्ष से खराब है.
(6)ग्राम प्रधान भूटू मुर्मू के घर के सामने का चापाकल करीब एक वर्ष से खराब है.

गौरतलब है कि एक तरफ सरकार सबका साथ सबका विकास की बात करती है, डीजिटल भारत का सपना दिखाती है. वहीं दूसरी तरफ दुमका ज़िले के रानीश्वर प्रखंड के तालडंगाल गांव में  यह सपना अधूरा नज़र आता है.

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