चाईबासा : राष्ट्रीय पोषण माह पर कार्यशाला अयोजित, डीसी अरवा राजकमल ने किया उद्घाटन
संतोष वर्मा
चाईबासा जिले के स्थानीय पिल्लई हॉल चाईबासा में रविवार को राष्ट्रीय पोषण माह से संबंधित कार्यशाला का शुभारंभ उपायुक्त अरवा राजकमल ने दीप प्रज्जवलित कर किया. राष्ट्रीय पोषण माह दिनांक 1 सितम्बर से 30 सितम्बर तक चलाया जा रहा है. एक सितम्बर को जिले के चक्रधरपुर अनुमण्डल अस्पताल में पोषण माह का शुभारंभ किया जा चुका है. आज चाईबासा में पोषण माह के तहत कार्यशाला आयोजित की जा रही है. कुपोषण माह के इस कार्यशाला में उपस्थित लोगों को पोषण शपथ दिलाई गई. साथ ही बच्चों को अन्नप्राशन एवं गर्भवती महिलाओं की गोदभराई की गई.
इस अवसर पर उपायुक्त पश्चिमी सिंहभूम अरवा राजकमल ने कहा यह कार्यक्रम प्रखण्ड स्तर पर होगा, क्योंकि ग्राम स्तर में भी जागरूक करना है. जिले की सबसे बड़ी जटिल समस्या कुपोषण है. जिसे एक टीका से समाप्त नहीं किया जा सकता है. कुपोषण की समस्या का कारण गरीबी एवं बाल विवाह है. आधे बच्चे की मृत्यु पहले 24 घंटे मे कुपोषण से होती है. सभी विभागों का समन्वय जरूरी है. जहां कमियां हैं, वहां सुधार लाने का प्रयास करना है. जिले में 6000 बच्चे कुपोषित श्रेणी में हैं, इनका सुधार करने के लिए प्रयास करना है. उन्होंने कहा कि खूंटपानी की सेविकाएँ मॉडल कार्य कर रही है. घर के आस पास जो पोषक तत्व प्राप्त होती है. उन्हीं वस्तुओं का आहार स्वयं सहायता समूह द्वारा उत्पाद कर उपलब्ध कराई जाय. आज भी बीमारी पर अंधविश्वास है ओझा गुणी के पास जाकर आदमी भटक जाते हैं. अब एलकेजी में विद्यालय में बच्चे जाएंगे. 5 से 6 वर्ष के बच्चे स्कूल जाएंगे.
उपायुक्त अरवा राजकमल द्वारा बताया गया की आज जिले में पांच सौ आगंनबाड़ी केंद्र का अपना भवन नहीं वैसे सभी आंगनबाड़ी भवन किराये पर चल रहें है. लेकिन इस मामले को पहली प्राथमिकता मुख्यमंत्री के द्वारा दी गई है और शीघ्र ही सभी भवन हीन आंगनबाड़ी केंद्रो का अपना भवन होगा.इसके लिए मुख्यमंत्री फण्ड दे रहे है और इसी वित्तीय वर्ष में सभी शेष आंगनबाड़ी भवन बनेंगे. अगले तीन माह में आगनबाड़ियों में एक लाख बच्चों का स्वास्थ्य जांच की जायेंगी. बाल स्वास्थ्य सप्ताह कार्यक्रम के तहत गंभीर रोगों की चिकित्सा की जायेगी. तीन माह रूटिन वर्क से बढ़कर कार्य करने पर लक्ष्य प्राप्त कर सकते है. खूंटपानी प्रखण्ड को कुपोषण मुक्त के लिए प्रयास करना है. उपायुक्त ने कहा कि प्रत्येक धात्री महिलाओं की चार बिन्दुओं पर मुख्याध्यान रखना है. चार एन्टी नेटल चेकअप करना है, संस्थागत प्रसव हो इसको ध्यान में रखना, समय पर सभी टीके एवं इम्युनाईजेशन हो तथा 6 माह पर बच्चे को मां के दुध के साथ अतिरिक्त पौष्टिक आहार प्रारंभ करना है. इन सभी बातों को आंगनवाड़ी सेविका एवं एएनएम की देख रेख अति महत्वपूर्ण होता है. उपविकास आयुक्त आदित्य रंजन ने कहा कि महिला पर्यवेक्षिका एएनएम एवं सहिया के बीच सामंजस्य स्थापित कर कार्य करेंगे. महिला पर्यवेक्षिका प्रतिदिन तीन आंगनबाड़ी केन्द्र की जांच करेंगे. एवं इसकी फोटोग्राफ ग्रुप को भी भेजेंगे. आंगनवाड़ी केन्द्र के सभी रजिस्टर में जांच कर हस्ताक्षर करेंगे. जागरूक सेविकाओं की सूची उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। 100 आगनबाड़ी को मॉडल बनाने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होने कहा कि जांच के मापदण्ड, सुधार के दृष्टिकोण से होगी. कुपोषण के साथ सेविकाओं को शिक्षा पर भी ध्यान देने का निर्देश दिया.
कुपोषण माह के इस कार्यशाला में उपविकास आयुक्त आदित्य रंजन, समाज कल्याण पदाधिकारी नीतीश कुमार सिंह, सिविल सर्जन मंजू दुबे, जिला कृषि पदाधिकारी राजेन्द्र किशोर सहित सेविका सहिया एवं स्वयं सहायता समूह की महिलाएं उपस्थित थे.
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