Abhi Bharat

चाईबासा : दो वर्ष पहले 77 लाख की लागत से बनी सड़क पर फिर से 52 लाख खर्च करने की तैयारी

संतोष वर्मा

चाईबासा के चौक चौराहें पर ठेला व खोमचेे लगा कर दुकान चलाने वाले गरिबों की गाढ़ी कमाई का पैसा किस तरह बंदर बांट या फिर घोटाला होती है. उसका जिता जागता प्रमाण देखना है तो पश्चिमी सिंहभूम चाईबासा जिले के चाईबासा नगर परिषद में देखने को मिलेगा. चाहे वो कचड़े उठाने के नाम पर हो या सड़क निर्माण के नाम पर.

वैसा ही एक मामला सामने आया है चाईबासा नगर परिषद के कार्यक्षेत्र अंतर्गत बाजार के मुख्य सड़क जो नगर परिषद कार्यालय से सटे है. यह सड़क का निर्माण महज दो वर्ष पहले नप कार्यपालक पदाधिकारि कमल कुमार सिंह के कार्यकाल में 77 लाख की लागत से बनाई गई थी. वहीं सड़क एक बारिस भी पुरी नहीं झेल पाई और जर्जर हो गई सड़क. अब उसी सड़क का पुनः निर्माण कराने के लिए 52 लाख की प्राकलन तैयार की गई है, जिसे शिघ्र ही धरातल पर उतारने की तैयारी चल रही है. जबकी नियम के तहत किसी भी योजना का चार से पांच वर्ष पुरा होने के बाद ही वैसी योजना पर राशी खर्च करने का प्रावधान है. अब चाईबासा शहरी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की जुबान पर यह अटकलें लगने लगी है कि आखिर अब 1 करोड़ 29 लाख का हिसाब कौन देगा जो गरिबों की गाढ़ी कमाई से वसुले गये है टैक्स के रूप में रूपये. क्या जिला प्रशासन देगा या सरकार देगी या फिर नगर परिषद विभाग ? खैर मामला जो भी हो लेकिन यह सोचनिय सवाल है कि जिस सड़क पर दो वर्ष पहले 77 लाख रूपये खर्च की गई हो और उक्त सड़क का चार वर्ष का कार्यकाल भी पुरा नहीं हुआ और पुनः 52 लाख का डीपीआर बन कर तैयार हो गई.

ज्ञात हो की चाईबासा नगर परिषद क्षेत्र के जैन चौक से बस स्टैंड तक करीब आधा किमी सडक दो साल पूर्व 77 लाख की लागत से बनी थी और अब दो साल बाद उसी सडक को 52 लाख की लागत से बनाने की तैयारी हो चुकी है. नगर परिषद के इस फैसले से हर कोई हैरान है कि नगर परिषद जनता की गाढी कमाई को दोनों हाथ से लुटा रहा है और सरकार चुपचाप हाथ पर हाथ रख कर तमाशा देख रही है. सबसे दिलचस्प बात यह है कि पहली बार जब सडक निर्माण भ्रष्टाचार की भेंट चढा तो जिला प्रशासन ने अगली बार सडक निर्माण किसी दूसरी एजेंसी से कराने का फैसला लिया था, लेकिन फिर से नगर परिषद से ही सड़क बनाने का फैसला किया गया है.

गौरतलब है कि दो साल पूर्व उक्त आधा किमी सड़क 77 लाख की लागत से बनाया गया था, लेकिन पहली बरसात में ही यह मुख्य सड़क बह गयी, जिससे सड़क निर्माण में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार को लेकर काफी हंगामा हुआ, जांच हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. अब दो साल बाद नगर पर्षद उसी जैन चौक से बस स्टैंड तक की सडक को 52 लाख की लागत से फिर से बनाने जा रही है. इसके लिए टेंडर निकाला गया है और एक-दो दिन कार्यादेश भी ठेकेदार को दे दिया जाएगा. दरअसल, शहर के प्रमुख सडकों में शामिल जैन चौक से बस स्टैंड तक सडक निश्चित रूप काफी जर्जर स्थिति में हैं, जिसमें गढ्ढे ही गढ्ढे है, गढ्ढों में बरसात का पानी भरा है, कई जगह तो गढ्ढे तालाब का रूप ले चुके हैं, जिस पर चला मुश्किल है. इसे बनाया जाना बेहद जरूरी है. लेकिन नगर परिषद के द्वारा ही सड़क बनाने का शहर के लोग ही नहीं जिला सड़क सुरक्षा समिति के सदस्य भी विरोध करते हुए कई सवाल खड़े कर रहे हैं. आमलोगों का कहना है कि दो साल पहले 77 लाख की सड़क का हिसाब कौन देगा? जिला सड़क सुरक्षा समिति के सदस्य राजाराम गुप्ता ने जिला प्रशासन से नगर परिषद के बजाए किसी दूसरे एजेंसी से सडक निर्माण कराने की मांग की है.

क्या कहती हैं पूर्व नप अध्यक्ष निला नाग

चाईबासा के नगर परिषद की पूर्व अध्यक्ष निला नाग से पुछे जाने पर बताया गया उक्त सड़क निर्माण कार्य का बिल पास करने के लिए जब हमारे कार्यकाल में फाईल आई थी तो हमने सपष्ट लिखा था कि सड़क निर्माण कार्य का जांच पुरी होने के बाद बिल का भुगतान किया जायेगा. लेकिन नप कार्यपालक पदाधिकारी कमल कुमार सिंह अध्यक्ष के बगैर सहमति लिए हुए संवेदक को बिल का भुगतान कर दिया. जबकि इस मामले की जांच तत्कालिन उपायुक्त शांतनु अग्रहरी ने ही जांच का आदेश दिये थे जो वर्तमान समय में नगर विकास विभाग के आयुक्त रांची में पदस्थापित है.

You might also like

Comments are closed.