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चाईबासा : जिले के चक्रधरपुर थाना के समीप माओवादियों ने साटा पर्चा, 3 अगस्त को बिहार-झारखण्ड बंद और 1-2 को विरोध दिवस का किया ऐलान

संतोष वर्मा

बिहार झारखण्ड जोन के स्पेशल एरिया कमेटी भाकपा माओवादी सदस्यय आजाद ने पिछले कई दिनों से कोलहान के सारण्डा क्षेत्रों में पोस्टर कर रहे है. वहीं बीते रात माओवादी सदस्य आजाद के नाम पर जिले के चक्रधरपुर अनुमंण्ड थाना के समीप और गोईलकेरा क्षेत्रों में नक्सली दस्तावेज साटा गया है.

उक्त पर्चा में लिखा गया है कि पुलिस द्वारा अॉपरेशन ग्रीन हंट के तहत शोषक शासक वर्ग द्वारा चलाया जा रहा है व वर्वर दमन अभियान समाधान के जबाबी घमशान के जरिए प्रशस्त करें और शहीदों का बदला लेने के लिए आगे बढ़े भाकपा माओवादी. साथ ही यह भी घोषणा की गई है की इस पुलिस दमन के बिरोध में माओवादी संगठन के द्वारा 1व 2 अगस्त को दो दिवसीय बिरोध दिवस मनाया जायेगा और 3 अगस्त को एक दिवसीय बिहार झारखंण्ड बंद का अह्वान किया गया है. इस पोस्टर्र के साटे जाने पर लोगों में दहस्त व्याप्त है.वहीं पुलिस भी चुस्त हो गई है.जबकी पथलगाड़ी वालें मामलें में माओवादी संगठन के सदस्यों ने समर्थन जताया है लोगों के प्रति. वहीं आजाद द्वारा जारी की गई नक्सली पर्चा में पुलिस प्रबंधन व सरकार के बिरूद्व मोर्चा खोलने का एलान किया है.

ज्ञात हो हर वर्ष नक्सली संगठन द्वारा 15 अगस्त के पूर्व से ही नक्सली संगठन के मारे जाने वाले सदस्यों के याद में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है.वहीं पुलिस भी नक्सली संगठन के मनसुबों पर फानी फेरने के लिए पुरी तैयारी के साथ मुस्तैद रहती है.

ये लिखा गया माओवादी पर्चा में

ब्रह्मणीय हिन्दुत्व फांसीवादी मोदी सरकार ने साम्राज्यवाद, दलाल, नौकरशाह, पूंजीवाद तथा कारपोरेट घरानों के हाथ में देश की संपुर्ण प्राकृतिक और सामाजिक सम्मपदा समेत जल जंगल और जमीन को देश की जनता के हाथ से बंदूक की ताकत पर जबरन छीन कर उनके हाथों में सौंप देने के लिए बंदुक की शासन का अभूतपूर्व तांडवनृत्य प्रस्तुत कर रहा है. माओवादियों के उन्मूलन के नाम पर 2009 से 2017 तक तीन चरणों में चलाया गया अॉपरेशन ग्रीनहण्ट के बाद 2018 से 2022 तक पांच साल के लिए अॉपरेशन समाधान की घोषणा केंद्र द्वारा किया जा चुका है. जो बर्बरता की पराकाष्ठा पार कर चुकी है.कथित आजादी के बाद से पुर्वोत्तर और जम्मू काशमीर में राष्टीयताओं की जनता का आत्मनिर्णय के अधिकारों की मांग के आंदोलन को सशत्र बल विशेषाधिकार अधिनियम के तहत मिलेट्री के बुटो तलें कुचलि जा रहा है.इस तरह के विभिन्न नाम के काले कानुनों से जनता का हर तरह की मांग को कुचलने के लिए दायरे को बढ़ा कर व्यापक या विस्वस्तरिय किया जा चूका है. संस्थागत रूप से ले चुका ब्रह्मणीय हिन्दूत्व फासी वाद, कारपोरेट नियंत्रणाधिन प्रचार तंत्र के माध्यम से अपने तमाम कुकूर्तियों कुत्साहपूर्ण षड़यंत्र झुठ और षड़यंत्र पर आधारित कथित विकास को देश का विकास और सबका विकास कह कर अपने जनविरोधी कार्य को जायज ठहरा रहा है.दुसरी ओर जनता के न्यायपूर्ण और जायज मांग के आंदोलन को ही उलटे गलत ठहरा कर उन पर हमले चला रहा है. झारखंण्ड, बिहार, बंगाल, ओड़िसा, छत्तिसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट, तेलंगना, आंध्रा प्रदेश, उतर प्रदेश समेत सभी जंगली पहाड़ी क्षेत्र जिसमें सदियों से ही नहीं हजारों वर्ष से विभिन्न आदिवासी और गैर आदिवासी जनसमुदाय का बास रहा है. राजनितिक दल के रूप में जिसके रहनुमाई भाकपा माओवादी करती है. फासिस्ट सरकार का मंसूवा जल जंगल और जमीन पर से वंहा के निवासिंयों का अधिकार समाप्त करना तथा वहां से खदेड़ देना इसलिए माओवादियों के उनमुलन के नाम पर जंगलों के चप्पे चप्पे में फैले श्रृखलाबद्ध पहाड़ियों और घने जंगलों कों केंद्रीत कर माह में 3/4 बार फोर्स घुसा कर तोपों और मार्टरो के अस्खंय गोले बरसाये जा रहे है जिससे वहां के निवासियों का घर मकान, पशु पक्षी, जमीन जायदाद तथा उनके जीवन का अस्तिव सकंटग्रस्त हो गया है. मजे की बात यह है कि झारखंण्ड के कोल्हान सारण्डा, पोड़ाहाट आदी जंगलों के आदिवासी नेताओं द्वारा संविधान प्रदत उनके अधिकारों को पत्थरों पर लिख कर आदिवासी जन समुदाय को किया जा रहा चेतना का विकास को जो पथ्लगाड़ी आंदोलन के नाम से लोकप्रिय हो चुका है, को देश द्रोही बात कह कर यह फसिस्ट सरकार उनके नेताओं कि गिरफ्तारी अथवा उन पर दमन चला रही है. ताज्जुब की बात है कि 21 वीं सदी में किया जा रहा फसिस्ट सरकार का इस घिनौना कुकृत्य से दुनिया तो दुर सारा देश भी अंजान है. देश के अन्य भागों में फैला उनका आतंक जैसे तामीलनाडू के तुतीनकोरीन में वेदांता कंपनी के स्टारलाईट कॉपर प्लांट के विस्तार के खिलाफ जारी जनप्रदर्शन पर अंधाधुंध गोली बरसायी गई.

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