चाईबासा : सारंडा के प्रसिद्व महादेवशाल मंदिर को मिला मॉडल हॉल्ट, स्टेशन द्वार को दिया मंदिर का रूप
संतोष वर्मा
https://youtu.be/AU6cjwXXQyk
चाईबासा के दक्षिण पूर्व रेलवे के अधिनस्त पड़ने वाली चक्रधरपुर रेल मंडल ने सारंडा जंगल में स्थित प्रसिद्ध बाबा महादेवशाल धाम मंदिर के स्वरूप पर एक मॉडल रेलवे स्टेशन बनाया है. जो खूबसूरत और आकर्षक
है, यह रेलवे स्टेशन दक्षिण-पूर्व रेलवे जोन का पहला मॉडल स्टेशन है,जो किसी मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है. इस स्टेशन के दिवारों पर झारखंडी नृत्य और कला दर्शाया गया है.
हावडा-मुबंई रेल मार्ग में दक्षिण-पूर्व रेलवे ने चक्रधरपुर रेल मंडल के गोइलकेरा स्टेशन से 7 किमी दूर बाबा महादेवशाल धाम मंदिर का जीर्णोद्वार करने के बाद एक मॉडल रेलवे स्टेशन बनाया है. जो पूरी तरह बाबा महादेवशाल धाम मंदिर के स्वरूप पर है. घने सारंडा जंगल में स्थित महादेवशाल धाम को देवघर के मिनी बाबा धाम माना जाता है और सावन में यहां हजारों के संख्या में झारखंड,बंगाल और उडीसा से श्रद्धालू बाबा के दर्शन के लिए प्रतिवर्ष आते हैं. इस स्टेशन से जहां आम लोगों की भावना जुडी है, वहीं रेलवे का भी एक इतिहास जुड़ा है. इसलिए इस मंदिर के प्रति रेलवे भी अपनी आस्था दर्शाने में कोई कसर नहीं छोडता. अंग्रेज जब पहली बार इस रेल मार्ग का निर्माण कर रहे थे,तब जमीन से शिवलिंग मिला था और हथौडा चलाने पर खून का फव्वारा निकला. तभी से इस महादेव मंदिर के प्रति रेलवे और जनमानस दोनों का आस्था कायम हो गया.
रेलवे के तमाम बडे अधिकारी जब भी गोइलकेरा या चक्रधरपुर आते हैं तो मंदिर में पूजा करना नहीं भूलते. रेलवे ने इसी आस्था के तहत महादेवशाल धाम मंदिर के पास ही महादेवशाल हाल्ट के नाम पर एक छोटा लेकिन दर्शनीय व मॉडल रेलवे स्टेशन बनाया है. सारंडा के इस मंदिर तक आने के लिए सड़क से बेहतर रेल मार्ग ही है, इसलिए श्रद्धालू रेल मार्ग से ही आते हैं, इसलिए रेलवे सावन में प्रतिदिन कई एक्सप्रेस व पैसेंजर ट्रेन का ठहराव मंदिर के सामने ही करता रहा है, श्रद्धालू रेल ट्रैक पर ही उतर मंदिर जाते थे. श्रद्धालूओं को इससे काफी परेशानी होती थी, परन्तु अब महादेवशाल धाम आने वाले श्रद्धालू को रेल पटरी पर जरूरत नहीं पडेगी.
सारंडा को मिले रेलवे के मॉडल स्टेशन के सौगात से गोइलकेरा के लोगों में बेहद खुशी है, घने जंगल में महादेवशाल धाम आने वाले श्रद्धालूओं को अब मनोरंजन के लिए कई स्पॉट मिलेंगे, मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद इस मॉडल स्टेशन में युवाओं में सेल्फी लेने का होड़ मचेगा. वहीं इस स्टेशन के पास एक रेल सुरंग भी है. जिसमें से ट्रेन के आते-जाते देखने का रोमांच भी देख सकेंगे. इस स्टेशन पर बने रेल फुट ब्रिज या स्टेशन के सबसे उपरी मंजिल पर चढ कर पूरे सारंडा के हरियाली को देखना अलग आनंद महसूस होता है. चूंकि यह बेहद नक्सल प्रभावित क्षेत्र में हैं लिहाजा स्टेशन और आने वाले वाले श्रद्धालूओं की सुरक्षा में हर वक्त कड़ी सुरक्षा व्यवस्था भी की गई है, स्टेशन के चारों तरफ सैफ के जवान मुस्तैद रहते हैं. लेकिन नक्सलियों के द्वारा कभी मंदिर या श्रदालूओं के प्रति कभी कोई नुकसान पहुंचाने की कोशिश नहीं की है, इसलिए सारंडा के इस महादेवशाल धाम में श्रद्धालूओं बेखौफ आते-जाते रहे हैं.
बहरहाल, सारंडा जैसे घने जंगल को पर्यटन के दृष्टि से रेलवे विकासित करने में कोई कसर नहीं छोड रही, महादेवशाल धाम मंदिर को मॉडल स्टेशन बना कर बाहर से आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं को सुविधा देने के सराहनीय है.
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