चाईबासा : जेटेया में थाना भवन नहीं होने से 33 हजार ग्रामीण असुरक्षित
संतोष वर्मा
पश्चिमी सिंहभूम चाईबासा जिला के जगन्नाथपुर अनुमंडल की आधी अबादी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बसी है. लेकिन क्षेत्र के जेटेया थाना क्षेत्र का पांच पंचायत के 59 गांव में निवास करने वाले 33 हजार ग्रामीण सुरक्षा के अभाव में नित्यदिन सहमे सहमे अपनी रातें गुजारते हैं. हलांकि हाल के दिनों में चाईबासा पुलिस द्वारा क्षेत्र में नक्सलियों के विरूद्व बड़े पैमाने पर सर्च अॉपरेशन चलाते हुए नक्सलियों से दो दो हाथ भी किये गयेऔर तत्कालिन एसपी अनिश गुप्ता व कोल्हान रेंज के तत्कालिन डीआईजी साकेत कुमार को बड़ी सफलता के रूप में चाईबासा जेल ब्रेक के आरोपी सह नक्सल संगठन के जोनल कमांण्डर संदीप दा की गिरफ्तारी के रूप में हाथ लगी.
वहीं इस क्षेत्र के ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए जेटेया मे ही करंजिया गांव में थाना बनाने के लिए आपदा प्रबंधन द्वारा सरकारी भूमी निशुल्क 3.4 एकड़ जमीन आवंटन 3/11/16 को पुलिस विभाग को कर दी.जमीन आवंटन के बाद स्थानिय पुलिस द्वारा सरकारी अमीन के साथ नापी भी कराया गया. लेकिन जेटिया पंचायत के मुखिया दायमंती लागुरी के नेतृत्व में गांव के ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया गया. उसके बाद से मामला ठंड़ा अवस्था में जो पड़ा वह आज तक उसी अवस्था में पड़ा हुआ है. जबकी जेटेया थाना क्षेत्र पुर्ण रूप से नक्सल प्रभावित क्षेत्र है और आये दीन पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ होनी की खबर आती रहती है. अब सुरक्षाकर्मियों के अभाव के कारण क्षेत्र के थाना प्रभारी द्वारा गश्ती लगाने या कोई अपराधिक घटना की जांच के लिए घटना स्थल तक नहीं पहुंच पाते है.
बता दें कि जेटेया थाना में आठ दो का सुरक्षा बल का पद आवंटीत है विभाग के द्वारा. लेकिन ना आठ आरक्षी है और ना दो हवलदार. पदाधिकारी में एक दरोगा और तीन एएसआई है. अब ये अधिकारी भी गांव में सुरक्षा के अभाव में क्षेत्र में भ्रमण नहीं कर पाते है. हालांकी गांव में थाना बन जाने से गांव के ग्रामीणों को सुरक्षा मिलेगी और अपराध पर भी नियंत्रण बना रहेगा. साथ ही गांव का विकास भी होगा. लेकिन सरकारी जमीन पर गांव के ग्रामीणों का विरोध क्यों हो रहा है यह समझ से परे है. वहीं गांव की सरकार भी इस विरोध में शामील है. वर्तमान में जेटेया थाना जगन्नाथपुर शहरी क्षेत्र में और गांव से थाना की दूरी करिब 13 से 14 किमी है. वैसे में आप खुद अंदाजा लगा सकतें है कि इन 59 गांव की सुरक्षा कैसे हो पाती होगी. पुलिस पहुंचते पहुंचते अपराधी अपराध कर फरार हो जाते हैं. वहीं लोगों के बीच इस बात की भी चर्चा है कि जब पुलिस अपनी जमीन पर कब्जा नहीं कर पा रही है तो आम जनता का क्या होगा.
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