चाईबासा : मिक्सर मशीन की चपेट में आकर 12 साल की नाबालिग आदिवासी बच्ची की मौत
संतोष वर्मा
चाईबासा पश्चिम सिंहभूम के चक्रधरपुर में बालश्रम क़ानून का खुलकर मखौल उड़ाया जा रहा है. सरकार की विकास योजनाओं में नाबालिग बच्चों को धड़ल्ले से खतरनाक काम पर बिना किसी सुरक्षा के लगाया जा रहा है और इस दौरान उनकी जान भी जा रही और फिर उस नाबालिग के जान का सौदा किया जा रहा है.
ताज़ा मामला चक्रधरपुर के पोर्टर खोली रेलवे कोलोनी का है जहाँ एक 12 साल की आदिवासी बच्ची पालो सामड की मिक्सर मशीन की चपेट में आकर दर्दनाक मौत हो गयी. इसके बाद ठेकेदार ने बच्ची की जान का सौदा करते हुए परिजन को दो लाख थमाया और रफ्फूचक्कर हो गया. इस पुरे मामले में जिला श्रम विभाग निष्क्रिय रही.
बताया जाता है की रेलवे कोलोनी में बोंडरी वाल का निर्माण कार्य चल रहा था. 12 साल की पालो सामड मिक्सर मशीन में काम कर रही थी. उसे किसी भी तरह का सुरक्षा उपकरण नहीं दिया गया था. ठेकेदार के द्वारा मजदुर के संरक्षा में पूरी तरह से घोर लापरवाही बरती गयी थी. काम करने के दौरान पालो सामड का संतुलन बिगड़ा और उसके कपडे मोटर में जा फंसी जिससे उसके गले में फांसी लग गयी और चलती मशीन में वह जमीन में पटकती चली गयी.
जब तक मिक्सर मशीन को बंद किया जाता उसने मौके पर ही दम तोड़ दिया. खबर पाकर पालो के माता पिता रोते बिलखते चक्रधरपुर अनुमंडल अस्पताल पहुंचे. इसी दौरान चक्रधरपुर विधायक शशिभूषण सामड अस्पताल पहुंचे और परिवार को न्याय और मुआवजे की मांग करने लगे. घटना की सुचना पाकर पुलिस भी मौके पर पहुची और मामले की तफ्तीश में लगी रही.
इस बीच ठेका कंपनी ने नाबालिग बच्ची के जान का सौदा कर दिया. ठेका कंपनी के गुर्गों ने अस्पताल पहुंचकर मृतका पालो के माता पिता के हाथ में चेक और केश के माध्यम से दो लाख रुपये धरा दिए. मुआवजा की मांग पंद्रह लाख की हुई थी, लेकिन मोल भाव करते करते बच्ची की जान की कीमत दो लाख में तय हुई.
बाल मजदूरी में जान चलेगी, जान का सौदा भी हो गया लेकिन जिला श्रम विभाग सोया रहा. ना तो घटना स्थल पर ना ही अस्पताल में श्रम विभाग का कोई अधिकारी नजर आया. हालाकि पुलिस और छोटे प्रशासनिक पदाधिकारी मामले में जाँच के नाम पर लिपा पोती ही करते नजर आये.
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