कटिहार : मनोकामना वैष्णवी दुर्गा मंदिर में नारियल चढ़ाने से होती हैं श्रद्धालुओं की मन्नते पूरी, दूर-दूर से पहुँचते हैं नारियल चढ़ाने श्रद्धालु
सुमन कुमार शर्मा
कटिहार के समेली प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत डुमर पंचायत के सार्वजनिक मनोकामना वैष्णवी दुर्गा मंदिर डूमर में नारियल चढ़ाने से लोगों की मन्नतें पूरी होती है. वहीं डूमर वाली मैया के नाम से मंदिर प्रसिद्ध माना जाता है. दूर-दूर से श्रद्धालु यहां नारियल चढ़ाने पहुँचते हैं.
मंदिर की महत्ता के सम्बंध में आचार्य श्यामानंद मिश्रा व पंडित रविंद्र ठाकुर ने बताया कि सार्वजनिक मनोकामना वैष्णवी दुर्गा मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु आते है और मनोकामना पूर्ण होती है. यहां नारियल चढ़ा कर मां दूर्गा से अपनी मन्नतें लोग मानते हैं, आधा नारियल मंदिर में छोड़ देते हैं और आधा नारियल प्रसाद के रूप में घर ले जाकर आपस में बांट कर खाते हैं. उन्होंने बताया कि मंदिर में किसी भी जीव की बलि नहीं दी जाती है. यहां मान्यता है कि नारियल चढ़ाने से ही माता भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण कर देती हैं, इसलिए इस मंदिर को लोग मनोकामना पूर्ण मंदिर के नाम से भी जानते हैं, वैसे तो इस मंदिर में सालों भर लोग अपनी-अपनी मन्नतें मांगने एवं मन्नते पूर्ण होने पर पूजा पाठ करने आते रहते हैं, लेकिन दुर्गा पूजा में मंदिर की महत्ता और बढ़ जाती है.
इसबार दुर्गा पूजा में डूमर मंदिर में समस्तीपुर जिला से आये मूर्ति कलाकार योगेद्र पंडित अपने सहयोगियों के साथ मां दुर्गा के अलावा मां सरस्वती, लक्ष्मीजी, गणेश जी, कार्तिक जी, शिव जी, पार्वती जी, महिषासुर बाघ आदि की भव्य व आकर्षक प्रतिमा बनाने में जुटे हुए हैं.
क्या है मंदिर का इतिहास
यह मंदिर कटिहार जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर है। डूमर स्थित सार्वजनिक मनोकाना वैष्णवी मंदिर के इतिहास के बारे में लोगों का कहना है कि इस मंदिर को सन 1879 में स्वर्गीय जोगश्वर प्रसाद सिंहा द्वारा पहले शिव मंदिर की आधारशिला रखी गयी थी, तब गांव में कोई दुर्गा मंदिर नहीं हुआ करता था. गांव के श्रद्धालु 10 से 12 किलोमीटर की दूरी तय कर कुर्सेला बरारी पोठिया अथवा गेडा़बाड़ी दुर्गा मंदिर में पूजा अर्चना करने को जाते थे. मंदिर ज्यादा दूर रहने में लोगों को काफी परेशानी होती थी. श्रद्धालुओं की परेशानी को देखते हुए गांव के लोगों ने वर्ष 2010 में शिवमंदिर में ही मां दुर्गा मंदिर की स्थापना की, वही दुर्गा मंदिर निर्माण में अंगिका भाषा के प्रसिद्ध गायक सुनील छैला बिहारी ने भी अहम भूमिका निभाई है. यहां दशहरा के मौके पर मंदिर में चढ़ावे के रूप में नारियल और चुनरी चढ़ाने का रिवाज है, ऐसी मान्यता है कि जो भी दुर्गा पुजा के समय अपनी मन्नतें लेकर आते हैं, उनकी मनोकामना पूरी होती है. इसलिए इस मंदिर को लोग मनोकामना पूर्ण मंदिर के नाम से भी जानते हैं. इस मंदिर में किसी भी जीव की बलि नहीं दी जाती है, वैसे तो इस मंदिर में सालों भर लोग अपनी-अपनी मनोकामना के लिए पूजा-पाठ करने आते रहते हैं परंतु दुर्गा पूजा के अवसर पर भक्तों की अपार भीड़ होती है.
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