सीवान : एनएसजी कमांडो अभय पाठक को दी गयी अंतिम विदाई, पैतृक गाँव मड़कन में हुयी अंत्येष्टि
अभिषेक श्रीवास्तव
सीवान के हुसैनगंज थाना क्षेत्र के मड़कन गांव निवासी और एनएसजी के दिवंगत कमांडो 35 वर्षीय अभय कुमार पाठक का पार्थिव शनिवार को उनके पैतृक गांव पहुंचा. जहाँ उनका अंतिम संस्कार किया गया. ड्यूटी जाने के क्रम में सड़क दुर्घटना में घायल हुए अभय की बीते 16 नवंबर को इलाज के दौरान मौत हो गयी थी.
देश सेवा के लिए सीवान के हुसैनगंज थाना क्षेत्र के मड़कन गांव के अभय कुमार पाठक ने जब 8 अप्रैल 2003 को देश की सर्वश्रेष्ठ और कठिन सेवाओ में एक एनएसजी में ज्वाइन किया था तो परिजनो के साथ साथ पूरे गांव व क्षेत्र का सीना गर्व से फूल गया था. लेकिन किसी को पता नहीं था कि क्रुर गाल महज 35 साल की उम्र मे उनके लाल को निगल लेगा और उनका अभय सभी को छोड़कर दूसरी दुनिया में चला जाएगा. एनएसजी के गुड़गांव स्थित मानेसर कैंप ईसीजी का कार्य संभालने वाले नायक अभय कुमार पाठक 6 नवंबर को रात्री डयूटी करने अपने निवास से निकले. कैंप के कैंपस मे ही उनकी बाईक अनियंत्रित होकर गिर गयी जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए. साथियो ने उन्हें तत्काल एनएसजी के संयुक्त अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन ब्रेन में चोट लगने की वजह से उन्हें वहां से रेफर कर रॉकलैंड अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहाँ 10 दिन तक जीवन से संघर्ष के बाद आखिरकार वीर जवान अभय ने 16 नवंबर की रात अंतिम सांस ली. उनके निधन की खबर मिलते ही मड़कन गांव में कोहराम मच गया. जिसने भी सूना उसे विश्वास नहीं हुआ कि उनका अभय अब इस दुनिया में नहीं है. दिल्ली कैंट में ही पूरे सैनिक सम्मान के साथ वीर अभय को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया और चीफ ऑफ आर्मी कमाण्ड सहित कई अधिकारियो ने वीर जवान अभय के पार्थिव शरीर पर मर्ल्यापण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी.
उसके बाद पूरे सैनिक सम्मान के साथ तिरंगे में लपेट कर एनएसजी के असिस्टेंट कमाण्डर 1 डी के सिंह के नेतृत्व में सुबेदार कार्तिक उरांव, राजेन्द्र सिंह अमरेश कुमार चौबे तथा सुमीत कुमार राय के साथ वीर अभय को सीवान के मड़कन स्थित उनके घर भेजा. शनिवार की सुबह जब अभय का पार्थिव शरीर मड़कन पहुंचा तो परिजनो की चित्कार से जमीन से आसमान तक दहल उठा. पत्नी रूबी पाठक अचेत हो गई तो मासूम दो बेटियां सात साल की सुहाना तथा चार साल की सौम्या काफी देर तक ये समझ ही नहीं सकी कि उनके पापा आखिर सोये क्यों है. दोने ने अपने पापा को उठाने की कोशिश की और जब वे नहीं उठे तो वे भी बिलखने लगी और माहौल पूरी तरह गमगीन हो गया. भाई पुलक पाठक और मां, बहन व अन्य परिजनो का रो-रो कर बूरा हाल था. कोई किसी को ढांढस बंधाने की स्थिति में भी नहीं दिख रहा था. किसी तरह सगे संबंधियो ने परिजनो को ढांढस बंधया. वहीं असिस्टेंट कमाण्डेंट डी के सिंह ने शव से लिपटे तिरंगे को वीर अभय की बेसुध पत्नी को पूरे सम्मान के साथ सौंपा जिसके बाद वीर अभय की शव यात्रा निकली. मड़कन स्थित दाहा नदी के घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान हुसैनगंज थाने पुअनि विनय कुमार, अनिल कुमार दूबे, बृज बिहारी दुबे, मुखिया राजेश पांडेय सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहें.
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