सहरसा : सदर अस्पताल के चिकित्सक की लापरवाही, मरीज के पेट मे छोड़ दिया पांच इंच का चाकू
राजा कुमार
कोशी का पीएमसीएच कहे जाने वाला सहरसा सदर अस्पताल में डॉ एसके आजाद की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. जिस वजह से पूरा स्वास्थ विभाग सवालों के घेरे में है.
जिस जख्मी मरीज को सदर अस्पताल के डॉ एसके आजाद के द्वारा स्वस्थ बताते हुए सदर अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया था. उसी मरीज के पेट से करीब ढाई महीने बाद ऑपरेशन कर के करीब पांच इंच का चाकू पेट से निकाला गया. जिसके बाद स्वास्थ विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. इतना ही नहीं सदर अस्पताल की स्वास्थ व्यवस्था की पोल खोल कर रख दिया है. सिमरी वख्तियारपुर प्रखंड के सीटानाबाद गावँ में 23 जून 2018 को भूमि विवाद को लेकर मो शोएब और उनके बड़े भाई मो वहाब पर जानलेवा हमला किया गया था. जिसमें मो शोएब के बड़े भाई मो वहाब की मौत गई थी. जबकि बुरी तरह से जख्मी मो. शोएब को घायल अवस्था में इलाज के लिए सहरसा सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां उसका इलाज डॉ एस के आजाद की देख रेख में किया जाता था.
सदर अस्पताल में इलाज के दौरान मो शोएब के पेट में बार-बार दर्द होने लगता था. जिसकी शिकायत इलाज कर रहे डॉ एसके आजाद से किया करता था. लेकिन डॉक्टर उसे डॉट फटकार कर उसे चुप करा देता था. 17 दिनों की जारी इलाज बाद डॉक्टर ने मो शोएब को रिलीज कर दिया. इस बीच मो शोएब की बढ़ती परेशानी और पेट में लगातार दर्द होने के कारण मो शोएब को आनन फानन में निजी अस्पताल लाया गया.
जहाँ उसका एक्सरे कराया गया तो उसके मलद्वार के पास से लगभग पांच इंच का चाकू का टुकड़ा पाया गया. जिसके बाद निजी अस्पताल के डॉक्टर ने शनिवार को ऑपरेशन करके उसके पेट से चाकू निकाल दिया गया है. वहीं इस बात की खबर बख्तियापुर पुलिस को मिलने के बाद निजी अस्पताल पहुंच कर उक्त चाकू को जप्त कर लिया है. हालांकि ये मामला 04 सितम्बर को ही समाज सेवी मिर रिजवान नामक शख्श के द्वारा सहरसा सिविल सर्जन के संज्ञान में दिया गया था जिसके बाद सिविल सर्जन ने पीड़ित युवक की एक्सरे करवाया. जिसकी पुष्टि कराने के लिए पीड़ित युवक का एक्सरे दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजा गया था.
इस दौरान पीड़ित युवक की बेहतर ईलाज के पटना पीएमसीएच रेफर किया गया था. लेकिन सरकारी अस्पताल के डॉक्टर की ऐसी लापरवाही देख कर पीड़ित युवक पीएमसीएच में ईलाज करवाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया. जिस वजह से निजी अस्पताल में ऑपरेशन करवा लिया. इस मामले में सिविल सर्जन ने मीडिया से इस बात का दावा भी किए थे कि इस मामले जो भी दोषी पाए जाएंगे उनपर शख्त कार्रवाई की जाएगी.
अब अहम सवाल यह है कि सरकारी व्यवस्था इतनी लचर हो तो गरीब मरीज जाये कहाँ. सुशासन सरकार के दावे की पोल तब खुलती है. जब ऐसी घटना सामने आती है. अब देखना दिलचस्प की बात ये होगी के इस मामले में लापरवाही बरतने वाले डॉक्टर पर स्वास्थ्य विभाग क्या कार्रवाई करती है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
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