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सहरसा : कभी भी ध्वस्त हो सकता है राजकीय कन्या मध्य विद्यालय का भवन, जान खतरे में डालकर आते हैं शिक्षक और छात्राएं

गुलशन कुमार

https://youtu.be/xPLpxRYHxLI

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बेहतर संसाधन का दावा सरकार की तरफ से खूब होता है, लेकिन जमीनी हकीकत कहीं इसके उलट दिखती है. एक तरफ सरकार लड़कियों को बढ़ावा देने की बात करती है तो दूसरी तरफ जान खतरे में डालती है. सहरसा जिला मुख्यालय का राजकीय कन्या मध्य विद्यालय का कुछ ऐसा ही हाल है. भवन जर्जर हो चुके हैं, लड़कियां पढ़ने भी आ रही हैं. लेकिन, जान हथेली पर रखकर. कब हादसा हो जाए, कहा नहीं जा सकता.

बता दें कि 1955 में स्थापित इस विद्यालय में करीब 400 लड़कियां पढ़ती हैं. लेकिन इस विद्यालय में छात्राओं और शिक्षकों का पठन-पाठन से ज्यादा खुद को सुरक्षित रखने पर ध्यान लगा रहता है. इस स्कूल की छात्राओं के बयान को अगर देखा जाय तो खुद ही पता चल जायेगा कि कितनी दहशत में है ये. बयान के दौरान छत को निहारते ये छात्रा कहती है कि हमलोगों को डर लगा रहता है. इस स्कूल में कई बार चट्टान भी गिरा है, जिससे कई छात्रायें घायल भी हुई हैं. पर, डर के साये में पढने को मजबूर हैं.

वहीं स्कूल की प्रिंसिपल बेबी कुमारी और वर्ग शिक्षक की माने तो खौफ के साये में पढ़ाने को मजबूर हैं. डर लगता है, कब हादसा हो जाए. कई बार शिक्षिका,और बच्चियां घायल हो चुकी हैं. लाख शिकायत के बाद भी अधिकारियों के कान में जू तक नहीं रेंगती. ऐसे में ये सवाल उठता है कि क्या अधिकारी किसी अनहोनी का इंतजार कर रहे हैं ? अब तो अभिभावक बच्चे को स्कूल भेजने से भी डरते हैं. कहीं कोई हादसा न हो जाये. पानी पड़ने के बाद छत से पानी टपकने की बात भी कहते हैं. कई बार लिखित आवेदन दिया लेकिन कोई करवाई नहीं होती है.

वहीं जब जिला शिक्षा पदाधिकारी जय शंकर प्रसाद ठाकुर से इस बाबत बात की गई तो उन्होंने संज्ञान में होने की बात कही और संबंधित विभाग द्वारा डीपीआर बहुत जल्द तैयार करने की बात कही. बहरहाल अब देखने वाली बात यह है कि खौफ के साये में पढने और पढ़ाने को मजबूर इन छात्रों और शिक्षक के लिये शिक्षा विभाग कुछ निदान कर पाती है या एक बार फिर कागजी प्रक्रिया के बहाने इन छात्राओं के जीवन से खिलवाड़ करने के लिये छोड़ दिया जाएगा.

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