पटना : कृषि प्रक्षेत्र में मनरेगा की भूमिका पर किसानों के साथ संवाद आयोजित
अभिषेक श्रीवास्तव (प्रधान संपादक)
पटना में मंगलवार को 1 अणे मार्ग स्थित लोक संवाद में मनरेगा की भूमिका पर किसानों के साथ संवाद कार्यक्रम का आयोजित हुआ. इस संवाद कार्यक्रम में राज्य के सभी
जिलों के चुने हुये किसान उपस्थित थे, जिन्होंने अपने उपयोगी एवं सार्थक सुझाव दिए.
बता दें कि 17 जून को दिल्ली में सम्पन्न चैथे नीति आयोग की बैठक में सात मुख्यमंत्रियों की एक उप समिति बनायी गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस उप समिति के सदस्य हैं. मुख्यमंत्री ने किसानों के व्यापक हित को देखते हुये स्वयं किसान प्रतिनिधियों के साथ संवाद कर उनके सुझाव एवं मंतव्य प्राप्त करने के लिये संवाद कार्यक्रम का आयोजन कराया। इस आयोजन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अस्वस्थता के कारण भाग नहीं ले सके. लेकिन किसानों के साथ संवाद कार्यक्रम उप मुख्यमंत्री सहित संबंधित विभागों के मंत्री, प्रधान सचिव/सचिव के समक्ष आयोजित हुआ. मनरेगा का उद्देश्य कम से कम 100 दिन मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराना है, साथ ही परिसंपत्तियों का भी निर्माण करना है. उप समिति को मनरेगा से जुड़ी कुछ बिंदुओं पर सुझाव देने हैं. जैसे कृषि कार्य में बुआई के पहले और कटाई के बाद मनरेगा के तहत किए जाने वाले कार्य को किस प्रकार कृषि से जोड़ा जा सकता है. जल संचयन, जमीन लेवलिंग, वर्मी कंपोस्ट, मवेशी शेड का निर्माण, गोदाम का निर्माण, वृक्ष लगाना, ग्रामीण बाजार का निर्माण जैसे अन्य और कौन-कौन से कार्य किए जा सकते हैं. कृषि क्षेत्र में हो रहे हृास को रोकने के लिए किस प्रकार मनरेगा का सदुपयोग किया जा सकता है. मजदूरों को मजदूरी की दर का निर्धारण/बढ़ोतरी, काम की निरंतरता जैसे बिंदुओं पर विचार करने की जरुरत है. गरीब, छोटे एवं लघु किसानों, अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों को मनरेगा के माध्यम से विकास एवं विविधता को प्रारंभिक साधन के लिए कैसे उपयोग किया जा सकता है. मनरेगा, सेल्फ हेल्प ग्रुप, उत्पादक समूह जैसे वर्गों से जुड़कर किस प्रकार रोजी रोटी का माध्यम बन सकता है. मनरेगा की निरंतरता, प्रभावकारिता एवं सक्षमता को और बेहतर बनाने के लिए क्या करने की जरुरत है. गोबर, बंधन जैसी योजना से किस प्रकार मनरेगा का सम्मिलन कराया जा सकता है और इसका लाभ कृषि क्षेत्र में उठाया जा सकता है.
इन बिन्दुओं के आलोक में संवाद के दौरान लगभग 35 किसानों ने इस संबंध में महत्वपूर्ण और उपयोगी सुझाव दिये. लोक संवाद में किसानों से यह भी अनुरोध किया गया कि यदि उनके कुछ अन्य सुझाव भी हों तो एक-दो दिनों के अंदर लिखित रूप में भी वे उपलब्ध करा सकें. प्राप्त सुझावों एवं मंतव्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई राज्य सरकार द्वारा की जायेगी.
कार्यक्रम की शुरुआत में राज्य के प्रत्येक जिले के किसान प्रतिनिधियों ने अपने सुझाव रखे. इनमें सुधांशु सिंह, विद्या रानी सिंह, अजय कुमार, उमाशंकर सिंह, कुमार प्रेमचंद, रामा प्रसाद, अभिषेक कुमार शर्मा, मोहन सिंह, विनीत कुमार, इंदु कुमारी, दमड़ी पासवान, अभिषेक कुमार, मनोज कुमार, देवेंद्र झा, बृजमोहन साह, राम सूरत महतो, मुशर्रफ खलील, मृत्युंजय कुमार सिंह, संजीव कुमार, वेद व्यास चैधरी, अभयकांत झा, सुजाता साहा, राम सुंदर महतो, रणविजय रौशन, नेली सोरेन, सुनील कुमार सिंह, हेम नारायण मिश्र, भोला मंडल व मो मजहरुल हक ने कृषि से संबंधित अपने-अपने सुझाव रखे.
किसानों के साथ संवाद कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, कृषि मंत्री प्रेम कुमार, ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, सहकारिता मंत्री राणा रणधीर सिंह, पंचायती राज मंत्री कपिल देव कामत, मुख्यमंत्री के परामर्शी अंजनी कुमार सिंह, मुख्य सचिव दीपक कुमार, विकास आयुक्त शशि शेखर शर्मा, प्रधान सचिव वित्त सुजाता चतुर्वेदी, प्रधान सचिव कृषि सुधीर कुमार, प्रधान सचिव सहकारिता अतुल प्रसाद, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव अतीश चंद्रा, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव मनीष कुमार वर्मा, खाद्य एवं उपभोक्ता विभाग के सचिव पंकज कुमार, ग्रामीण विकास विभाग के सचिव अरविंद कुमार चैधरी, विशेष सचिव मुख्यमंत्री सचिवालय अनुपम कुमार, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह सहित अन्य विभागों के वरीय पदाधिकारी एवं राज्य के अन्य क्षेत्रों से कृषि कार्य से जुड़े अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.
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