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पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार पुलिस की जनपयोगी डायल 100 का किया शुभारंभ

अभिषेक श्रीवास्तव

पटना में मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित ‘संवाद’ में आयोजित ‘बिहार पुलिस की जनोपयोगी डायल 100’ कार्यक्रम का रिमोट के माध्यम से शुभारंभ किया. पुलिस मुख्यालय के अपर पुलिस महानिदेशक एसके सिंघल ने डायल 100 के बेसिक स्वरूप, उसका प्रभाव, भविष्य की योजना और उसके फायदों के अलावा सुशासन के संदर्भ में डायल 100 की भूमिका से संबंधित पॉवर प्वाईंट प्रेजेंटेशन मुख्यमंत्री के समक्ष दिया. पुलिस महानिदेशक केएस द्विवेदी ने पुष्प-गुच्छ भेंटकर मुख्यमंत्री का स्वागत किया.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज से जनोपयोगी डायल 100 सेवा का शुभारंभ किया गया है. पटना जिले में डायल 100 वर्ष 2014 से ही लागू है, जिसका विस्तार कर पूरे बिहार में इसे आज से लागू किया गया है. 12 करोड़ की आबादी वाले इस बिहार में 8.5 करोड़ मोबाइल फोन हैं. ऐसे में अगर कही से कोई शिकायत आती है तो उसकी सूचना संबद्ध जिले के थाने तक पहुँचनी चाहिए. उन्होंने कहा कि नई तकनीक के सहारे इसके स्वरूप को और आधुनिक बनाना चाहिए. सभी थानों एवं आउट पोस्ट तक लैंडलाइन फोन लगे, इसे पुलिस मुख्यालय को सुनिष्चित करना चाहिये. फोन निरंतर फंक्शनल रहे, इसके लिए खराब होने पर आधे घंटे के अंदर उसे दुरुस्त करने एवं ससमय बिल भुगतान की भी व्यवस्था पुलिस मुख्यालय के स्तर से सुनिश्चित होना चाहिए ताकि यह सेवा स्थायी, सशक्त और प्रभावी बन सके.

मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉ एंड आर्डर और अपराध को लेकर मेरे स्तर से समय-समय पर समीक्षा बैठक होती रहती है. इस संदर्भ में हाल ही में हमने समीक्षा बैठक की थी, जिसमें वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलों से पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी जुड़े थे. उन्होंने कहा कि पूर्व में ही हमने कहा था कि हत्या, लूट, बलात्कार, बैंक डकैती एवं अन्य आपराधिक घटनाओं का आकलन, डिटेल में जिले एवं थाने के स्तर पर होना चाहिए, जिससे यह पता चल सके कि किसी खास इलाके में किस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति हो रही है. उसके समाधान के लिए सकारात्मक दिशा में कार्रवाई की जा सके. घटना कब घटी, उस पर कितने समय के अंदर कार्रवाई हुई, घटनास्थल पर सूचना मिलने के बाद पुलिस कितनी देर में पहुंची, इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए पुलिस अधिकारियों को आकलन करना चाहिए, इसका अपराधियों के मनोबल पर प्रभाव पड़ता है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज कल बालू माफिया और शराब के अवैध धंधे में लगे असामाजिक तत्व पुलिस पर ही हमले कर रहे हैं. इसे गंभीरता से लेते हुए ऐसे लोगों से सख्ती से निपटने की आवश्यकता है. ऐसी जगहों पर जाते वक्त पुलिस को पर्याप्त संख्या बल को भी ध्यान में रखने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 में जब हमने कार्यभार संभाला था तो पुलिस बल की संख्या काफी कम थी, पुलिस थानों में उपयुक्त हथियार और वाहन नहीं थे. गाड़ियों को ठेलकर स्टार्ट किया जाता था. पुलिस में ड्रेस का कोई मतलब नहीं था. हमने कई स्तर पर काम किये, जिसका सकारात्मक नतीजा निकला. पर्याप्त पुलिस बल की व्यवस्था सुनिश्चित करने के साथ ही आर्म्स, व्हीकल, पोशाक उपलब्ध कराये गये. उस समय बिहार में ऑर्गनाइज्ड क्राइम होते थे, जिसको ध्यान में रखते हुए सैप का गठन किया गया. इसमें एक्स आर्मी के लोगों को रखने का निर्णय लिया गया. हमने वर्ष 2006 में ही एक मीटिंग की थी, जिसमे प्राॅपर पेट्रोलिंग करने की बात कही थी, पेट्रोलिंग अपने आप में महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि हर थाने और आउट पोस्ट पर दो-दो व्हीकल होना चाहिए. प्रत्येक थाने के पास ऐसा व्हीकल और हथियार होना चाहिए कि वह बेहतर तरीके से काम कर सकें. थाने और ओपी से लेकर एसपी, डीआईजी या आईजी स्तर तक के अधिकारियों को भी अगर व्हीकल की आवश्यकता है तो पुलिस तंत्र इसे तय करे कि कितने मोटरसाइकिल और फोर व्हीलर की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि पेट्रोलिंग पर पूरा ध्यान होना चाहिए, इसके लिए जिन साधनों की आवश्यकता होगी, सरकार देने के लिए कमिटेड है. हर सूरते हाल में कानून का राज कायम रखना राज्य का संवैधानिक दायित्व है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉ एंड आर्डर, क्राइम और अन्य इश्यूज के सन्दर्भ में प्रत्येक महीने मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और गृह सचिव जबकि प्रत्येक 15 दिन पर जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक समीक्षा बैठक करें ताकि पेंडिंग पड़े इश्यूज का तत्काल समाधान हो सके. डीएम और एसपी के बीच लैक ऑफ को-आर्डिनेशन किसी भी कीमत पर नहीं होनी चाहिए. प्रत्येक शनिवार को प्रत्येक थाने के थानेदार और अंचलाधिकारी की बैठक भी गंभीरता से होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जनता के दरबार में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम का आकलन किया गया तो यह पाया गया कि 60 प्रतिशत अपराध भूमि विवाद से जुड़े हैं. ऐसे मामलों पर तीखी नजर रखनी होगी. गंभीरतापूर्वक और संवेदनशीलता के साथ निरंतर समीक्षा बैठक होंगी तो बहुत सारे मामलों का निपटारा हो सकेगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब कहीं से भी कोई व्यक्ति 100 नंबर डायल करेगा उस पर तत्काल कार्रवाई होगी. पुलिस मुख्यालय ने बताया कि सूचना मिलने के बाद शहरी क्षेत्रों में 20 मिनट के अंदर जबकि गाँवों में 30 से 35 मिनट के अंदर कार्रवाई होगी. उन्होंने कहा कि बढ़ती आबादी के अनुरूप पुलिस बल की भी संख्या बढनी चाहिए. सभी थानों में महिलाओं के सिटींग रूम, वाॅश रूम और टॉयलेट के प्रबंध हों. थाना अगर किराये के भवन में हो तो उसे पूरा का पूरा प्रोक्योर कर उसका भवन नये सिरे से बनना चाहिए. हम हर तरह की सुविधा देना चाहते है. लेकिन जनता और सरकार की जो अपेक्षाएँ हैं, वह पूरी निष्पक्षता के साथ ससमय पूरा होना चाहिए. उन्होंने कहा कि थानों में पोस्टिंग करते वक्क्त सोशल बैलेंस को ध्यान में रखना होगा. उन्होंने कहा कि थाना वाइज समीक्षा इसलिए भी आवश्यक है ताकि पता चल सके कि थानेदार सक्रिय हैं या नहीं. उन्होंने कहा कि लोगों की अपेक्षाएँ बढ़ती चली जा रही हैं इसलिए सिस्टम को पारदर्शी बनायें ताकि लोगों को कार्रवाई के संबंध में भी जानकारी मिल सके.

मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून का राज कायम करना राज्य का संवैधानिक दायित्व है और इसके लिए पुलिस महकमे को कानूनी तौर पर अधिकार प्राप्त है. आपको जो कानूनी अधिकार दिये गये है, उसका दुरूपयोग नहीं करें. उन्होंने कहा कि सिस्टम इम्प्रूव होगा तो अपराध करने वाले भी सोचेंगे.

कार्यक्रम को मुख्य सचिव दीपक कुमार, पुलिस महानिदेशक केएस द्विवेदी एवं प्रधान सचिव गृह सचिव आमिर सुबहानी ने भी संबोधित किया. इस अवसर पर बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम लिमिटेड के सीएमडी सुनील कुमार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव मनीष कुमार वर्मा, एडीजी पुलिस मुख्यालय एसके सिंघल, एडीजी विधि व्यवस्था आलोक राज, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह सहित बिहार पुलिस के अधिकारीगण एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.

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