नालंदा : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह प्रखंड हरनौत के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में नहीं है कोई भी सुविधा
प्रणय राज
बिहार में दिमागी बुखार से लगातार हो रही बच्चों की मौत पर हरकत में आई बिहार सरकार ने सूबे के अस्पतालों को दुरुस्त करने का आदेश जारी कर दिया. बावजूद इसके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह प्रखंड हरनौत के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कोई बदलाव नहीं आया.
पुराने भवन में चल रहे इस अस्पताल को 30 शैय्या वाले अस्पताल का दर्जा दिया गया है. जो केवल दिखावा साबित हो रहा है. इस अस्पताल में न तो डॉक्टरों की रहने की समुचित सुविधा है और ना ही मरीजों की. पुरुष वार्ड में मात्र दो ही बेड लगे हैं वह भी जमीन के ऊपर. जहां तक हम बात करें ऑपरेशन थियेटर की तो यह भी पूरी तरह हाइजेनिक नहीं है. ओपीडी इमरजेंसी सभी छोटे छोटे कमरे में चलाए जा रहे हैं. इस अस्पताल की सीलिंग जगह जगह टूटी है.
सबसे बड़ी बात यह है इस अस्पताल का निर्माण 1910 में ब्रिटिश हुकूमत ने करवाया था. यानी 109 साल गुजर जाने के बाद भी इस अस्पताल की काया नहीं बदली. अस्पताल के चिकित्सक भी इन परेशानियों को मानते हैं. उनका कहना है कि जगह की कमी है छोटे से जगह में ओपीडी इमरजेंसी ऑपरेशन करने में काफी कठिनाइयां आती है. आम लोग भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि इस अस्पताल में बिल्डिंग की कमी है. चुकी यह अस्पताल इस इलाके के लिए काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि एनएच पर होने के कारण आए दिन यहां दुर्घटनाएं होती हैं. मगर इस इस अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद उसे पटना रेफर कर दिया जाता है. ऐसे में यह अस्पताल केवल दिखावा साबित हो रहा है.
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