नालंदा : राजगीर में विश्व शांति स्तूप की 50वीं वर्षगांठ पर राष्ट्रपति ने की शिरकत, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी रहें मौजूद
प्रणय राज
नालंदा में शनिवार को राजगीर के रत्नागिरी पर्वत पर अवस्थित विश्व शांति स्तूप के 50वीं वर्षगांठ के मौके पर शामिल होने आए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस धरोहर को भारत जापान मैत्री का एक बेहतर संदेश बताया.
इस अवसर पर महामहिम ने कहा कि आज पूरे दुनिया को शांति की जरूरत है. भगवान बुद्ध ने कहा था “नत्थी संतिपरम सुखम” जिसका अर्थ है शांति से बड़ा कोई आनंद नहीं. विकास के लिए शांति एक आवश्यक पूर्व शर्त है. बुद्ध के उपदेश के सार ने बाहर शांति प्राप्त करने के लिए पूर्व शर्त के रूप में शांति पर जोर दिया. आध्यात्मिकता, शांति और विकास एक दूसरे को सुदृढ़ करते हैं. संघर्ष, उथल-पुथल और विकास के तहत एक दूसरे पर फ़ीड. आज के समारोह में हर प्रतिभागी का एकमात्र उद्देश्य शांति और सद्भाव को बढ़ावा देना होना चाहिए क्योंकि गरीबी और संघर्ष को कम करने के लिए शक्तिशाली साधन. बुद्ध से गांधी तक ‘लाइट ऑफ एशिया’ ने दुनिया को सही रास्ता दिखाया है. मुझे यकीन है कि यह हमारे रास्ते को शांति, सद्भाव और समृद्धि से भरे भविष्य के लिए उज्ज्वल करता रहेगा.
वहीं कार्यक्रम में मौजद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि आज के समय इस विश्व शांति स्तूप का और महत्व है. लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए भी यहां आकर शांति का भाव ग्रहण कर सकते हैं. हमलोग भगवान बुद्ध के विचारों के अनुरुप प्रेम, सदभाव को बढ़ावा दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि जापान-भारत का संबंध मजबूत है और हमलोगों की इच्छा है कि यह और मजबूत बना रहे.
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