मुंगेर : तारापुर अनुमंडलीय अस्पताल भवन की हालत जर्जर, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा
अमृतेश सिन्हा
मुंगेर के तारापुर अनुमंडलीय अस्पताल का भवन काफी जर्जर हो चुका है. अब आलम यह है कि यह कभी भी भरभरा कर गिर सकता है. अगर कोई मरीज या कार्यालय में कार्यरत कर्मी की इसके नीचे आने से मौत हुई तो इसका जिम्मेवार कौन होगा. वहीं अस्पताल प्रशासन की मानें तो जिला स्तरीय विभागीय अधिकारी, जिला प्रशासन इस बात को लेकर कतई गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं. यही कारण है कि हर दिन छत से प्लास्टर व रोड़ी कार्यालय आने-जाने वाले आमजनों पर गिरती रहती है, बावजूद इसके सुध नहीं ली जा रही. बारिश होने पर तो यहां पर स्थिति और भयावह हो जाती है.
बता दें की तारापुर अनुमंडलीय क्षेत्र में सरकारी रेफरल अस्पताल जो अपग्रेड होकर अब अनुमंडलीय अस्पताल बन चूका है. परन्तु अब एक बड़े अस्पताल का दर्जा पाने के बाद उक्त अस्पताल को जगह कम पड़ने लगा है. एक ही भवन में सभी अलग अलग विभागों को चला पाना काफी मशक्कत का सामना करने के बराबर है. अस्पताल के प्रभारी उपाधीक्षक बीएन सिंह के अनुसार, अस्पताल के नये भवन में जगह की काफी कमी होने के कारण नये भवन से एनएचएम के कार्यालय को अस्पताल के आवासीय भवन में और स्थापना शाखा को रेफरल अस्पताल के पूराने जर्जर भवन में स्थित कर कार्य को पूरा किया जा रहा है. पुराना भवन जर्जर हो चुका है. अब हालात यह है कि दूसरी मंजिल पर तो लोगों ने जाना ही बंद कर दिया है.
अस्पताल भवन के अनदेखी का आलम यह है कि जर्जर हुए भवन के आपास बड़े-बड़े पेड़ दीवारों में ही विकसित हो गए हैं. जैसे-जैसे उनकी जड़ें मजबूत होती जाती हैं, वे भवन को नुकसान पहुंचा रहे हैं. रोजाना अस्पताल के पुराने भवन का कोई ना कोई हिस्सा टूट कर गिरता रहता है. कार्यरत कर्मी जान जोखीम में डाल काम करने को मजबूर हैं, परन्तु उपरी तबके को मानें तो शायद किसी बड़े दुर्घटना का इंतजार है. वहीं प्रभारी उपाधीक्षक की मानें तो जर्जर भवन को समय समय पर रिपेयिंग कराने के बावजूद भी छत का उपरी हिस्सा टूट टूट कर गिरता रहता है. स्थिति इतनी दयनीय है कि प्रभारी महोदय अपना कार्यालय खुद डाक्टर्स के रसोईघर मे स्थित कर कार्य करने को मजबूर हैं.
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