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मोतिहारी : केसरिया के सीडीपीओ कार्यालय में खोजे नहीं मिलते पदाधिकारी

एम के सिंह

पूर्वी चंपारण जिले के केसरिया प्रखंड में केन्द्र सरकार की अतिमहत्वाकांक्षी बाल विकास सेवा परियोजना दम तोड़ रही है. देश के कुपोषित-अतिकुपोषित बच्चों सहित गर्भवती एवं प्रसूति महिलाओं के स्वास्थ्य में उत्तरोत्तर सुधार के लिए चलाई जाने वाली यह परियोजना केसरिया प्रखंड में खुद रोगग्रस्त साबित हो रही है. आलम यह है कि केसरिया प्रखंड कार्यालय स्थित बाल विकास परियोजना कार्यालय न तो समय पर खुलता है और न किसी विभागीय पदाधिकारी या कर्मचारी से समय पर किसी को मुलाकात ही हो पाती है.

आम लोग विभाग से जुड़ी अपनी समस्याओं को लेकर यहां हमेशा आते हैं. लेकिन, समय पर पदाधिकारी के नहीं मिलने से लोगों को मायूस होकर लौटना पड़ता है. मंगलवार को दिन में करीब ढ़ाई बजे केसरिया प्रखंड युवा जदयू के अध्यक्ष मो इस्तेयाक कुछ कार्यवश सीडीपीओ से मिलने पहुंचे थे, लेकिन सीडीपीओ का चैंबर बंद था. वहीं बाल विकास परियोजना कार्यालय का लिपिक कक्ष तो खुला था. लेकिन, वहां भी विभाग का कोई कर्मी मौजूद नहीं था.

युवा जदयू नेता ने बातचीत के दौरान बताया कि इससे पहले भी दो-तीन बार वे सीडीपीओ से मिलने आ चूके हैं, लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो सकी. उधर, सीडीपीओ कार्यालय के समीप खड़े बैरिया पंचायत के पूर्व मुखिया अभय कुमार यादव ने बताया कि प्रखंड-अंचल कार्यालय को यहां के पदाधिकारी-कर्मचारी आरामगाह समझते हैं. यहां किसी के आने-जाने का कोई निश्चित समय नहीं है. पूर्व मुखिया ने कहा कि केसरिया में सुशासन फेल है.

बोलीं सीडीपी

उधर, बाल विकास परियोजना कार्यालय में पदाधिकारियों-कर्मचारियों की अनुपस्थिति के बारे में पुछे जाने पर सीडीपीओ श्रीमति मधुलता ने दुरभाष पर बताया कि वे केसरिया प्रखंड के अलावे हरसिद्धि प्रखंड बाल विकास सेवा परियोजना के प्रभार में भी हैं. आज हरसिद्धि में रहने के कारण वे यहां अनुपस्थित थी. सीडीपीओ ने बताया कि कार्यालय के प्रधान लिपिक आवश्यक कार्यवश आज मुख्यालय से बाहर थे. सीडीपीओ के मुताबिक महिला पर्यवेक्षिकाएं कार्यालय में उपस्थित थीं. लेकिन, जब संवाददाता द्वारा उनको बताया गया कि दिन के ढ़ाई बजे कार्यालय में कोई सरकारी कर्मी उपस्थित नहीं था तो सीडीपीओ ने कहा कि इस संदर्भ में महिला पर्यवेक्षिकाओं से जवाब-तलब किया जाएगा.

खैर जो हो, लेकिन यह तो कहा जा सकता है कि केसरिया प्रखंड में बाल विकास सेवा परियोजना रामभरोसे चल रहा है और इसकी खोज-पुछ न तो स्थानीय जनप्रतिनिधि कर रहे हैं न जिले के वरीय पदाधिकारी. अगर ऐसी स्थिति बनी रही तो केन्द्र सरकार की यह अतिमहत्वाकांक्षी परियोजना केसरिया प्रखंड में कुपोषण का शिकार बन कर रह जाएगी.

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