कटिहार : शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़ा, वर्षों से गायब रह रहे शिक्षक को बिना नौकरी बजाए मिल रही सैलरी
सुमन कुमार शर्मा
कटिहार जिले मे मूल्यांकन केंद्र से मेट्रिक की कॉपी शिक्षा माफिया द्वारा गायब होने का मामला अभी जाँच चल ही रह था कि सालो से गायब चल रहे शिक्षक को बिना नौकरी किये ही सेलरी देते रहने का मामला सामने आया है. इस मामले मे शिक्षा विभाग के अधिकारियो की मिलीभगत से विभाग को लाखों रुपये का चूना लगाया गया और जिले के आला अधिकारी मूकदर्शक बने रहें.
बिहार के कटिहार मे सेल्फी लेकर उपस्थिति दर्ज कराते हैं गुरुजी लेकिन, कटिहार जिले के जिन अधिकारियों पर गुरु जी की जाँच का जिम्मा था उनकी ही मिली भगत से सालो से गायब रहे कटिहार जिले के डंडखोर प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय संगत टोला के नियमित शिक्षक शशिकांत पटवा को बेरोक टोक पेमेंट करते रहे कटिहार के आला अधिकारी. गायब शिक्षक की जब पड़ताल की तो उत्क्रमित मध्य विद्यालय संगत टोला के हेडमास्टर लाल बिहारी पासवान ने खुल कर कहा बीआरपी के रूप में डंडखोरा मे चयनित है और डडखोरा संकुल मे कार्यरत है. वहीं राजकीय उच्य विद्यालय के प्रधानाध्यपक लुकमान अंसारी जो डीडीओ के कार्यभार मे है ने उन्होंने कहा कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी अरविंद सिन्हा के द्वारा शिक्षक शशिकांत पटवे का अपसेंटी दिया जाता है और उनकी नियमित सैलरी यहाँ से बनती है.
भ्रष्टाचार का खेल शिक्षा विभाग में इस कदर व्याप्त है प्रखंड संसाधन केंद्र पर वर्षो से गायब शिक्षक को साधन सेवी के रूप मे पदस्थापित कर सैलरी मोटी तनखाह दी जाती रही. इसका देख-रेख करने वाले अधिकारी ही साधन सेवी के दिशा निर्देश के तहत अहर्ता नही पूर्ण करने वाले साधन सेवी (बीआरपी) के रूप में पदस्थापित कर दिया जाता है. प्रखंड संसाधन केंद्र डंडखोरा में बीआरपी के पद पर कार्यरत लोगो के बारे में सर्व शिक्षा अभियान से इसकी पड़ताल की गई पता चला डंडखोरा मे दो बीआरपी का चयन किया गया है और चयनित पत्र में शशीकांत पटवा का नाम नहीं है. साथ ही तहकीकात में कई बातें खुलकर सामने आई शशिकांत पटवा किसी भी विषय से आवेदन नहीं डाला था अब जांच का विषय है कि कैसे शशिकांत पटवा को बीआरपी नियुक्त किया गया, जबकि बीआरपी सीआरसी चयन संबंधित नियमावली के अनुसार एक दिन भी बीआरपी या सीआरसी पूर्व में रह चुके हैं तो इसके लिए योग्य नहीं होगा. इससे पूर्व बीआरपी के रूप में शशिकांत पटवा मैथ के बीआरपी के रूप मे कार्य कर चके है दूसरा सबसे बड़ा सवाल बीआरपी सीआरपी नियमावली के अनुसार शैक्षणिक आहर्ता एमए है जो इस तथाकथित बीआरपी शशिकांत पटवा के पास नहीं है. अब सवाल उठना लाजमी है कि किस दबाव और किस आदेश से शिक्षा विभाग के अधिकारी सारे नियमों को ताक पर रखकर सालों से गायब शिक्षक को बीआरपी बनाकर बचाने का प्रयास कर रहे हैं. इस मामले को लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी देवबिन्द कुमार से पूछा गया तो उन्होंने कहा आपके द्वारा जानकारी मिली है जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी.
गौरतलब है कि शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) प्रथम (Annual Status Of Education Report) 2018 ने अपने सर्वे रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे मानव संसाधन के सामने रखा है. 6 से 14 वर्ष 52% बच्चे पांचवी क्लास में पढ़ते हैं, वह दूसरी क्लास के गणित के सवाल हल नहीं कर पा रहे हैं. बहरहाल, गणित जैसे महत्वपूर्ण विषय के शिक्षक वर्षों मोटी तनख्वाह लेकर विद्यालय से गायब रहेंगे तो इसमें गरीब नोनिहाल का विकास कैसे होगा.
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