नई दिल्ली : SC के जजों ने चीफ जस्टिस के खिलाफ खोला मोर्चा, PC कर लगाये कई गंभीर आरोप
अभिषेक श्रीवास्तव
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस के बाद नंबर दो जस्टिस चेलामेश्वर की अगुआई में उच्चतम न्यायालय के चार जजों ने शुक्रवार को ऐतिहासिक कदम उठाया. इन जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके चीफ जस्टिस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. उन्होंने कहा कि कुछ मामलों पर मतभेदों को लेकर चीफ जस्टिस को जानकारी दी गई, लेकिन उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया. हालांकि, कानूनी मामलों पर नजर रखने वाले लोग मानते हैं कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस चेलामेश्वर का टकराव नया नहीं है. ताजा मामला पिछले साल नवंबर का है. चीफ जस्टिस की अगुआई वाली बेंच ने जस्टिस चेलामेश्वर की अगुआई वाली दो सदस्यीय बेंच के फैसले को पलट दिया था. चेलामेश्वर की बेंच ने आदेश दिया था कि भ्रष्टाचार के मामले में घिरे ओडिशा हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज के खिलाफ एसआईटी जांच की याचिका पर सुनवाई के लिए बड़ी बेंच बने. दो सदस्यों की बेंच के इस फैसले को जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली पांच सदस्यीय बेंच ने पलट दिया.
दीपक मिश्रा की बेंच ने चेलामेश्वर के फैसले को रद्द करते हुए कहा था कि कौन सी बेंच कौन से केस की सुनवाई करेगा, यह फैसला करना चीफ जस्टिस का काम है. किस बेंच में कौन से जज होंगे, यह तय करने का अधिकार भी सिर्फ चीफ जस्टिस को है. दरअसल, पूरा मामला मेडिकल एडमिशन घोटाले से जुड़ा हुआ है. एमसीआई स्कैम के नाम से मशहूर इस घोटाले ने पिछले साल सितंबर में मीडिया में काफी सुर्खियां बटोरी थीं. सीबीआई ने इस मामले में ओडिशा हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज और पांच अन्य लोगों को गिरफ्तार किया था. जज पर आरोप था कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की ओर से बैन लगाए जाने के बावजूद प्राइवेट मेडिकल कॉलेज को छात्रों का रजिस्ट्रेशन करने की मंजूरी दी. सीबीआई जांच के मुताबिक, 2004 से 2010 के बीच ओडिशा हाई कोर्ट के जज रहे आईएम कुद्दीसी और उनकी सहयोगी भावना पांडेय ने विभिन्न कोर्सेज में छात्रों को रजिस्टर करने के लिए लखनऊ के एक मेडिकल कॉलेज प्रसाद इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की मदद की.
आजाद भारत के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के इन चार जजों ने मीडिया के सामने आकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि हमने इस मुद्दे पर चीफ जस्टिस से बात की, लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी. प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद चारों जजों ने एक चिट्ठी जारी की, जिसमें गंभीर आरोप लगाए गए हैं.
बता दें कि जस्टिस दीपक मिश्रा का जन्म तीन अक्टूबर 1953 को हुआ था. 14 फरवरी 1977 में उन्होंने उड़ीसा हाई कोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की थी. 1996 में उड़ीसा हाई कोर्ट का अडिशनल जज बनाया गया और बाद में मध्यप्रदेश हाई कोर्ट उनका ट्रांसफर किया गया, 2009 के दिसंबर में पटना हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया. फिर 24 मई 2010 में दिल्ली हाई कोर्ट में बतौर चीफ जस्टिस उनका ट्रांसफर हुआ. 10 अक्टूबर 2011 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया. मुंबई ब्लास्ट के दोषी याकूब मेमन को फांसी की सजा जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने ही सुनाई थी. याकूब के मामले में आजाद भारत में पहली बार सुप्रीम कोर्ट में रात भर सुनवाई चली थी. सुप्रीम कोर्ट में रात के वक्त सुनवाई करने वाली बेंच की अगुवाई जस्टिस दीपक मिश्रा ने ही की थी और दोनों पक्षों की दलील के बाद याकूब की अर्जी खारिज की गई थी और फिर तड़के उसे फांसी दी गई थी.
जस्टिस चेलामेश्वर : 23 जून 1953 को आंध्र प्रदेश में जन्मे जस्टिस चेलामेश्वर 1997 में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के जज बने थे. उन्हें 2007 में गुवाहाटी हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया. इसके बाद साल 2010 में वह केरल हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने और फिर 20 अक्टूबर 2011 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया.
जस्टिस रंजन गोगोई : 18 नवंबर 1954 को जन्मे जस्टिस गोगोई ने गुवाहाटी हाई कोर्ट में ही अधिकांश प्रैक्टिस की. साल 2001 में उन्हें गुवाहाटी हाई कोर्ट में परमानेंट जज नियुक्त किया गया. इसके बाद जस्टिस गोगोई का ट्रांसफर साल 2010 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में कर दिया गया. 23 अप्रैल 2012 को जस्टिस गोगोई को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किया गया.
मदन भीमराव लोकुर : साल 1974 में दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में स्नातक करने वाले जस्टिस मदन भीमराव लोकुर गुवाहाटी और आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं. उन्हें 4 जून 2012 को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था.
जस्टिस कुरियन जोसेफ : 30 नवंबर 1953 को जन्मे जस्टिस कुरियन जोसेफ दो बार केरल हाई कोर्ट के कार्यकारी चीफ जस्टिस रह चुके हैं. उन्हें 2013 में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया था और फिर 8 मार्च 2013 को वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने. जस्टिस जोसेफ कुरियन 30 नवंबर 2018 को सेवानिवृत्त होंगे.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा द्वारा लिखी गयी चिट्ठी के मुख्य अंश :-
♦चीफ जस्टिस उस परंपरा से बाहर जा रहे हैं, जिसके तहत महत्वपूर्ण मामलों में निर्णय सामूहिक तौर पर लिए जाते रहे हैं.
♦चीफ जस्टिस केसों के बंटवारे में नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं.
♦वे महत्वपूर्ण मामले, जो सुप्रीम कोर्ट की अखंडता को प्रभावित करते हैं, चीफ जस्टिस उन्हें बिना किसी वाजिब कारण के उन बेंचों को सौंप देते हैं, जो चीफ जस्टिस की प्रेफेरेंस (पसंद) की हैं.
♦इससे संस्थान की छवि बिगड़ी है.
♦हम ज़्यादा केसों का हवाला नहीं दे रहे हैं.
♦सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने उतराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसफ और सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त करने की सिफारिश भेजी है.
♦जस्टिस केएम जोसफ ने ही हाईकोर्ट में रहते हुए 21 अप्रैल, 2016 को उतराखंड में हरीश रावत की सरकार को हटाकर राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को रद्द किया था, जबकि इंदु मल्होत्रा सुप्रीम कोर्ट में सीधे जज बनने वाली पहली महिला जज होंगी, जबकि सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल जस्टिस आर भानुमति के बाद वह दूसरी महिला जज होंगी.
♦सुप्रीम कोर्ट में तय 31 पदों में से फिलहाल 25 जज हैं, यानी जजों के छ: पद खाली हैं.
Source : Internet.
Comments are closed.