सीवान : जीरादेई के तितिरा स्थित बौद्ध स्तूप से मिली कुषाण कालीन टेराकोटा की मूर्ति, दो वर्ष बीतने के बाद भी नहीं शुरू हुयी खुदाई
अभिषेक श्रीवास्तव
एक तरफ जहां केंद्र सरकार और राज्य सरकारे देश की प्राचीन धरोहरों और पुरातात्विक स्थलों की पहचान कर उनके संरक्षण और संवर्धन की बातें कहती हैं वहीं सीवान के जीरादेई प्रखण्ड क्षेत्र के राजस्व गांव तितिरा टोले बंगरा में स्थित बौद्ध स्तूप से 22 सौ वर्ष प्राचीन भगवान बुद्ध की खण्डित टेराकोटा की मूर्ति मिली. लेकिन मूर्ति मिलने के दो वर्ष बीत जाने के बावजूद आज तक उस स्थल की खुदाई का कार्य शुरू नहीं हो सका. जिससे स्थानीय लोगों में काफी रोष व्याप्त हो चला है.
सोमवार को तितिरा गांव के ग्रामीणों का एक शिष्टमंडल ने जीरादेई गांव को गोद लेने वाले स्थानीय भाजपा सांसद ओमप्रकाश यादव से मिलकर यथाशीघ्र उत्खन्न कार्य शुरू करवाने की मांग किया. जिसके बाद सांसद ओमप्रकाश यादव ने मूर्ति की सुरक्षा कराने और पुरातत्व विभाग के निदेशक से बात कर शीघ्र ही उत्खनन कराये जाने की बाते कहीं. सांसद ने लोगों से कहा कि अगर विलंब हुआ तो वे इसे लोकसभा में भी उठाने का काम करेंगे. उन्होंने कहा कि इस स्थल को बौद्ध सर्किट से जोड़ने की भी केंद्र सरकार से मांग करेगें.
गौरतलब है कि भगवान बुद्ध में रूचि रखने वाले एक स्थानीय शिक्षक कृष्ण कुमार सिंह ने गत वर्ष भारतीय पुरातत्व विभाग को इस सम्बन्ध में सूचित किया था जिसके बाद पुरातत्व विभाग द्वारा उक्त स्थल का निरीक्षण कराकर उत्खनन का आदेश निर्गत किया गया. लेकिन, अभी तक उत्खनन का कार्य शुरू नही हो पाया. हालाकि दो वर्ष पहले मिली इस मूर्ति के सम्बन्ध में भारतीय पुरातत्व विभाग पटना अंचल के सहायक पुरातत्वविद शंकर शर्मा ने ही बताया कि यह मूर्ति टेराकोटा की कुषाण कालीन है, जो आज से 22 सौ वर्ष पुरानी है और इस स्थल पर प्रचूर मात्रा में बौद्ध कालीन मृद्भाण्ड बिखरे हुए हैं. खुदाई करने पर और भी बहुत कुछ मिल सकने की उम्मीद है.
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