मोतिहारी : महात्मा गांधी की कर्मभूमि चंपारण में उनके प्रपौत्र तुषार गांधी का हुआ अपमान, मुखिया ने कार्यक्रम से बाहर निकाला

मोतिहारी/पूर्वी चंपारण || आजादी की लड़ाई के दौरान जिस चंपारण के लोगों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को अपने सर आंखों पर बैठाया था, उनके प्रपौत्र तुषार गांधी को पदयात्रा के दौरान उसी चंपारण की धरती पर भारी अपमान का सामना करना पड़ा. यह वाक्या तब हुआ जब जिले के तुरकौलिया स्थित स्थानीय पंचायत भवन में आयोजित सभा के दौरान उन्हें मंच से उतारकर बाहर जाने को कह दिया गया. सभा स्थल पर स्थानीय मुखिया विनय कुमार साह और तुषार गांधी के बीच तीखी नोकझोंक भी हो गई.
पदयात्रा के दौरान हुआ विवाद
बता दें कि महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने 12 जुलाई को पश्चिमी चंपारण जिले के भितिहरवा आश्रम से बिहार में सामाजिक बदलाव के उद्देश्य से पदयात्रा की शुरुआत की है. इसी क्रम में वे रविवार को तुरकौलिया पहुंचे, जहां उन्होंने ऐतिहासिक नीम का पेड़ देखा और फिर पंचायत भवन में आम जनता के बीच अपने विचार रखे. सभा में उन्होंने बिहार में बदलाव की आवश्यकता पर चर्चा करते हुए अप्रत्यक्ष रूप से महागठबंधन का समर्थन करने की बात कही. इस पर स्थानीय मुखिया विनय कुमार साह भड़क गए और विरोध करते हुए सभा में हंगामा कर दिया. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जैसे ही तुषार गांधी के साथ चल रहे एक व्यक्ति ने नीतीश सरकार को हटाने की बात कही, वैसे ही मुखिया ने आपा खो दिया और तुषार गांधी को अपमानजनक भाषा में सभा छोड़ने को कहा. यह दृश्य देखकर सभा में मौजूद कई स्थानीय लोग मुखिया को शांत करने का प्रयास करने लगे, लेकिन वे नहीं माने.
हमें अपमानित किया गया, लेकिन हम डरने वाले नहीं : तुषार गांधी
वहीं घटना के बाद तुषार गांधी ने प्रेस से बातचीत में कहा, “हमें अपमानित किया गया, बदतमीज तक कहा गया, लेकिन हम इससे डरने वाले नहीं हैं। हमारी यात्रा बिहार में बदलाव के उद्देश्य से है और यह जारी रहेगी।” तुषार गांधी का यह बयान साफ करता है कि वे इस अपमान से विचलित नहीं हुए हैं. वहीं, इस घटना ने स्थानीय राजनीति और सत्ता को लेकर व्याप्त असहिष्णुता की झलक भी दिखा दी है. बिहार की धरती पर गांधी विचारधारा के एक वारिस के साथ इस प्रकार का व्यवहार न केवल चिंताजनक है, बल्कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों पर भी सवाल उठाता है. (मधुरेश प्रियदर्शी की रिपोर्ट).