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गोपालगंज : विष्णु सुगर मिल भी खींच रहा अंतिम सांसें, किसानों का करोड़ों बकाया

गोपालगंज || गोपालगंज जिले की दो चीनी मिलें हथुआ सुगर वर्क्स और सासामुसा प्रबंधन की लूट खसोट नीति के कारण बंद हो गई और हजारों कामगार बेकार हो गये. अब विष्णु सुगर मिल्स लिमिटेड अंतिम सांसें गिन रहा है. प्रबंधन की लूट खसोट का नतीजा है कि विष्णु सुगर मिल्स लिमिटेड गोपालगंज की स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है.

इसके मुख्य कारण मिल प्रबंधन के कुछ अधिकारी हैं. डिप्टी जेनरल मैनेजर के पद पर नियुक्त एपी सिंह को मिल प्रबंधन द्वारा उनको अनेक बार हटाया गया, परन्तु उन्हें इस मिल से इतना मोह हो गया कि अगर मिल के निदेशक किशन कुमार बाजोरिया हटाते हैं तो, एपी सिंह मिल के हिस्सेदार और किशन कुमार बाजोरिया के भाई लल्लू कुमार बाजोरिया की पांव पड़ी कर फिर योगदान कर लेते हैं. मिल के इस साधारण अधिकारी ने लखनऊ जैसे शहर में आलीशान भवन बनवा रखा है और यहां के गन्ना किसानों की हालत खस्ता पड़ी है. डीजीएम कहे जाने वाले एपी सिंह का किसानों के साथ व्यवहार भी अच्छा नहीं है, जिस कारण यहां के किसान गन्ना की खेती करने से परहेज कर रहे हैं. अनेकों बार डीजीएम एपी सिंह का किसानों के साथ आमना-सामना हो गया है. एपी सिंह स्वयं को जेनरल मैनेजर साबित करने की कवायद में एड़ी चोटी लगाये हैं, जबकि जेनरल मैनेजर पीआरएस पणिकर उनके सामने चुप्पी साध बैठे हैं.

डीजीएम एपी सिंह के रवैए के कारण गन्ना किसानों में मायूसी रहती है और किसानों की गन्ने की खेती में रुचि कम होती जा रही है. डीजीएम एपी सिंह का केवल गन्ना किसानों के साथ दुर्व्यवहार की शिकायत नहीं है अपितु मिल के कामगारों के साथ भी उनका उच्छृंखल रवैया रहा है. कामगारों के साथ बदसलूकी उनकी दिनचर्या है. दस दस वर्षों से काम कर रहे निरीह कामगारों को एक हीं झटके में हटा रहे हैं. उनकी इन हरकतों से मिल के प्रति एक गलत संदेश जा रहा है और लोगों में चर्चा का विषय है कि विष्णु सुगर मिल्स लिमिटेड भी प्रबंधन की अनदेखी के कारण अंतिम सांसें गिन रहा है. मिल के मालिकों ने मिल परिसर के अगल-बगल की भूमि को बेंच भी दिया है और यह फैक्ट्री धीरे-धीरे सिमट रही है. (गोपालगंज से हितेश कुमार वर्मा की रिपोर्ट).

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