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सीवान : गुठनी में सरयू नदी के जलस्तर में कमी के बावजूद लोगों की बढ़ी मुश्किलें, किसानों के सामने सूखे और जलजमाव से भुखमरी की स्थिति

सीवान || जिले के गुठनी प्रखंड मुख्यालय से होकर गुजरने वाली सरयू नदी के जलस्तर में चौथे दिन भी विभाग द्वारा कमी दर्ज की गई, जबकि नदी किनारे बसे गांवों पर बाढ़ का खतरा अभी भी बरकार है. वहीं निचले इलाकों में घुसे बाढ़ का पानी तेजी से निकल रहा है. हालांकि किसानों के सामने नए मुसीबत खड़ी हो गई है.

बता दें कि सरयू नदी के दुबारा जलस्तर बढ़ने के बाद निचले इलाकों में बाढ़ का पानी तेजी से घुस गया था. जल संसाधन विभाग के जेई मदन मोहन ने बताया कि सरयू नदी का वर्तमान जलस्तर 60.440 है. सरयू नदी का डेंजर लेवल से 60.82 और वार्निंग लेबल 59.82 से 1.40 सेंटीमीटर नीचे बह रही है.

जल संसाधन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सरयू नदी का वार्निंग लेबल 59.82 है और वर्तमान जलस्तर 60.440 है. जुलाई में हीं दो बार लगातर बढ़े जलस्तर से खेती योग्य भूमि पर जलजमाव हो गया है, जिससे धान, मक्का, बाजरा, मूंगफली, अरहर, हरी सब्जियां लगाने में दिक्कत हो रही है.

तेजी से कम हो रहा है सरयू नदी का जलस्तर

सरयू नदी का जलस्तर लगातार चौथे दिन भी तेजी से कम हो रहा है, जिससे निकली इलाकों में लगे पानी भी निकल रहा है. हालांकि जलस्तर कम होने से जहां बाढ़ और कटाव का खतरा भले ही कम हो गया है. लेकिन, किसानों के सामने भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई है. किसान इस बात से चिंतित है कि जिन इलाकों में जल जमाव हो गया है. वहां किसी भी तरह की खेती करना संभव नहीं है. वहीं किसान जिन इलाकों में धान की बुआई किए थे, वह भी बाढ़ की पानी में डूब गई है, अब जैसे हीं पानी धीरे-धीरे निकल रहा है. वैसे धान का विकास होगा या नहीं होगा, आने वाले समय पर निर्भर है.

बाढ़ और सुखाड़ की दोहरी मार झेल रहे हैं किसान

गुठनी और दरौली में जहां सरयू नदी के बढते जलस्तर से ना सिर्फ विभाग परेशान हैं, बल्कि इसका सबसे अधिक खामियाजा किसानो को भुगतना पड़ रहा है. वह इस बात से परेशान हैं कि जहां धान की रोपनी हो गई है, वह खेत अब धीरे धीरे बाढ़ की पानी में डूबने गए हैं. वहीं कई खेत बिना बुआई के ही जलमग्न हो गए हैं. हालांकि खतरे के निशान से नदी अब नीचे बह रही है, जिससे कृषि योग्य भूमि पूरी तरह बाढ़ की पानी में घिर गई है. किसानों के सामने समस्या इस बात की है कि अगर धान की बुआई करते हैं, तो भी पूरी फसल सड़ गल कर बर्बाद हो जाएगी. वहीं मक्का, मूंगफली, अरहर की खेती भी पूरी तरह बर्बाद हो रही है.

क्या कहते हैं जेई

वहीं जेई मदन मोहन ने बताया कि नदी का जलस्तर अब धीरे-धीरे जाकर कम हो रहा है. लेकिन, उससे किसी भी तरह का खतरा और नुकसान नहीं है. अभी तक नदी का जलस्तर कंट्रोल में है. (सेंट्रल डेस्क).

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