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सीवान : देशरत्न डॉ राजेन्द्र प्रसाद के 133वीं जयंती की तैयारियां पूरी, जिरादेई स्थित आवास पर होगा जयंती समारोह का आयोजन

अभिषेक श्रीवास्तव

सीवान के जिरादेई के लाल और देश के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद की 133वीं जयंती मनाये जाने की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी है. रविवार को सुबह आठ बजे जिरादेई स्थित उनके पैतृक आवास पर स्थापित उनकी प्रतिमा पर सीवान के जिला पदाधिकारी महेंद्र कुमार द्वारा माल्यार्पण कर जयंती मनाई जायगी.

इस समारोह को खास बनाने के लिए पुरारत्व विभाग द्वारा राजेंद्र बाबू के जीवनवृत्त से संबंधित फोटो प्रदर्शनी का उद्घाटन डीएम और पुरातत्व विभाग के वरीय पदाधिकारियों द्वारा किया जाएगा. शनिवार की सुबह से ही विभिन्न विद्यालयों के बच्चों द्वारा राजेंद्र बाबू के पैतृक आवास को देखने की सिलसिला जारी रहा. छोटे-छोटे बच्चे पुरातत्व विभाग द्वारा सजाई जा रही प्रदर्शनी को देख काफी खुश हुए. बच्चों के आग्रह पर पुरातत्व विभाग के सहायक पुरातत्वविद शंकर शर्मा ने बच्चों को प्रदर्शनी के बारे में विशेष रूप से समझाया. उन्होंने बताया कि इसमें कुछ अति दुर्लभ तस्वीरें हैं, जो हर जगह उपलब्ध नहीं है.

बता दें कि आज देश में स्वदेशी आंदोलन का खूब प्रचार प्रसार किया जा रहा है, पर देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद और उनके बड़े भाई स्वतंत्रता सेनानी महेंद्र बाबू में कूट-कूट कर स्वदेशी प्रेम भरा हुआ था. दोनों भाई स्वदेशी कपड़े ही नहीं, कलम और स्याही भी स्वदेशी ही खरीदते थे. देशरत्न की जीवनी के बारे में स्थानीय समाज सेवी महात्मा भाई बताते हैं कि वर्ष 1899 में महेंद्र बाबू इलाहाबाद से घर आए थे और उन्होंने स्वदेशी की बात कही थी. वे स्वदेशी कपड़े भी साथ लाए थे. राजेंद्र बाबू ने उसी समय से स्वदेशी कपड़े पहनना शुरू कर दिया तथा अपने बड़े भाई से राष्ट्रप्रेम की प्रेरणा ली. उन्होंने खादी बाजार में आ जाने पर इसके अलावा दूसरे प्रकार के कपड़े भी नहीं खरीदे. स्वदेशी का विचार केवल कपड़ों तक सीमित नहीं रहा. जहां तक हो सका हर सामान खरीदने में भी वे इसका ख्याल रखते थे. विश्वविद्यालय की परीक्षा देने के लिए खास करके देशी कलम व निब खरीदते थे. जीरादेई क्षेत्र के राजेंद्र बाबू के अनुयायी डीपी पांडेय ने कहा कि आज भी हमें देशी वस्तुओं का इस्तेमाल कर हस्तकला एवं शिल्प कला को बढ़ावा देना चाहिए. समाजसेवी सह व्यापार मंडल के अध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि स्वदेशी का प्रयोग कर हम अपने देश को समृद्ध कर सकते हैं. विदित हो कि प्रथम राष्ट्रपति का पैतृक घर पुरातत्व विभाग के सुपुर्द है.

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