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सीवान : परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री का फूंका पुतला

चमन श्रीवास्तव

सीवान में शनिवार को नियोजित शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन देने संबंधी उच्च न्यायालय पटना के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने हेतु शिक्षा विभाग के अधिकारियों को राज्य सरकार द्वारा दिल्ली भेजे जाने से आक्रोशित परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ ने शहर के जेपी चौक पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुतला फूंका और जमकर सरकार विरोधी नारे लगाए.

पुतला दहन के पश्चात आयोजित शिक्षकों की सभा को संबोधित करते हुए संघ के जिला महासचिव विनय कुमार तिवारी व जिलाध्यक्ष राजेंद्र कुमार अकेला ने कहा कि जिस राज्य की सरकार राष्ट्र निर्माता शिक्षकों को उनके अधिकारों से वंचित करने के लिए उन्हें सर्वोच्च न्यायालय मे घसीटने की सोंच रखती हैं उसे सुशासन कहलाने का कोई हक नहीं हैं . जिस राज्य की सरकार अपने राष्ट्र निर्माताओं से अंडे छिलवा रही हैं वहाँ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा महज जुमला हैं. उन्होंने कहा कि सरकार तो इतनी नीचता पर उतर आई है कि शिक्षकों को छः – छः महीने से जानबूझकर शिक्षकों को वेतन नही दे रही हैैं ताकि ये आर्थिक रूप से कमजोर हों और सरकार का सुप्रीम कोर्ट मे मुकाबला न कर सकें. लेकिन राज्य सरकार यह भूल गई है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक मे ही हाईकोर्ट ने समान वेतन देने का आदेश दिया है और उसी सुप्रीम कोर्ट मे अपील करना सरकार की मूर्खता हैं. परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट मे कैविएट दायर कर रखा हैं और वहाँ भी सरकार की अपील खारिज होना तय हैं. सरकार को करारी शिकस्त दी जाएगी.

नेताओं ने कहा कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जाने के बदले सभी याचिकाकर्ताओं से वार्ता की पहल करे और हाईकोर्ट के फैसले को लागू करने हेतु संभावित सभी उपायों पर विचार कर समाधान निकालें. शिक्षा विभाग के शीर्ष अधिकारियों को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि सरकार के पैसे पर हवाई सैर करने और दिल्ली मे मौज मस्ती के लिए सरकार को गुमराह न करे. अधिकारी शिक्षकों से सरकार को लड़ाने की साजिश रच रहे हैं. यदि सरकार शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट मे घसीट कर मामले को उलझाने और शिक्षकों को तंग तबाह की तो आगामी चुनाव मे वोट मांगने अधिकारी नही बल्कि सरकार के जनप्रतिनिधि ही शिक्षकों के बीच आएंगे और तब उन्हें शिक्षक समाज औकात बता देगा. उन्होंने कहा कि जब आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का दमन करने के लिए सरकार जनता की गाढ़ी कमाई वकीलों और अधिकारियों के सैर सपाटा पर खर्च करेगी तो आम जनता का इस संवैधानिक व्यवस्था पर विश्वास घटेगा. सरकार, सक्षम संस्थायें और आर्थिक रूप से सशक्त व्यक्ति कमजोर व्यक्ति और समाज का शोषण करने और उनके अधिकारों से बंचित करने के लिए कानूनी हथकंडे अपनाती है तो बिद्रोह भड़कता  हैं. इसलिए सरकार बिना विलंब किए नियोजित शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन देने की घोषणा करें अन्यथा शिक्षकों का कोपभाजन बनने के लिए तैयार रहे.

मौके पर महेश प्रभात, सुशील पंडित, हरेन्द्र पंडित, विनोद कुमार, संजय यादव, विवेक पटेल, इजहार अहमद, राजेश नारायण, पिन्टू कुमार, दीनबंधु शिंदे, राजेश नारायण, आमोद सिंह, सनोज कुमार, लोकेश कुमार, विद्या भूषण पांडेय, विजय सिंह, रूपेश कुमार दुबे, रामेय कुमार राम, उर्मिला देवी,उमेश यादव, संतोष कुमार गिरी, अजय कुमार, अनिल कुमार, रत्नेश कुमार, अर्जुन सिंह, सुजीत कुमार पाण्डेय, वेदांत आनंद, सुनील कुमार, रजनीकांत श्रीवास्तव, हरिनाथ यादव, शैलेश कुमार, नीरज कुमार सिंह आदि दर्जनों शिक्षक मौजूद रहें.

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