पटना में विधान सभा अध्यक्ष ने ‘साठोत्तरी हिंदी कविता का सामाजिक पक्ष’ का किया विमोचन
अभिषेक श्रीवास्तव
साहित्य और राजनीति समानांतर चलते हैं. साहित्यकार सामाजिक परिस्थितियों को आईने में दिखाते हैं जबकि राजनेता परिस्थितियों को बेहतर बनाने के लिए प्रयत्नशील होते हैं. 1960 के दशक में जो परिस्थितियों थी, वह परिस्थितियाँ अब नहीं रहीं. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद लोगों की उम्मीदें पराकाष्ठा पर थी और संसाधन सीमित थे. ऐसे में निराशा का भाव उत्पन्न हुआ था. बाद में संसाधनों का उपयोग लोकतांत्रिक तरीके से किया गया और समाज के सभी वर्गों तक राजनीतिक कार्यक्रम को पहुंचाया गया जिससे लोगों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार आया है. बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने युवा लेखिका डॉ नीतू कुमारी नवगीत की पुस्तक ‘साठोत्तरी हिंदी कविता का सामाजिक पक्ष’ के विमोचन के दौरान ये बातें कहीं. उन्होंने नीतू कुमारी नवगीत को बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नारी का दर्जा देते हुए कहा कि वह एक साथ लोक गायन, लेखन और पेंटिंग के क्षेत्र में सक्रिय हैं. कड़ी मेहनत और लगन से वह अपने राज्य का नाम अवश्य रोशन करेंगी.
इससे पहले ‘सामयिक परिवेश’ के बैनर तले पटना के अभिलेख भवन में आयोजित समारोह में बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी, कथाकार ममता मेहरोत्रा, कथाकार अवधेश प्रीत, कवि राजकिशोर राजन, प्रसिद्ध शायर कासिम खुर्शीद, बिहार दूरदर्शन की उपनिदेशक रत्ना पुरकायस्थ और वरिष्ठ कवि प्रभात सरसिज ने नीतू कुमारी नवगीत की पुस्तक ‘साठोत्तरी हिंदी कविता का सामाजिक पक्ष’ का विमोचन किया.
साठोत्तरी हिंदी कविता की विभिन्न प्रवृत्तियों को रखते हुए नीतू कुमारी नवगीत ने कहा कि साठोत्तरी कविता का रचनाकार मानता है कि तत्कालीन परिवेश अमानवीय यातना शिविर बन चुका था. अभाव, आतंक और उत्पीड़न उस समय के जीवन का अंग बन गया था। लोकतंत्र से ये उम्मीद न थी, वह टूट रहे थे. ऐसे में साठोत्तरी काव्य की भाषा आक्रामक होते चली गई. वहीं कथाकार ममता मेहरोत्रा ने कहा कि नई प्रतिभाओं को आगे बढ़ाना सा परिवेश का उद्देश्य रहा है. वरिष्ठ कथाकार अवधेश प्रीत ने साठोत्तरी कविता को तत्कालीन समाज की विद्रूपताओं का प्रतिबिंब करार देते हुए कहा कि इन कविताओं की भाषा विद्रोही रही है. शायर डा. कासिम खुर्शीद ने कहा कि नीतू नवगीत की बहुमुखी प्रतिभा बिहार की लड़कियों के लिए प्रेरणा है. उनकी पुस्तक भी लोगों को प्रेरित करेगी.
कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ कवि राजकिशोर राजन ने किया. वहीं कार्यक्रम का संयोजन प्रो प्रमोद कुमार शर्मा और अविनाश झा ने किया जबकि सामयिक परिवेश के संपादक समीर परिमल ने धन्यवाद ज्ञापन किया. इस अवसर पर वरिष्ठ कवि अनिल विभाकर, कांग्रेस नेता और शिक्षाविद प्रोफेसर समीर कुमार सिंह, वरिष्ठ कथाकार शंभू पी सिंह, राष्ट्रीय युवा विकास परिषद के अध्यक्ष किसलय किशोर, प्रियेश प्रियम, उर्वशी गुप्ता, सुनील कुमार लवसिम, रणधीर कुमार सिन्हा सहित बहुत सारे लोग मौजूद रहें.
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