Abhi Bharat

छपरा : जन्म के पहले घंटे के अंदर पिलाएं मां का पहला पीला गाढ़ा दूध, रोग प्रतिरोधक क्षमता का होगा विकास

छपरा जिले में सितंबर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है. इस दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर पोषण के सेवाओं को पहुंचा रही हैं. इसके साथ पोषण के प्रति समुदायस्तर पर व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. स्तनपान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सेविका घर-घर जाकर माताओं को जागरूक कर रहीं है और स्तनपान के महत्व के बारे में समझा रही हैं.

बता दें कि मां का पहला गाढ़ा पीला दूध क्लोस्ट्राम जो कि बच्चे को पूरी जिंदगी बीमारियों से बचाकर रखता है. छ: माह तक बच्चे को कोई शहद, घुट्‌टी या पानी बिल्कुल नहीं देना चाहिए. क्योंकि छह माह में मां के दूध से शिशु की सारी जरूरतें पूरी हो जाती हैं. साथ ही अनाज, दाल और तिलहन के मिश्रण से तैयार शिशु आहार बनाकर सात माह से एक साल के बच्चे को खिलाएं. डीपीओ वंदना पांडेय ने बताया कि शिशु जन्म के एक घंटे के भीतर शिशुओं को स्तनपान कराने से नवजात शिशु मृत्यु दर में 20 प्रतिशत की कमी लायी जा सकती है. वहीं छ: माह तक सिर्फ स्तनपान करने वाले शिशुओं में डायरिया से 11 प्रतिशत एवं निमोनिया से 15 प्रतिशत तक कम मृत्यु की संभावना होती है.

डायरिया एवं निमोनिया से स्तनपान करता है बचाव :

डीपीओ वंदना पांडेय ने बताया कि इस नवजात को जन्म के पहले घंटे के अंदर मां का पहला पीला गाढ़ा दूध पिलाया जाये तो ऐसे बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है. इसे ध्यान में रखते हुए राज्य के सभी जिला सदर अस्पताल सहित सभी प्रथम रेफरल इकाई को बोतल दूध मुक्त करने की कवायद भी की जा रही है. इसके साथ ही छ: माह तक शिशुओं को सिर्फ स्तनपान कराना चाहिए एवं छ: माह के बाद शिशु को संपूरक आहार देना शुरू कर देना चाहिए तथा शिशु के बेहतर विकास के लिए कम से कम दो साल तक स्तनपान कराना जारी रखना चाहिए. संपूरक आहार से बच्चे का उपयुक्त शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है तथा बच्चा कुपोषणजनित कई तरह के बीमारियों से बचा रहता है.

छह माह तक बच्चों पिलाएं माँ का दूध, बढ़ेगी प्रतिरोधक क्षमता :

पोषण अभियान के जिला समन्वय सिद्धार्थ सिंह ने बताया कि प्रारंभिक अवस्था में उचित पोषण नहीं मिलने से बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध हो सकता है. इसलिए जब भी मां बन रहीं हो शिशु के नियमित स्तनपान के फायदों बारे में जानकारी जरूर लें. 0 से छ: माह के बच्चे को सिर्फ स्तनपान और छ: माह के बाद शिशुओं को स्तनपान के साथ पौष्टिक ऊपरी आहार देना चाहिए. छ: माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराने से दस्त और निमोनिया के खतरे से बचाया जा सकता है. नौ से 24 माह के बच्चों को स्तनपान के साथ तीन बार अर्ध ठोस पौष्टिक आहार देना चाहिए. बच्चे के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए आहार की विविधता का भी ध्यान रखा जाना चाहिए.

स्तनपान के फ़ायदे :

  • रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि.
  • शिशु मृत्यु दर में कमी.
  • डायरिया एवं निमोनिया से बचाव.
  • सम्पूर्ण शारीरिक एवं मानसिक विकास.
  • अन्य संक्रामक रोगों से बचाव. (सेंट्रल डेस्क).
You might also like

Comments are closed.